Haryana Nuh Violence: मिर्चपुर कांड से लेकर नूंह हिंसा तक... कब-कब दंगों की आग में जला हरियाणा?
हरियाणा कई बार दंगों की आग में झुलस चुका है। चाहे वो फिर जाट आरक्षण आंदोलन हो बल्लभगढ़ दंगे हों और या फिर होंद चिल्लर हत्याकांड हो। हरियाणा के कई मासूम लोग इन दंगों में अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ उपद्रवियों के कारण सैकड़ों लोगों की जिंदगियां दंगों के कारण बर्बाद हुई है। चलिए अब आपको इन दंगों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
चंडीगढ़, जागरण डिजिटल डेस्क। हरियाणा के नूंह, गुरुग्राम और सोहना में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। मंगलवार को नूंह जिले (Nuh Violence) में बृज मंडल यात्रा निकाली जा रही थी। इस यात्रा के दौरान अचानक कुछ उपद्रवियों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए। इसके बाद दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई।
हिंसा की शुरुआत पत्थरबाजी से हुई और इसके बाद उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। दर्जनों लोगों के घायल होने की खबर है। हिंसा में कुल सात लोगों की मौत हुई है। मृतकों में दो पुलिस कर्मचारी भी शामिल हैं। हिंसक झड़प के बाद जिला प्रशासन ने नूंह में कर्फ्यू लगा दिया। साथ ही गुरुग्राम और सोहना में धारा-144 लागू कर दी गई। वहीं, खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि हरियाणा इस तरह के दंगे और हिंसा की आग (Haryana Violence News) में सुलग रहा है। इससे पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। चाहे वो फिर जाट आंदोलन हो, बल्लभगढ़ दंगे हों और या फिर होंद चिल्लर हत्याकांड हो। हरियाणा के कई मासूम लोग इन दंगों में अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ उपद्रवियों के कारण सैकड़ों लोगों की जिंदगियां दंगों के कारण बर्बाद हुई है। चलिए अब आपको इन दंगों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
हरियाणा का मिर्चपुर कांड
मिर्चपुर कांड (हिसार जिला) को हरियाणा के इतिहास में काले अक्षरों से लिखा गया है। यह वो घटना है जब कुछ दबंगों ने दलित बस्ती में बर्बरता का नंगा नाच किया था। यह दिल दहला देने वाली घटना बेहद मामूली सी बात पर हुई थी। 13 साल पहले हिसार के मिर्चपुर (Mirchpur Kand) में दलित बस्ती से एक दबंग परिवार का दामाद गुजर रहा था। इसी दौरान उस शख्स पर एक कुत्ते ने भौंकना शुरू कर दिया। बस इतनी सी बात पर दबंगों ने दलितों के साथ झगड़ा शुरू कर दिया।
हालात ये हो गए कि दबंगों ने पूरी दलित बस्ती में आग लगा दी। इसमें 70 साल के बुर्जुग ताराचंद और उनकी दिव्यांग बेटी सुमन जिंदा जल गए। करीब 52 अन्य लोग झुलस गए थे। इसके बाद दंगे की आंच पूरे हरियाणा में फैल गई। नेताओं ने भी राजनीति शुरू कर दी। मिर्चपुर को पुलिस छावनी में तब्दील करना पड़ा। हालात ये हो गए कि जनवरी, 2011 में 130 से ज्यादा दलित परिवारों ने गांव से ही पलायन कर लिया।
जाट आरक्षण आंदोलन
साल 2016 में हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन (Jat Andolan) हुआ था। हालांकि, यह आंदोलन देखते ही देखते दंगों में तब्दील हो गया था। करीब 10 से 15 दिनों तक पूरे हरियाणा में इसका असर देखने को मिला। इसका सबसे ज्यादा असर रोहतक जिले में देखने को मिला। राज्य की प्रॉपर्टी को खूब नुकसान पहुंचाया गया। दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया। सड़कों पर गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
20 फरवरी, 2016 को उपद्रवियों ने कथित तौर पर दो समुदायों की दुकानों को जला दिया। हिंसा को नियंत्रित करने के लिए तैनात सुरक्षाकर्मियों ने गोलीबारी की, जिसमें 3 युवकों की मौत हो गई। बाद में बवाल और बढ़ गया। 25 फरवरी तक अनुमान लगाया गया कि दंगों में 20 हजार करोड़ का नुकसान हुआ।
पंचकूला के दंगे
25 अगस्त, 2017 को डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दुष्कर्म का दोषी ठहराए जाने के बाद उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क उठे। इन दंगों की शुरुआत हरियाणा के पंचकूला जिले से हुई। हालांकि, बाद में दंगों की आग पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजधानी नई दिल्ली के अन्य हिस्सों में फैल गई। इन दंगों में कम से कम 41 लोगों की जान गई थी। सबसे ज्यादा मौतें पंचकूला (Panchkula Riots) में हुईं थी।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 32 लोगों की कथित तौर पर पुलिस की फायरिंग से मौत हुई थी। जबकि 300 से अधिक घायल हुए थे। राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद उसके समर्थकों ने वाहनों, सरकारी भवनों, पेट्रोल स्टेशनों, मीडिया वैन और रेलवे स्टेशनों में आग लगा दी। राम रहीम को दोषी ठहराए जाने की खबर सुनकर उसके अनुयायी लाठियां लहराते हुए सड़कों पर निकल आए और पत्थरबाजी शुरू की।
बल्लभगढ़ के दंगे
हरियाणा के फरीदाबाद जिले में बल्लभगढ़ एक तहसील है। यहां साल 2015 में दंगे (Ballabhgarh Riots) भड़क उठे थे। हरियाणा वक्फ बोर्ड को आवंटित मस्जिद की जमीन के मुद्दे पर स्थानीय लोगों ने अटाली गांव में 400 विशेष समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था। वह सभी लोग बाद में गांव से पलायन कर गए थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, 30 साल पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद था।
2009 में गांव के एक समुदाय ने दावा किया कि संपत्ति ग्राम पंचायत की है, जबकि दूसरे समुदाय के लोगों ने जोर देकर कहा कि जमीन हरियाणा वक्फ बोर्ड की है। मार्च 2015 में फरीदाबाद कोर्ट ने विशेष समुदाय के पक्ष में फैसला सुनाया। लेकिन दूसरे समुदाय के लोग इस पर लगातार आपत्ति जताते रहे।
अंत में बाद इतनी बढ़ गई कि मस्जिद का विवाद एक दंगे के रूप में तब्दील हो गया। करीब दो हजार लोगों की भीड़ ने तलवारों, ईंटों और आग का उपयोग करके गांव पर हमला किया। कई जगह आग भी लगाई गई। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि विशेष समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया। इन दंगों में कई बेकसूर लोग घायल हुए।
होंद चिल्लर नरसंहार
होंद चिल्लर नरसंहार (Hondh-Chillar Massacre) ने पूरे हरियाणा को झकझोर कर रखा दिया था। इस नरसंहार का संबंध 1984 के सिख विरोधी दंगों से है। होंद चिल्लर गांव को रेवाड़ी जिले में आजादी के बाद पाकिस्तान से आए एक विशेष समुदाय के लोगों ने बसाया था। अक्बूटर 1984 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की गई तो कथित तौर पर उपद्रवियों ने, जो एक विशेष पार्टी से संबंध रखते थे, होंध गांव के 32 लोगों की हत्या कर दी। उपद्रवियों ने गांव के कई घरों और भवनों को भी आग के हवाले कर दिया था।