Haryana: पीने योग्य नहीं सप्लाई का पानी, जलघरों में मिले मेंढक; शैवाल और कौलीफार्म बैक्टीरिया का खतरा बरकरार
Haryana News हरियाणा के घरों में सप्लाई किया जा रहा पानी पीने योगय नहीं है। पेयजल के नमूनों की जांच में मेंढक शैवाल और कौलीफार्म बैक्टीरिया मिला है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में वर्ष 2016 से 2021 के दौरान जलजनित बीमारियों के 2901 मामले मिले हैं। इसके साथ ही दूषित जल पीने से राज्य में 14 लोगों की मौत हो चुकी है।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sat, 26 Aug 2023 05:24 PM (IST)
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो: हरियाणा के गांव और शहरों में घरों में जलघरों से सप्लाई किया जा रहा पानी पीने योग्य नहीं है। पेयजल को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन में रखी गई रिपोर्ट के अनुसार 25 स्थानों पर जलघरों से लिए गए। पेयजल के नमूनों की जांच में मेंढक, शैवाल और कौलीफार्म बैक्टीरिया मिला है।
स्थानों पर जल आपूर्ति के नमूने लिए
रूलर एंड अर्बन वाटर सप्लाई स्कीम के आडिट में कैग ने जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के 13, स्थानीय निकायों के आठ और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चार स्थानों पर जल आपूर्ति के नमूने लिए थे। पेयजल के नमूनों का एक सेट करनाल स्थित जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग की प्रयोगशाला में भेजा गया था और दूसरे सेट को विश्लेषण के लिए श्री राम इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल रिसर्च नई दिल्ली भेजा गया।
जलजनित बीमारियों के 2,901 मामले
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में वर्ष 2016 से 2021 के दौरान जलजनित बीमारियों के 2,901 मामले मिले हैं। इसके साथ ही दूषित जल पीने से राज्य में 14 लोगों की मौत हो चुकी है। आठ चयनित जिलों में से फतेहाबाद, करनाल, कुरुक्षेत्र और पंचकूला में इस दौरान जलजनित बीमारियों के 1382 मामले मिले और दूषित पेयजल से 12 लोगों की मौत हुई।कालका, असंध, इंद्री और हांसी उपमंडल जल परीक्षण प्रयोगशालाओं में भौतिक और रासायनिक परीक्षण की सुविधा नहीं है। जिन 25 स्थानों से सैंपल लिए गए, उनमें से तीन वाटर टैंकों में सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं थी।
वॉटर टैंक के अंदर शैवाल मिला
कटेसरा में वॉटर टैंक के अंदर शैवाल मिला है, जबकि साहू में मेंढक मिले। काब्रेल में एक वाटर टैंक बिना ढक्कन के था। अपनी बात को साबित करने के लिए कैग ने अपनी रिपोर्ट में तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं। सभी 25 स्थानों पर यह देखा गया कि क्लोरीन की खुराक से संबंधित कोई रिकार्ड नहीं रखा गया था। इसकी अनुपस्थिति में यह आकलन किया गया है कि जल पंप संचालक और जेई क्लोरीनाइजेशन के लिए उचित खुराक के प्रति लापरवाह थे।पानी के 12 सैंपलों में क्लोरीन नहीं मिला
25 में से 12 स्थानों पर पानी के नमूनों में क्लोरीन नहीं मिला। 11 स्थानों पर क्लोरीन निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया, जबकि दो स्थानों पर क्लोरीन अनुमेय सीमा के भीतर पाया गया। हालांकि श्री राम इंस्टीट्यूट आफ इंडस्ट्रियल रिसर्च की प्रयोगशाला में दो नमूनों में क्लोरीन अनुमेय सीमा से थोड़ा ऊपर पाया गया और बाकी 23 नमूनों में क्लोरीन बिल्कुल भी नहीं पाया गया।
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