सीबीआइ द्वारा एफआइआर दर्ज किए जाने के बाद शिक्षा विभाग तथा हरियाणा सरकार में आज दिनभर इस घोटाले को लेकर चर्चाएं होती रहीं। वर्ष 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में शुरू हुआ दाखिलों में फर्जीवाड़ा सत्ता परिवर्तन के बाद भी वर्ष 2016 तक जारी रहा।
चार लाख बच्चों के दाखिले फर्जी
अक्टूबर 2014 में भाजपा की सरकार आने के बाद जून 2015 में शिक्षा विभाग ने 719 गेस्ट टीचरों को हटाने का नोटिस जारी किया था। इसके विरोध में गेस्ट टीचर हाई कोर्ट पहुंच गए। हाई कोर्ट ने 6 जुलाई 2015 को याचिका खारिज कर दी तो सितंबर 2015 में मामला डबल बेंच में पहुंच गया।फिर सरकार को नोटिस जारी हुआ। वहां जवाब में सरकार ने बताया कि सरकारी स्कूलों में छात्र घट गए हैं। कोर्ट ने रिकार्ड मांगा तो सामने आया कि 22 लाख बच्चों में चार लाख बच्चों के दाखिले फर्जी हैं।
2018 में दर्ज हुई थी 7 एफआइआर
कोर्ट ने सरकारी धन की हेराफेरी की आशंका जताते हुए जांच कराने को कहा, जो उस वक्त नहीं कराई गई। कोर्ट ने शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को बुलाया। ब्लाक व जिला स्तर पर जांच हुई, कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ तो मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई।गुरुग्राम विजिलेंस के एसपी हामिद अख्तर, विजिलेंस ब्यूरो पंचकूला मुख्यालय की आइजी चारू बाली ने जांच की। फिर इस मामले में एक एसआइटी का गठन किया गया। जांच के बाद मार्च-अप्रैल 2018 में 7 एफआइआर भी दर्ज की गई। मार्च 2019 में नए सिरे से एसआइटी बनाने की अनुमति मांगी गई।
फिर 200 विजिलेंस कर्मियों ने 12 हजार 924 स्कूलों में प्रोफार्मा के जरिये डेटा मिलान किया। करनाल, पानीपत व जींद में 50 हजार 687 बच्चे नहीं मिले।
करनाल में हुए 50 हजार फर्जी दाखिले
हरियाणा के प्राइमरी स्कूलों में चार लाख फर्जी दाखिलों के मामले में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने तीन एफआइआर दर्ज की हैं। हरियाणा के विभिन्न जिलों के स्कूलों में फर्जी दाखिले दिखाकर सरकारी योजनाओं में करोड़ों का गबन किया जा रहा था।
ये पूरा खेल “ड्राप आउट” या लंबे समय से गैर हाजिर छात्रों के नाम पर चल रहा था। विभिन्न जिलों में लाखों छात्र लंबे समय से स्कूल नहीं आ रहे थे। उनके नाम काट दिए गए और रिकार्ड गायब कर दिया गया। उनके नाम पर सरकारी लाभ लिए जा रहे थे। सीबीआइ से पहले हरियाणा राज्य विजिलेंस ब्यूरो ने मामले की जांच की थी। अकेले करनाल में ही 50 हजार से ज्यादा फर्जी दाखिले पाए गए थे।वहीं गुरुग्राम, फरीदाबाद और हिसार जैसे जिलों में एक ही सत्र में 9500 के करीब फर्जी दाखिले हुए। जब विभाग के खिलाफ जांच हुई तो अफसरों ने इन छात्रों को ड्राप आउट (पढ़ाई छोड़ चुके छात्र) दिखाने की कोशिश की।
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इन जिलों में मिली गड़बड़ी
गुरुग्राम: एसआइटी ने गुरुग्राम, रेवाड़ी, मेवात व नारनौल के सरकारी मिडिल स्कूलों की जांच की। सत्र 2014-15 में 5298 छात्रों ने दाखिला लिया, लेकिन फाइनल परीक्षा देने 4232 ही पहुंचे। यहां 1066 को ड्राप आउट दिखाया गया। सत्र 2015-16 में इन्हीं 10 स्कूलों में 4812 छात्रों का दाखिला हुआ, जबकि फाइनल परीक्षा देने 3941 ही पहुंचे। 871 ड्राप आउट रहे।
फरीदाबाद: 2014-15 में 2777 और 2015-16 में 2063 छात्र ड्राप आउट पाए गए। इनमें से विभाग के पास केवल 701 छात्रों का ही रिकार्ड सही मिला। करनाल: करनाल के साथ-साथ पानीपत और जींद के भी स्कूलों की जांच हुई। यहां वर्ष 2014 से 2016 के बीच 50687 ड्राप आउट छात्र पाए गए।
अंबाला: यहां 16 स्कूलों की जांच हुई। छह स्कूलों में कोई छात्र ड्राप आउट नहीं मिला, लेकिन 10 स्कूलों में 48 छात्रों को ड्राप आउट दिखाया गया। मगर इसका रिकार्ड फर्जी पाया गया।
कुरुक्षेत्र: यहां 52 स्कूलों की जांच हुई। इनमें 17 स्कूलों में कोई बच्चा ड्राप आउट नहीं था। 35 स्कूलों में 302 बच्चे लंबे समय से गैर हाजिर पाए गए।
हिसार: हिसार के साथ-साथ सिरसा, फतेहाबाद और भिवानी के विभिन्न स्कूलों में 5735 छात्र ड्राप आउट पाए गए।
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कई बड़े अधिकारी और नेता रडार पर
यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2014 से 2016 के बीच हुआ, जब स्कूलों में दाखिला लेने वाले और परीक्षा देने वाले छात्रों में चार लाख का अंतर पाया गया। इन चार लाख छात्रों ने परीक्षा क्यों नहीं दी, इसका विभाग के पास स्पष्ट जवाब नहीं था। विभाग का कहना था कि यह संख्या ‘ड्राप आउट” छात्रों की हैं जो लंबे समय से गैर हाजिर थे। ऐसे में उनका नाम काट दिया गया था।
जबकि सरकार की पालिसी के मुताबिक किसी भी छात्र का नाम नहीं काटा जा सकता था। उधर, अब सीबीआइ ने हरियाणा प्राइमरी शिक्षा विभाग के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 120बी, 167, 218, 409, 418, 420, 477ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की है। मामले में हरियाणा सरकार भी सवालों के घेरे में है। इसलिए कई बड़े अधिकारियों व नेताओं पर गाज गिर सकती है।
22 लाख से 18 लाख रह गए छात्र
मामला 2016 का है, जब गेस्ट शिक्षकों को बचाने के लिए हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। इस दौरान कोर्ट के सामने चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। कोर्ट ने पाया कि 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे। जबकि 2015-16 में इनकी संख्या घटकर मात्र 18 लाख रह गई। इसके बाद पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया।
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