'कोई हवा में तोते उड़ाता है तो उड़ाता रहे...' विशेष बातचीत में स्वास्थ्य विभाग वापस लिए जाने पर अनिल विज का खुलासा
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज चाय पर चर्चा कार्यक्रम के तहत दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे। जहां उनसे कई सवाल किए गए। गृह मंत्री से स्वास्थ्य विभाग वापस लेने की अटकलों पर उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि अफवाहें तो चलती रहती हैं और इन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती। यदि बयान आएगा तो इसका जवाब दिया जाएगा।
दीपक बहल, अंबाला। Exclusive Interview with Anil Vij: हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज (Anil Vij) मंगलवार को 'चाय पर चर्चा' कार्यक्रम के तहत दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे।
स्वास्थ्य विभाग लेकर डॉ. कमल गुप्ता को देने की अटकलों के बीच में विज ने कहा प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से रोजाना काम को लेकर बात होती है। अफवाहों को लेकर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी जाती। जब किसी का बयान आएगा, तो उसका जवाब दिया जाएगा। कोई हवा में तोते उड़ा रहे हैं तो उड़ाते रहें।
सीएम साहब से काम को लेकर बात होती है। इस समय राज्य के 372 पुलिस कर्मचारियों को निलंबित करने के फैसले के पीछे विज ने कहा कि लंबे समय से जवाबतलबी की जा रही है, लेकिन न तो संतोषजनक जवाब मिल पा रहा था और न ही मुकदमों का निपटारा हो रहा था।
इसलिए पुलिस महकमे में निलंबित करने के आदेश को दूसरे विभागों को भी मैसेज देने के लिए किया गया है। जागरण ने गृह मंत्री से कई सवाल पूछे। वहीं, मंत्री अनिल विज ने सभी सवालों के बेबाकी से जवाब दिए। पेश हैं बातचीत के अंश-
सवाल : क्या आपसे स्वास्थ्य विभाग वापस लिया जा रहा है?
जवाब : अफवाहें तो चलती रहती हैं और इन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती। सीएम से रोजाना बात होती रहती है। जब कोई इसको लेकर बयान देगा तो उसका जवाब भी दे दिया जाएगा।
सवाल : स्वास्थ्य महकमे की फाइलें अक्टूबर से निकाली नहीं जा रही, इसको लेकर कोई नाराजगी चल रही है ?
जवाब : फाइलें न निकालने को लेकर मैंने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। सार्वजिनक मंचों से जो बोलता हूं सच बोतला हूं। जो भी अधिकारी काम में रोड़ा अटका रहा है। मुझे काम करना और कराना आता है। ऐसे लंगड़ी मार अधिकारियों को बहुत देखा है, खूब निपटा हूं। जानबूझकर फाइलों को अपने निजी स्वार्थ को लेकर रोकते हैं।
सवाल : प्रदेश में 372 पुलिस कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया है, ऐसा करके क्या मैसेज देना चाहते हैं ?
जवाब: यह फैसला एक दिन में नहीं लिया गया। एक एफआईआर दर्ज करके कई-कई साल लोगों को इंसाफ नहीं दिया जाता। इसलिए गाइडलाइन बनाई गई थी कि फाइलों का निपटारा कैसे होगा और किस स्तर के अधिकारी उसे चेक करेंगे। फाइल को डीएसपी, एसपी और आईजी तक चेक करेंगे।
लेकिन जब बाद में डिटेल मांगी तो 3229 मामलों में संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जिसके चलते यह फैसला लेना पड़ा, ताकि दूसरे महकमों के भी वरिष्ठ अफसरों की आंखें खुलें। इसके अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं बचा था।
सवाल : किस-किस रैंक तक के अधिकारी सूची में शामिल हुए ?
जवाब: पुलिस महकमे के जिन 372 कर्मचारियों की सूची जारी हुई है, उसमें एएसपी रैंक तक के अधिकारी शामिल हैं। जांच अधिकारी कोई भी हो सकता है, लेकिन इनको निलंबन की कार्रवाई के लिए सिफारिश की गई है। यह कदम सभी विभाग की आंखें खोलने के लिए उठाया गया है, जो अधिकारी बैठे हैं स्क्रूटनी करें।
सवाल : जनता दरबार नहीं लगाया जा रहा अब कब से शुरू करने की उम्मीद है?
जवाब : प्रदेश की जनता के लिए अंबाला छावनी में जनता दरबार लगाया जाता था, जिसमें देर रात तक अफसरों को फोन कर जवाब तलब किया जाता था। मुख्यमंत्री की ओर से सभी डीसी और एसपी को कार्यालय में जनता की समस्याएं सुनने को कहा गया था। जनता दरबार को लेकर भी नीति बनाई जा रही है। ऐसे में नीति बनने से पहले दरबार लगाना ठीक नहीं। हालांकि अंबाला छावनी की जनता के लिए उनके घर
के दरवाजे चौबीस घंटे खुले हैं और लोग आ भी रहे हैं।
आजादी के बाद अंबाला छावनी की तस्वीर बदलने या फिर कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट आया है तो उसे मैं ही लेकर आया हूं। 1966 में भी अंबाला छावनी में राजकीय कॉलेज की जरूरत थी, लेकिन दशकों के बाद मेरे विधायक बनने के बाद यह कॉलेज अंबाला को मिला। मंत्री से लेकर पूर्व मुख्यमंत्रियों ने शिलान्यास का पत्थर रखा, लेकिन अनाज मंडी मैंने ही बनाकर दी है।
अंबाला छावनी में कई प्रोजेक्ट पर चल रहा काम
अंबाला छावनी में शहीदी स्मारक, फीफा से अप्रूव्ड अंतरराष्ट्रीय स्तर का फुटबाल स्टेडियम, साइंस म्यूजियम, एयरपोर्ट, होम्योपैथिक कॉलेज एवं अस्पताल, एनीसीडीसी जैसे प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है, जिनमें से कुछ तो जल्द ही पूरा होने वाले हैं। यह बातें प्रदेश के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने अंबाला दैनिक जागरण कार्यालय में चाय पर चर्चा कार्यक्रम के दौरान कही।
'दिन निकलने के बाद मुर्गा बांग दे तो कोई फायदा नहीं'
अंबाला छावनी में सड़कों को मंजूरी ही नहीं मिली बल्कि बजट भी आ चुका है। कुछ नेता हैं, जो अब विरोध कर रहे हैं, जबकि काम शुरू हो चुके हैं। विज बोले विरोध हम भी करते थे, लेकिन कार्य मंजूर न होने पर, लेकिन अब तो जो कार्य मंजूर हो चुका है बजट आ चुका है, उसके बाद प्रदर्शन हो रहे हैं। विपक्ष का काम विरोध करना है, लेकिन मुर्गा यदि दिन निकलने के बाद बांग दे तो कोई फायदा नहीं है।
सवाल : सड़कें बनाने के काम में देरी क्यों है ?
जवाब : पहले एक-दो सड़कें मंजूर होकर बजट पास होता था। लेकिन अब दो सौ सड़कें तक बनाने के टेंडर हो चुके हैं। अगर कोई कहे पैसेंजर गाड़ी है और उससे उम्मीद करें कि वो शताब्दी की रफ्तार से चले, ऐसा तो नहीं हो सकता। वो धीरे-धीरे ही अपने गंतव्य तक पहुंचेगी और पहुंच जाएगी। काम तो कर रहे हैं। सड़कें बनाने से पहले कई औपचारिकताएं होती हैं।
सवाल: सड़कें न बनने पर गड्ढा यात्रा को कैसे देखते हैं ?
जवाब : अच्छी बात है? ये तो विपक्ष का काम है। वो तो मंजूर हेाने के बाद यात्रा निकाल रहे हैं। हम भी करते थे आंदोलन, हम मंजूर होने से पहले करते थे, ये मंजूर होने के बाद करते हैं। इनको भी पता है कि ये मंजूर हो चुकी हैं। फिर भी क्रेडिट लेने के लिए ऐसी यात्राओं को दिखावे के लिए निकाल रहे हैं।
सवाल : हरियाणा गठन के बाद अंबाला छावनी की बदली हुई तस्वीर को किस तरह से देखते हैं ?
जवाब : ऐसा है राजनीति में प्रत्येक आदमी अपना कोई न कोई एजेंडा लेकर आता है और वो उस एजेंडे पर ही काम करता है, दूसरे पर नहीं।अब हमारा तो नारा यही है काम किया है काम करेंगे, तो लगातार हम काम करते रहते हैं। मैंने सरकारी कॉलेज बनवाया, जबकि हमारे जिले से दो-दो एजुकेशन मिनिस्टर रहे।
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छावनी की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की समस्या हल करवाई, नहरी पानी का प्रोजेक्ट लाया। बिजली समस्या थी, तो किसी ने चिंता नहीं की। तेपला सब स्टेशन 220 केवी का बनवा दिया और दूसरा अंबाला कैंट को शाहबाद तक 66केवी के दो सर्किट डालकर दिए। अब भी बिजली चली जाती है लेकिन अब वो धरना प्रदर्शन नहीं है। ढेरों प्रोजेक्ट आए हैं।
सवाल : शहीदी स्मारक कब तक पूरा होगा और कौन शुभारंभ करेगा ?
जवाब : आजादी की लड़ाई अंबाला छावनी से शुरू हुई। कांग्रेस ने सबको ये बताया कि हमने लड़ी किताबों में भी यही पढ़ाया। कांग्रेस का जन्म हुआ था 1885 में हुआ, जबकि उससे 28 साल पहले 1857 में आजादी की पहली लड़ाई हुई। शहीद स्मारक भी फरवरी-मार्च तक पूरा हो जाएगा। कोशिश है कि इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करें।
सवाल: सुना है कि राफेल की वजह से प्रोजेक्ट उड़ान में दिक्कत आ रही थी ?
जवाब : इसलिए तो समय लग गया। यह सही है कि सेना की जमीन को लेना आसान नहीं था, लेकिन हमने यह भी किया। समय लगा, लेकिन सारी औपचारिकताएं पूरी हुई।
सवाल: कैंट में प्रोजेक्ट आए हैं, एयरपोर्ट भी शुरू हो जाएगा, इसे कैसे देखते हैं ?
जवाब: कैंट में जितना काम मैंने कराया किसी ने नहीं कराया। छावनी में सब डिवीजन बनाया, लघु सचिवालय बनाकर दिया, जहां 35 सरकारी दफ्तर एक ही छत के नीचे हैं। बैंडमिंटन हाल, योगशालाएं, सुभाष पार्क बनाया। अंबाला कैंट अस्पताल मं जहां डेढ़ सौ की ओपीडी होती थी आज यह तीन हजार से अधिक की है। जिस अस्पताल में पट्टी तक नहीं होती थी वहां अब प्लास्टिक सर्जरी हो रही है। हार्ट सेंटर, डायलिसिस सेंटर, कैंसर अस्पताल भी दिया है।
सवाल: टोटल कितने करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट आ चुके हैं अंबाला के लिए
जवाब : मैं कोई ऐसी फिगर पर ध्यान नहीं देता, काम करता रहता हूं। काम कराने की ओर ध्यान देता हूं। 110 करोड़ रुपया सारी सड़कों के लिए कमेटी के पास आ गया है। टेंडर हो रहे हैं काम हो रहा है पहले सीवरेज डल रहा था, स्ट्राम वाटर ड्रेनेज चल रहा था। रोजाना इन कार्यों की रिपोर्ट ले रहा हूं।
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