हरियाणा में अब 20 हजार आशा वर्कर जाएंगी हड़ताल पर, आठ अगस्त से नहीं करेंगी काम; जानें क्या है इनकी मांग
आशा वर्कर यूनियन की प्रदेशाध्यक्ष सुरेखा ने कहा कि आशा वर्कर्स को काम से हटाने के धमकी भरे पत्र भेजे जा रहे हैं। उन्हें बिना मानदेय दिए ऑनलाइन काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पिछले तीन वर्ष से आशा वर्कर अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर बार-बार स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार को पत्र लिख रही हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। मांगों को लेकर एक महीने से हड़ताल पर चल रहे लिपिकों को सरकार अभी मना भी नहीं पाई है कि आशा वर्कर यूनियन ने आठ अगस्त से हड़ताल (Haryana Asha Workers Strike) पर जाने की चेतावनी दे डाली है। सोमवार तक मांगें पूरी नहीं हुई तो मंगलवार से 20 हजार आशा वर्करों की हड़ताल शुरू होगी जो तीन दिन चलेगी।
आशा वर्कर यूनियन (Asha Worker Union) की प्रदेशाध्यक्ष सुरेखा व महासचिव सुनीता ने कहा कि आशा वर्कर्स को काम से हटाने के धमकी भरे पत्र भेजे जा रहे हैं। उन्हें बिना मानदेय दिए ऑनलाइन काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पिछले तीन वर्ष से आशा वर्कर अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर बार-बार स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों और सरकार को पत्र लिख रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
'जिन्हें पूरी दुनिया में मिला सम्मान, उन्हीं को दबा रही सरकार'
उन्होंने कहा कि कोरोना माहमारी में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम करने वाली आशा वर्कर्स को वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन द्वारा ग्लोबल हेल्थ लीडर्स के अवार्ड से सम्मानित किया गया है। जिन आशा वर्कर्स को पूरी दुनिया में सम्मान मिला है, उन्हीं आशा वर्कर्स को प्रदेश सरकार दबाने में लगी है। आज जिन परिस्थितियों में आशा वर्कर्स कार्य कर रही हैं, वह परिस्थितियां बेहद गंभीर हैं।
'पांच साल में नहीं हुई मानदेय में बढ़ोतरी'
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले पांच साल से राज्य सरकार द्वारा आशाओं के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसी तरह 12 साल से केंद्र सरकार द्वारा आशाओं के इंसेटिंव में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। सरकार को तुरंत प्रभाव से आशा वर्कर्स की समस्याओं और मांगों का समाधान करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर मांगों और समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो आठ अगस्त से तीन दिन की हड़ताल करेंगी जिसके लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार होंगे।