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Ambala: खूबसूरती की मिसाल था सेंट पाल चर्च, पाकिस्तान एयरफोर्स के हमले में हो गया जर्जर

अंबाला में बना सेंट पाल चर्च खूबसूरती की मिसाल था लेकिन भारत पाक युद्ध 1965 में पाकिस्तान की एयरफोर्स ने इस चर्च पर बम बरसा दिए और इसे खंडहर में तबदील कर दिया। यह आज जर्जर हालत में है।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 16 Dec 2022 10:15 PM (IST)
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खूबसूरती की मिसाल था सेंट पाल चर्च, पाकिस्तान एयरफोर्स के हमले में हो गया जर्जर।
जागरण संवाददाता, अंबाला। अंबाला में बना सेंट पाल चर्च खूबसूरती की मिसाल था, लेकिन भारत पाक युद्ध 1965 में पाकिस्तान की एयरफोर्स ने इस चर्च पर बम बरसा दिए और इसे खंडहर में तबदील कर दिया। यह आज जर्जर हालत में है। यहां पर कभी क्रिसमस पर्व पर कार्यक्रम आयोजित होते थे, लेकिन आज यह खंडहर के सिवा कुछ नहीं है। हालांकि, इस साइट को आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआइ) संरक्षित घोषित किया गया है, लेकिन इसका दोबारा निर्माण नहीं हो पाया है। यह चर्च देश की आजादी के लिए लड़े गए पहले स्वाधीनता संग्राम 1857 से भी जुड़ा है। आज इस चर्च में उस समय रखी बाइबल भी मौजूद है।

क्या है इस चर्च का इतिहास?

बात उन दिनों की है, जब अंग्रेजों ने अंबाला में अपने पांव जमा लिए थे। उस दौरान इसाई धर्म का प्रचार भी जमकर हुआ और यह भी फरमान दिया गया था कि यदि कोई ईसाई धर्म अपना लेता है, तो उसकी जमीन जायदाद (यदि उसका कोई वारिस नहीं है) जब्त नहीं की जाएगी। उसी दौर में अंबाला कैंट में डेयरी फार्म रोड के किनारे सेंट पाल चर्च का निर्माण किया गया। गोथिक स्टाइल में इसका निर्माण किया गया। साल 1965 में हुए भारत पाक युद्ध की भेंट यह चर्च चढ़ गया। पाकिस्तान की एयरफोर्स ने इस चर्च पर बम बरसा कर इसे खंडहर में बदल दिया। पाकिस्तान की इस कार्रवाई की विदेशों तक निंदा हुई।

देश के पहले स्वाधीनता संग्राम से क्या है संबंध?

इस चर्च का इतिहास 1875 में लड़े गए देश के पहले स्वाधीनता संग्राम से भी है। मेरठ से पहले अंबाला में क्रांति शुरू हो चुकी थी। भारतीय सैनिकों ने प्लानिंग बनाई थी कि सेंट पाल चर्च में जब अंग्रेज सैनिक परिवार सहित प्रेयर के लिए आएंगे, तो उनको घेर लिया जाएगा। भारतीय सैनिकों की इस योजना का अंग्रेजों को पता चल गया। अंग्रेजों ने परिवार के सदस्यों को दूसरी चर्च में जाने को कहा। भारतीय सैनिकों ने चर्च को घेर लिया, जिसके बाद अंग्रेजों की सेना ने भारतीय सैनिको को घेरकर सरेंडर करवा लिया। उनको माफ करने का वायदा किया, लेकिन बाद में कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया।

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