Haryana News: ट्रेन रद हो या फिर डायवर्ट, यात्री को महज 24 घंटे में मिलेगा रिफंड; पायलट प्रोजेक्ट पर चल रहा काम
रेलवे एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। यदि ट्रेन किसी वजह से ट्रेन डायवर्ट या फिर रद हो जाती है। उस स्थिति में यात्री को महज 24 घंटे के अंदर रिफंड दिया जाएगा। मौजूदा समय में यात्री को टीडीआर भरना पड़ता है। जिसके बाद रिफंड उक्त यात्री के घर पहुंच जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में समय लगता है।
दीपक बहल, अंबाला। आंदोलन, हादसा या आपात स्थिति हो, रेलवे के साथ-साथ यात्रियों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। रेलगाड़ियों के रूट बदल दिए जाते हैं और कई को रद तक करना पड़ जाता है। मुश्किल तब ज्यादा बढ़ जाती है, जब यात्रियों को रिफंड देने में देरी हो जाती है।
एक तो यात्री सफर नहीं कर पाता और ऊपर से उसे अपने ही रुपए लेने का इंतजार करना पड़ता है। रेलवे बोर्ड ने 24 घंटे में यात्रियों को रिफंड लौटाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें कुछ चिह्नित ट्रेनों को शामिल किया गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।
दूसरी ओर, रेलवे के लिए सबसे बड़ी चुनौती टिकट चेकिंग स्टाफ का डिब्बों में न होना है। सिर्फ उत्तर रेलवे की बात करें तो लखनऊ, मुरादाबाद, फिरोजपुर मंडलों में ऐसी सैकड़ों ट्रेनें हैं, जिनमें टिकट चेकिंग स्टाफ ट्रेन में सवार यात्रियों के टिकट चेक ही नहीं हो पाते।
ट्रेनों में टीटीई की कमी झेल रहा रेलवे
सभी ट्रेनों में टिकट चेक हो जाएं, इसके लिए बनाए गए स्पेशल स्क्वाड और ओपन चेकिंग टीम जैसे दस्तों को खत्म कर डिब्बों में चेकिंग के लिए टीटीई को सवार करना पड़ेगा।
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मौजूदा समय में आलम यह है कि चेकिंग स्टाफ न होने के कारण पता ही नहीं चल पा रहा कि किन यात्रियों ने ट्रेन में सफर किया।
145 ट्रेनों की एक जुलाई को फिर से रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें पता चला कि दिल्ली से वैष्णो देवी जाने वाली ट्रेन संख्या 4076 में 497 यात्रियों को चेक ही नहीं किया जा सका। यह सभी यात्री स्लीपर क्लास में यात्रा कर रहे थे।
इसे कहते हैं टीडीआर
रेलवे में टिकट डिपॉजिट रिसीप्ट (टीडीआर) के कई मामले सामने आते रहते हैं। यदि यात्री कंफर्म टिकट को रद करवाना चाहते हैं तो चार घंटे पहले टिकट काउंटर पर ही फार्म भरकर रिफंड मिल जाता है।
यदि वेटिंग टिकट है तो आधा घंटा पहले भी आपको टिकट काउंटर से रिफंड मिल जाता है और ऑनलाइन टिकट के लिए कंप्यूटर से ही टिकट रद करा सकते हैं।
लेकिन कहीं रेल हादसा हो गया है और यात्री प्लेटफॉर्म पर ट्रेन का इंतजार कर रहा है तो ऐसे में चार्ट बन चुके होते हैं तो आपके लिए टीडीआर ही रिफंड का विकल्प है।
इसके अलावा किसी आंदोलन के चलते ट्रेनों को रद कर दिया या फिर उनका रूट बदल दिया गया और यात्री टिकट का रिफंड लेना चाहता है तो टीडीआर भरना पड़ता है। यह रिफंड आपके घर ही पहुंच जाता है।
रेलवे को यह चेक करना पड़ता है कि टीडीआर में यात्री ने यात्रा न करने का उल्लेख किया है वह कितना सही है और किन कारणों से टीडीआर भरना पड़ रहा है। इस प्रक्रिया के बाद ही यात्री को रिफंड मिलता है।
तैयारी की जा रही रिफंड जल्द मिले
सीनियर डीसीएम सीनियर डीसीएम नवीन कुमार झा ने कहा कि यात्रियों को रिफंड जल्द से जल्द मिले, इसको लेकर पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। टीडीआर का रिफंड 24 घंटे में मिल जाए, इस पर रेलवे का फोकस है ताकि यात्रियों को तुरंत रिफंड मिले।