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Farmers Protest: नदियों के बीच से, कच्चे फिसलन भरे रास्तों पर..., शंभू बॉर्डर बंद होने से जान की बाजी लगाकर आवागमन कर रहे राहगीर

बीते पांच महीने से किसान शंभू बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। किसानों को रोकने के लिए हरियाणा साइड पैरामिलिट्री फोर्स और पुलिस और कंकरीट की दीवारे खड़ी कर दी गई हैं। शंभू बॉर्डर बंद होने से राहगीरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसला आने के बाद अब बॉर्डर खुलने की उम्मीद जगी है।

By Deepak Behal Edited By: Rajiv Mishra Updated: Thu, 11 Jul 2024 03:34 PM (IST)
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शंभू बॉर्डर बंद होने से नदी के बीच से गुजर रहे हैं लोग (फाइल फोटो)
दीपक बहल, अंबाला। हरियाणा-पंजाब को जोड़ने वाला शंभू बॉर्डर पांच माह से सील है। हरियाणा की तरफ कंकरीट की दीवारें बनाकर पैरामिलिट्री फोर्स और हरियाणा पुलिस तैनात है, पंजाब की ओर किसान डटे हए हैं। किसान ट्रैक्टरों पर दिल्ली कूच करना चाहते हैं, लेकिन बैरिकेट्स लगा उनको रोक रखा है।

पांच माह से राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने से जहां अंबाला के कारोबारियों का कारोबार ठप होता जा रहा है, वहीं आमजन को भी परेशानी हो रही है। यहां तक कि चंडीगढ़ तक जाने का सफर भी अब बढ़ गया है, क्योंकि शंभू बॉर्डर से जाने वाले लोग चंडीगढ़ के रास्ते ही पंजाब या अन्य जगह पहुंच रहे हैं।

नदी के बीच से आवाजाही कर रहे हैं लोग

परेशानी वाली बात यह है कि जो लोग अंबाला से पंजाब या पंजाब से अंबाला आते जाते थे, उन्होंने नदियों के बीच से मौत का रास्ता चुन रखा है। इसी रास्ते से लोग रोजाना आ-जा रहे हैं और कुछ लोगों के दोपहिया वाहन नदी में भी गिर चुके हैं।

एक रास्ते को बंद करने के लिए रेलवे ने खोदाई करके स्लीपर गाड़ दिए, लेकिन शार्टकट रास्ता बंद होने से लोगों ने इसे उखाड़ फेंका। बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद उम्मीद जगी है कि अब यह बार्डर खुल सकता है।

हालांकि हरियाणा सरकार हाईकोर्ट के फैसले को तेजी से अमल में लाएगा या फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी यह आने वाला समय बताएगा। किंतु हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद आमजन ही नहीं बल्कि कारोबारी भी खुश हो गए हैं।

दिल्ली कूच को रोकने को बना रखी हैं दीवारें

किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली कूच का एलान कर रखा था लेकिन हरियणा सरकार यह अपील कर रही थी कि वे ट्रैक्टरों की जगह पैदल या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाएं। इसको लेकर हरियाणा सीमा की ओर कंकरीट की दीवारें बना दी गई और पुलिस बल व पैरामिलिट्री फोर्स खड़ी कर दी गई।

कुछ दिनों तक तो शंभू बार्डर पर नोकझोंक और स्थिति नियंत्रण में करने के लिए आंसू गैस के गोले और रबड़ की गोलियां भी चलानी पड़ीं। बाद में धीरे-धीरे तनाव कम हो गया लेकिन दोनों ओर ही फोर्स और किसान डटे रहे।

इसका नुकसान सीधे तौर पर अंबाला शहर के कारोबारियों को होने लगा। क्योंकि जो लोग कारोबार या जाब के लिए अंबाला आते थे, उनका रुख चंडीगढ़, पटियाला या अन्य स्थान पर हो गया।

बनूड़ का रास्ता ही बचा था विकल्प

शंभू से पंजाब के राजपुरा, लुधियाना आदि को जाने वाले लोगों के लिए बनूड़ ही एक रास्ता बच गया। अंबाला-चंडीगढ़ हाईवे पर एक रोड बनूड़ को जाती है। यह रूट बंद होने से लोग चंडीगढ़ हाईवे पर बनूड़ के रास्ते से जाना शुरू हो गए।

ऐसे में चंडीगढ़ जाने के लिए भी रोजाना जाम की स्थिति होने लगी। यदि बनूड़ का रेल फाटक बंद होता तो चंडीगढ़ हाईवे पर दूर-दूर तक वाहनों की कतारें लग जाती और जाम की स्थिति बनी रहती।

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कच्चे रास्तों से जाने को मजबूर हुए लोग

हरियाणा पंजाब सीमा पर सटे कई गांवों में लोगों का आना-जाना रोजाना की दिनचर्या का हिस्सा है। चाहे दूध वाला हो या फिर फेरी वाले ऐसे कई लोगों ने कच्चे रास्तों को आवाजाही का माध्यम बना लिया।

नदी के बीचों बीच बने कच्चे रास्तों से दोपहिया वाहन नदी में भी गिर गए। मजबूरन लोगों को इस मौत के रास्ते काे चुनना पड़ा, क्योंकि दूसरा रास्ता लंबा है और जेबें भी हल्की हो रहीं हैं।

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