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एक नवंबर को भूल कर न मनाएं दीवाली, हो सकती है बड़ी हानि; 31 अक्टूबर को ही है शुभ, जानिए शुभ मुहुर्त और पूजन विधि

1 नवम्बर को प्रतिपदा विद्धा दूषित अमावस्या में दीपावली करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं और अपने धर्म की रक्षा करें। अतः 1 नवम्बर को यही धन हानि करने वाली स्थिति बन रही है व इससे पूरा समाज संकट में पड़ रहा है। इसलिए भूलकर भी 1 तारीख को दीपावली न मनाएं। इससे हानि हो सकती है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 28 Oct 2024 10:45 PM (IST)
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एक नवंबर को भूल कर न मनाएं दीवाली, हो सकती है बड़ी हानि।
जागरण संवाददाता, अंबाला। हिंदू धर्म में दीवाली के पर्व का विशेष महत्व है। हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीवाली का पर्व मनाया जाता है। दीवाली को दीपावली के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे।

इस साल दीवाली की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति है। कुछ लोगों का मत है कि 31 अक्टूबर 2024 को दीवाली मनाई जाएगी और कुछ 1 नवंबर 2024 को दीवाली मनाने की बात कह रहे हैं।

31 अक्टूबर को दीवाली मनाना शुभ

पंडित रामराज कौशिक के अनुसार, दीपावली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को ही मनाई जाती है। इस साल 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 53 मिनट से अमावस्या लग रही है, जो कि 1 नवंबर को शाम 06 बजकर 15 मिनट तक रहेगी।

हर व्रत या त्योहार में उदया तिथि देखी जाती है लेकिन दीवाली के त्योहार में प्रदोष काल का विचार किया जाता है। दीवाली के दिन सूर्यास्त के बाद दीपक जलाने का विधान है। 1 नवंबर को अमावस्या तिथि शाम के समय ही समाप्त हो जाएगी।

इस वजह से 31 अक्टूबर को दीवाली का पर्व मनाना अति उत्तम रहेगा। शस्त्रों के अनुसार अमावश्य तिथि प्रतिपदा के साथ प्रदोष काल में होने के कारण धन का नाश करती है जो 1 नवम्बर को है।

दैवज्ञ काशीनाथ भट्टाचार्य के प्रसिद्ध ग्रन्थ शीघ्रबोध में दीपावली को लेकर सीधी सीधी बात लिखी है, अब तक इसपर किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया?

दीपोत्सवस्य वेलायां प्रतिपद् दृश्यते यदि।

सा तिथिर्विबुधैस्त्याज्या यथा नारी रजस्वला॥

अर्थात-दीपोत्सव के समय यदि प्रतिपदा दिख जाए तो उस दूषित तिथि को रजस्वला की भांति त्याग कर देना चाहिए।

आषाढ़ी श्रावणी वैत्र फाल्गुनी दीपमालिका।

नन्दा विद्धा न कर्तव्या कृते धान्यक्षयो भवेत्॥

अर्थात -आषाढ़ी पूर्णिमा, रक्षाबंधन, होली और दीपावली को कभी भी नन्दा यानि प्रतिपदा से विद्ध नहीं करना चाहिए, वरना धन धान्य का क्षय होता है।

इसके अतिरिक्त स्कंदपुराण के द्वितीय भाग वैष्णवखंड के कार्तिक महात्म्य के 10वें अध्याय “दीपावली कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा महात्म्य” नामक अध्याय के श्लोक क्रमांक 11 में भगवान श्री ब्रह्माजी ने स्पष्ट कह दिया है।

“माङ्गल्यंतद्दिनेचेत्स्याद्वित्तादितस्यनश्यति।

बलेश्चप्रतिपद्दर्शाद्यदिविद्धं भविष्यति॥"

अर्थात् – अमावस्या विद्ध बलि प्रतिपदा तिथि में मोहवशात् माङ्गल्य कार्य हेतु अनुष्ठान करने से सारा धन नष्ट हो जाता है।"

1 नवम्बर को प्रतिपदा विद्धा दूषित अमावस्या में दीपावली करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाएं और अपने धर्म की रक्षा करें। अतः 1 नवम्बर को यही धन हानि करने वाली स्थिति बन रही है व इससे पूरा समाज संकट में पड़ रहा है। इसलिए भूलकर भी 1 तारीख को दीपावली न मनाएं।

दीवाली पूजन मुहूर्त

दीवाली पर प्रदोष काल व वृषभ काल पूजन के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष काल व वृषभ काल में दीवाली पूजन या लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ माना गया है। प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट से रात 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।

वृषभ काल शाम 06 बजकर 20 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस दौरान ही लक्ष्मी पूजन किया जा सकेगा।

दीपावली के पंचदिवसीय त्योहार कैलेंडर

  • धनतेरस, काली चौदस, धनवंत्री जयंती (29 अक्टूबर मंगलवार)
  • नरक चतुर्दशी, छोटी दीवाली-(30 अक्टूबर बुधवार)
  • दीपावली, लक्ष्मी पूजन (31 अक्टूबर, गुरुवार)
  • देव पूजा व पितृ अमावस्या (1 नवंबर, शुक्रवार)
  • अन्नकूट और गोवर्धन पूजा- (2 नवम्बर शनिवार)
  • भाई दूज (3 नवंबर, रविवार)
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