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हरियाणा कांग्रेस को फिर ले डूबेगी गुटबाजी? 2019 में इसी वजह से मिली थी हार, हुड्डा भी कर चुके हैं स्वीकार

Haryana Congress में एक बार फिर कलह देखने को मिल रही है। जब-जब लगता है कि पार्टी के नेता एकजुट हो गए हैं तभी कुछ ऐसा हो जाता है कि सब किए कराए पर पानी फिर जाता है। हाल ही में जब हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी चंडीगढ़ पहुंचे तो हुड्डा और सैलजा ने एक दूसरे पर बिना नाम लिए कई आरोप लगाए। हुड्डा ने किरण चौधरी पर भी निशाना साधा।

By Rajat MouryaEdited By: Rajat MouryaUpdated: Tue, 27 Jun 2023 05:35 PM (IST)
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हरियाणा कांग्रेस को फिर ले डूबेगी गुटबाजी? 2019 में इसी वजह से मिली थी हार। फोटो- जागरण

चंडीगढ़, जागरण डिजिटल डेस्क। हरियाणा कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी देखने को मिल रही है। ऐसे में फिर से सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि क्या कांग्रेस दोबारा अंदरूनी कलह के चलते चुनावों में मुंह की खाएगी। ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा कि कांग्रेस अपने अतीत से कुछ सीखना ही नहीं चाहती। कांग्रेस ने अपने नवनियुक्त प्रभारी दीपक बाबरिया (Deepak Babaria) के सामने एक बार फिर पार्टी की कलह को उजागर कर दिया। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने ये बताने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी कि वो पार्टी से पहले खुद को आगे रहते हैं।

दरअसल, कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी के वरिष्ठ नेता दीपक बाबरिया को प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया है। उनको पार्टी नेताओं और विधायकों के साथ बैठक करने के लिए कहा गया। वे 24 जून को चंडीगढ़ पहुंचे। पहले दिन की बैठक में ही बवाल हो गया। मंच पर उनके साथ भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा, किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेता मौजूद रहे।

बैठक में ही हुड्डा गुट के समर्थकों ने नारेबाजी कर दी। ये बताने की कोशिश की गई कि हुड्डा ही हरियाणा कांग्रेस का चेहरा हैं। अब यहां हैरानी की बात तो यह कि हुड्डा के लिए ये नारेबाजी उस दौरान हुई जब सैलजा ने मंच पर अपना संबोधन शुरू किया। इससे साफ नजर आया कि कांग्रेस धड़ों में बंटी हुई है। बाद में सैलजा (Kumari Selja) मीडिया छोड़ बाहर निकल आईं और मीडिया से कहा कि समर्थकों का अपने नेता के लिए नारेबाजी करना स्वाभाविक है। दीपक बाबरिया को भी कहना पड़ा कि मीटिंग में इस तरह की नारेबाजी ठीक बात नहीं है।

हरियाणा कांग्रेस में चार गुट

हरियाणा कांग्रेस में चार गुट हैं, जिनकी चर्चा हर चुनाव से पहले होती है। एक गुट है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का, एक गुट है पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का, एक गुट है पूर्व सीएलपी लीडर किरण चौधरी का और एक गुट है कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला का। समय-समय पर इन गुटों में कलह देखने को मिली है।

किरण चौधरी और उदयभान में विवाद, हुड्डा ने अब दिया जवाब

कांग्रेस ने पिछले साल उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी। इसके बाद आदमपुर सीट पर उपचुनाव हुआ और पार्टी को हार मिली। नतीजे से नाखुश किरण चौधरी ने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान पर गंभीर आरोप लगाए। किरण चौधरी ने कहा कि वह (उदयभान) उनको मौका नहीं देते हैं और न ही सम्मान के साथ बात करते हैं। इससे पहले, उदयभान ने कहा था कि वह किसी हैसियत में नहीं कि चुनाव को लेकर चर्चा की जाए। इस पर किरण चौधरी ने कहा कि वह पांच बार विधायक रह चुकी हैं और वह मुझे नजरअंदाज करते हैं।

इसी मामले को लेकर अब भूपेंद्र हुड्डा (Bhupinder Hooda) ने इतने दिनों बाद अपनी भड़ास निकाली। हुड्डा ने किरण चौधरी के सामन कहा, "जो लोग चौधरी उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष मानने से इन्कार करते हैं, वह किस मुंह से अनुशासन की बात कर रहे हैं। उदयभान को कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। ऐसे में उनके खिलाफ होने वाली टिप्पणियों को भी अनुशासनहीनता माना जाना चाहिए।" हुड्डा ने ये भी कहा कि बार-बार पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां और बयानबाजी करने वालों को अपने भीतर झांकना चाहिए।

यही गुटबाजी कांग्रेस को ले डूबी

कांग्रेस (Congress) को इसी गुटबाजी की वजह से 2019 के चुनावों में हार मिली थी। ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि खुद भूपेंद्र हुड्डा ने स्वीकार की है। प्रबारी दीपक बाबरिया के साथ हुई बैठक में हुड्डा ने बताया कि 2019 में ही कांग्रेस की सरकार बनना तय था लेकिन हमारे स्तर पर ही गलती हुई, जिसका आकलन जरूरी है। हुड्डा ने बातों ही बातों में टिकट बंटवारे की तरफ प्रभारी का ध्यान खींचा। 90 में से 40 टिकट हुड्डा विरोधी खेमों को मिली थी।

हुड्डा का कहना था कि हमें यह देखना होगा कि इनमें से कितने जीते। अगर टिकट वितरण सही होता तो कांग्रेस की सरकार राज्य में बनी होती। हुड्डा ने रणदीप सुरजेवाला का नाम लिए बिना कहा कि कुछ नेताओं को कांग्रेस का कुनबा बढ़ने से दिक्कत है।

गुटबाजी के चलते नहीं बना संगठन

नौ साल से ज्यादा का समय हो चुका है और कांग्रेस पार्टी सिर्फ अध्यक्ष के भरोसे चल रही है। 2009 से 2014 तक भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा के सीएम रहे, लेकिन इस दौरान भी वह हरियाणा में कांग्रेस का संगठन नहीं खड़ा कर पाए। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और कुमारी सैलजा के बीच मनमुटाव के चलते संगठन नहीं खड़ा हो पाया। इसके बाद प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और कांग्रेस पार्टी में अलग-अलग ग्रुप होने के चलते संगठन नहीं बन सका। कांग्रेस के चार गुट सिर्फ एक-दूसरे की टांग खींचने में ही व्यस्त रहे।

अभी भी संगठन पर नहीं बनी बात

दीपक बाबरिया के सामने हरियाणा में संगठन को खड़ा करना एक बड़ी चुनौती है। वह संगठन बनाने के लिए दिल्ली से चंडीगढ़ आए थे, लेकिन गुटबाजी के चलते फिर फैसला नहीं हो पाया। दो दिन की बैठक के बाद बाबरिया दिल्ली चले गए। अब वह दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं और विधायकों से मिलेंगे और फीडबैक लेने के बाद संगठन पर फैसला करेंगे। उन्होंने कुछ नेताओं को वन-टू-वन मुलाकात के लिए भी बुलाया है। कांग्रेस के कई विधायकों ने भी दीपक बाबरिया से कहा कि अगर गुटबाजी खत्म नहीं हुई तो 2019 की तरह 2024 में भी कांग्रेस को हार ही मिलेगी।

हुड्डा के वादों पर भी सियासत

भूपेंद्र सिंह हुड्डा इन दिनों जगह-जगह रैलियां कर रहे हैं और जनता से वादे भी कर रहे हैं। भूपेंद्र हुड्डा के बेटे व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी दीपक बाबरिया के सामने संकल्प पत्र पेश किया। जिसमें कई घोषणाएं की गईं। इन घोषणाओं पर कुमारी सैलजा ने एतराज जताया। सैलजा ने कहा कि यह संकल्प पत्र कांग्रेस का नहीं है, कांग्रेस का घोषणा पत्र कांग्रेस मेनिफेस्टो कमेटी बनाती है। सुरजेवाला ने भी इसपर आपत्ति जताई।

इसके बाद, हुड्डा ने कहा कि तमाम घोषणाएं बाकायदा संगठन में सहमति, उनके बजट व क्रियान्वयन का आकलन करने के बाद की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर राजस्थान की कांग्रेस सरकार 500 रुपये में गैस सिलेंडर दे सकती है, तो हरियाणा सरकार क्यों नहीं देगी। अगर कांग्रेस की बाकी सरकारें कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ दे सकती हैं तो हरियाणा के कर्मचारियों को पेंशन देने की घोषणा का विरोध कहां तक उचित है।

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