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दो चरणों में हुआ रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण, लेटलतीफी से बचेंगी ट्रेनें

अंबाला-चंडीगढ़ ट्रैक का दोहरीकरण दो चरणों में हुआ। इस पर 338.54 करोड़ खर्च आया। अब इस दोहरीकरण के बाद रेल तेजी से ट्रैक पर दौड़ेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 18 Mar 2018 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 11:30 AM (IST)
दो चरणों में हुआ रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण, लेटलतीफी से बचेंगी ट्रेनें

अंबाला [दीपक बहल]। पूरा ट्रैक डबल था, लेकिन बीच में केवल 45.16 किलोमीटर सिंगल ट्रैक होना दुख देता था। यात्री लेट होते थे, क्योंकि इस कारण दिल्ली-चंडीगढ़ के बीच चलने वाली ट्रेनें विलंबित राग अलापने के लिए विवश थीं। अब दप्पर से चंडीगढ़ तक का भी ट्रैक डबल हो जाने के बाद उनकी विवशता दूर हो जाएगी और वे राग द्रुत अलापेंगी।

रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की हरी झंडी मिलते ही इस पर ट्रेनें दौडऩे लगेंगी और ट्रेनों की लेटलतीफी पर कुछ हद तक अंकुश लग जाएगा।  21 मार्च को सीआरएस दप्पर से चंडीगढ़ तक बनी डबल लाइन का निरीक्षण करेंगे। इसमें रेल पटरी, रेलवे ब्रिज सहित तमाम बिंदुओं पर जांच होगी और सबकुछ ठीक मिला तो ट्रेनें दौड़ाने के लिए अनुमति मिल जाएगी। फिलहाल, इस रूट पर 48 ट्रेनें दौड़ रही हैं, जिन्हें ङ्क्षसगल ट्रैक होने कारण संरक्षा के कारण रोका भी जाता है।

रेलवे सूत्रों के मुताबिक अंबाला-चंडीगढ़ रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण के लिए 338.54 करोड़ की परियोजना पर रेलवे ने दो चरणों में काम पूरा किया। पहले चरण में अंबाला से दप्पर तक रेलवे का दोहरीकरण किया जा चुका है। अब दूसरे चरण का 22 किलोमीटर का काम भी पूरा हो गया। कुल 45.16 किलोमीटर के लंबा रेल ट्रैक है। डबल ट्रैक करने के लिए 10 बड़े और 33 छोटे पुलों का निर्माण हुआ। इस परियोजना को दिसंबर 2017 तक पूरा करना था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। सीआरएस के निरीक्षण से पहले बचे कामों को पूरा किया जा रहा है।

रेलवे के लिए बहुत महत्वपूर्ण है यह ट्रैक

रेलवे के लिए दिल्ली-चंडीगढ़ रेलमार्ग महत्वपूर्ण है। इस रूट से आठ शताब्दी एक्सप्रेस का आना-जाना है। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल के मुख्यमंत्री तक शताब्दी एक्सप्रेस में सफर करते हैं। सिंगल ट्रैक होने कारण जहां ट्रेनों की रफ्तार कम कर जाती है वहीं एक ट्रेन को क्रास करवाने के लिए दूसरी ट्रेन को बीचोंबीच रोकना रेलवे की मजबूरी है।

अब डबल ट्रैक होने कारण ट्रेनों की रफ्तार पर असर नहीं पड़ेगा। देश की पहली तेजस एक्सप्रेस भी इसी रूट से निकलेगी। रेल बजट में दिल्ली-चंडीगढ़ के बीच तेजस दौड़ाने की घोषणा के मुताबिक रेलवे को 31 मार्च 2018 तक तेजस एक्सप्रेस को ट्रैक पर उतारना है।

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