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खाने में नहीं मिलेगा कॉकरोच, न ही देने पड़ेंगे एक्सट्रा चार्ज; रेलवे ने शुरू की बड़ी कार्रवाई, अब तक आ चुके हैं ऐसे कई मामले

Train Food ट्रेन का खानपाना हमेशा विवादों में रहा है। खाने को लेकर हमेशा शिकायतें मिलती रहती हैं। लेकिन ऐसे मामले को रोकने के लिए रेलवे ने शिकंजा ने कसा है। अब खानपान का एक्सरे होगा। रेलवे की कई ऐसी महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं जिसमें यात्रियों के खाने का चार्ज टिकट में ही जोड़ दिया जाता है। प्राइवेट कंपनियों के लोग ही बेस किचन में खाना तैयार करते हैं।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 23 Jun 2024 05:20 PM (IST)
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Train Food: ट्रेन के खाने में कॉकरोच से मिलेगी मुक्ति।

दीपक बहल, अंबाला। रेल यात्रियों को ट्रेनों में दिए जाने वाले खाने में कभी काकरोच मिलने की घटना तो खाने की क्वालिटी (गुणवत्ता) शिकायतों आ रही हैं। इसके साथ खाने की वस्तुओं की ओवरचार्जिंग (निर्धारित दर से ज्यादा कीमत लेने) की शिकायतें भी मिल रही हैं। इससे चिंतित रेल मंत्रालय ने खानपान का एक्सरे करेगा।

रेलवे देश भी में ट्रेनों में खानपान को लेकर विशेष अभियान चलाएगा। 29 जून तक चलने वाले इस अभियान की निगरानी (मानीटरिंग) वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। बता दें कि पिछले दिनों पहली स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस में खाने में काकरोच मिलने से रेलवे की किरकिरी हुई। इसके बाद इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) ने एक्स पर माफी भी मांगी, लेकिन रेलवे इस माफी से संतुष्ट नहीं है।

स्पेशल ड्राइव चलाने के निर्देश

रेलवे की चेयरपर्सन ने इस मामले में देश भर के सभी सीनियर डीसीएम को स्पेशल ड्राइव चलाने के निर्देश जारी किए। खासकर उत्तर रेलवे में इस तरह की शिकायतें ज्यादा आ रही हैं, जिसको लेकर चीफ कामर्शियल मैनेजर (सीसीएम) कैटरिंग को इसकी मानीटरिंग करने के निर्देश दिए। 21 जून को रेल मंत्रालय ने सभी जोन के प्रिंसिपल चीफ कामर्शियल मैनेजर और चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर (आइआरसीटीसी) को भी इस विशेष अभियान के बारे में अवगत कराया।

इस फॉर्मेट में होगी जांच

अभियान को लेकर एक रिपोर्ट का प्रारूप भी दिया गया है, जिसमें रोजाना रिपोर्ट मुख्यालय को भेजनी होगी। रिपोर्ट में जोन कौन सा है, किस आफिसर ने किस तारीख को किस स्टेशन पर निरीक्षण किया, ओवरचार्जिंग की कितनी शिकायतें मिली, फूड क्वालिटी, सर्विस स्टाफ का व्यवहार, कमी पाए जाने पर क्या एक्शन लिया गया। इसके अलावा पूरे निरीक्षण को लेकर विशेष टिप्पणी करनी होगी। यह फॉर्मेट रोजाना जोन के माध्यम से रेल मंत्रालय तक पहुंचेगा।

इस तरह मामले आ रहे सामने

  1. प्रीमियम ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे दंपती के भोजन में काकरोज मिला। मामला 18 जून का है। दंपती भोपाल से आगरा की यात्रा कर रहा था। इसकी शिकायत एक्स पर की थी। आइआरसीटीसी से आनलाइन खाना आर्डर किया था। लंच पैकेट में मरा हुआ काकरोच दिखा तो दोनों घबरा गए।
  2. ट्रेन नंबर 20173 वंदेभारत एक्सप्रेस में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था। रानी कमलापति से जबलपुर आ रहे एक यात्री के खाने में काकरोच मिलने का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ था। वंदेभारत में यात्रा करने वाले यात्री ने बताया कि उन्हें परोसे गए भोजन में मरा काकरोच मिला था।
  3. इसी तरह वंदेभारत एक्सप्रेस में खाना कम पड़ने की शिकायत के बाद आइआरसीटीसी ने 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। आइआरसीटीसी का कहना है कि यह सेवा प्रदाता की कमी है। इसके लिए कैटरिंग कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार हैं।
  4. बांद्रा टर्मिनस-हजरत निजामुद्दीन गरीब रथ एक्सप्रेस में 26 अप्रेल को खानपान सामग्री को दिव्यांग कोच के शौचालय में स्टोर करने संबंधी इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। रेलवे ने आइआरसीटीसी से बात कर इस गाड़ी के ठेकेदार पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।

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जुर्माने के लिए होगी सिफारिश

रेलवे की कई ऐसी महत्वपूर्ण ट्रेनें हैं, जिसमें यात्रियों के खाने का चार्ज टिकट में ही जोड़ दिया जाता है। शताब्दी, राजधानी, दुरंतो, वंदेभारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में प्राइवेट कंपनियों के लोग ही बेस किचन में खाना तैयार करते हैं और फिर यह स्टेशन के माध्यम से ट्रेन में यात्रियों को दिया जाता है। खाना सर्व होने से पहले अधिकारियों को इसका स्वाद चखना होगा और खाना बनाते समय किसी प्रकार की कोई कमी तो नहीं, इसको लेकर भी जांच की जाएगी। खाने का स्वाद ही नहीं, यह कैसे बनाया जा रहा है, साफ सफाई का कितना प्रबंध है, इसको लेकर भी रिपोर्ट तैयार होगी। यदि कहीं कमी मिलती है तो आइआरसीटीसी को जुर्माना लगाने के लिए रेल मंत्रालय सिफारिश करेगा और इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।

ट्रेनों में पानी को लेकर खेल

रेलवे में पानी की बोतलों को लेकर एक बड़ा खेल ट्रेनों में नहीं बल्कि प्लेटफार्मों पर देखा गया है। रेलवे की ओर से जो भी पानी की बोतलें बेची जाती हैं, उसका मार्का पहले से ही तय होता है। लेकिन, अधिक मुनाफे के चक्कर में दूसरी बोतलों में खराब गुणवत्ता का पानी भर कर बेचा जाता है।

ट्रेनों और प्लेटफार्म पर यात्रियां की मजबूरी होती है और वे ऐसे पानी की बोतल खरीद लेते हैं। रेलवे के इस अभियान में पानी की बोतलों को लेकर भी दिशा निर्देश दिए गए हैं। चेकिंग टीम अब ट्रेनों में रेल नीर की कितनी बोतलें उपलब्ध हैं, इसको लेकर भी चेकिंग करेगी। यात्रियों को पानी अनाधिकृत मार्का का तो नहीं दिया जा रहा है, इसको लेकर भी चेकिंग होगी।

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