Move to Jagran APP

Haryana: स्कूलों में फर्जी दाखिले के दोषियों पर लटकी तलवार, HC ने कड़ा रुख अपनाया; CBI से मांगी जांच रिपोर्ट

Haryana News कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कहा कि कोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार की एसआइटी ने नवम्बर 2019 में सीबीआई को सील बंद रिपोर्ट सौंपा था। कोर्ट ने तीन सप्ताह में सीबीआइ को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया था लेकिन सीबीआइ ने आज तक स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी। CBI को हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है।

By Dayanand SharmaEdited By: Mohammad SameerUpdated: Mon, 31 Jul 2023 05:30 AM (IST)
Hero Image
सीबीआइ को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, सरकारी स्कूलों में लाखों बच्चों के फर्जी एडमिशन दिखाने का मामला।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में चार लाख बोगस प्रवेश दिखाने के मामले में हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपना लिया है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न होने व जांच के प्रति गंभीर न होने पर कोर्ट ने सीबीआइ को जमकर फटकार लगाई ।

तीन सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश

कोर्ट ने सीबीआइ को आदेश दिया है कि तीन सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट व इस मामले से जुड़े रिकार्ड कोर्ट में पेश करे। हाई कोर्ट के जस्टिस राज मोहन सिंह जस्टिस एच एस बराड़ ने यह आदेश करनाल निवासी सुनील कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

हरियाणा के किसानों के 266 करोड़ अभी भी बकाया, दीपेंद्र हुड्डा ने सरकार से पूछा- अब तक क्यों नहीं हुआ भुगतान

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि कहा कि कोर्ट के आदेश पर हरियाणा सरकार की एसआइटी ने नवम्बर 2019 में सीबीआई को सील बंद रिपोर्ट सौंपा था।

कोर्ट ने तीन सप्ताह में सीबीआइ को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया था लेकिन सीबीआइ ने आज तक स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी। सीबीआइ की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट के जांच करने के आदेश के खिलाफ सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी थी।

'सांसद-विधायक मुफ्त की सुविधाएं ले सकते हैं तो जनता क्यों नहीं', AAP नेता अशोक तंवर ने CM मनोहर लाल से पूछा

इस पर याची के वकील शिवम मलिक बेंच ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई। इस पर कोर्ट ने कहा फिर सीबीआइ ने हाई कोर्ट के आदेशानुसार तीन सप्ताह में जांच पूरी क्यों नहीं की। हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सीबीआइ को आदेश दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट में मामले का रिकार्ड व अगर सीबीआइ ने कोई कोई जांच की है तो उसकी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।

साल 2016 का है मामला

मामला 2016 का है जब गेस्ट शिक्षकों को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने अपील दाखिल की थी। इस दौरान कोर्ट के सामने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए थे। कोर्ट ने पाया था कि 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे जबकि 2015-16 में इनकी संख्या घटकर मात्र 18 लाख रह गई थी।

हाई कोर्ट ने इस पर हरियाणा सरकार से पूछा था कि अचानक चार लाख बच्चे कहां गायब हो गए जिस पर हरियाणा सरकार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई थी। इस पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि चार लाख फर्जी दाखिले कर सरकारी राशि हड़पने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

इसके लिए सरकार अधिकारियों की एक कमेटी बनाए जो यह देखें कि फर्जी दाखिले फंड का हड़पने के लिए थे या सरप्लस गेस्ट टीचर को बचाने के लिए। इस मामले में सीनियर आईपीएस अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपने के आदेश दिए गए थे। इसके स्थान पर रिटायर सेशन जज को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया था जिस पर हाई कोर्ट ने सरकार को खरी-खरी सुनाई थी।

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल को तलब किया था और पूछा था कि अब कोर्ट को शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भरोसा नहीं है तो यह बताया जाए कि इस मामले निष्पक्ष जांच किस एजेंसी से करवाई जाए। एजी ने कोर्ट को विजिलेंस से इस मामले की जांच करने की सलाह दी थी। बाद में हाई कोर्ट ने दो नवम्बर 2019 को मामला सीबीआइ को सौंप दिया था।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।