Weather News: धीरे-धीरे मौसम बदल रहा तेवर, लोगों की तबियत पर पड़ रहा असर, अगले कुछ दिन बरसात के आसार
इन दिनों तापमान लगातार नीचे जा रहा है। अक्टूबर के पंद्रह दिनों पर नजर मारें तो न्यूनतम तापमान में करीब चार डिग्री सेल्सियस का अंतर आ चुका है जो सामान्य से दो डिग्री कम है। हालांकि दिन के तापमान में कोई खास अंतर नहीं आया है जबकि यह महज एक डिग्री नीचे आया है। सुबह और रात के तापमान में अच्छा खासा अंतर आ चुका है।
जागरण संवाददाता, अंबाला। एक बार फिर से मौसम के तेवर बदलते दिख रहे हैं। मौसम विभाग चंडीगढ़ का अनुमान है कि आने वाले दिनों में बरसात के आसार हैं। इसी तरह तापमान भी नीचे गिरने के संकेत हैं। विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि बीते दो साल से अक्टूबर माह में बरसात ने भिगोया है। बीते बारह सालों में से सात ऐसे साल निकले हैं, जहां पर बरसात ने परेशान नहीं किया है।
दूसरी ओर आंकड़ों पर नजर मारें, तो 125 साल पहले अक्टूबर में न्यूनतम तापमान दस डिग्री सेल्सियस के नीचे जा चुका है, जो अब तक का रिकॉर्ड है। हालांकि माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में तापमान और नीचे आएगा और लोगों को सर्दी का अहसास भी होगा।
सुबह और रात के तापमान में अच्छा खासा अंतर
इन दिनों तापमान लगातार नीचे जा रहा है। अक्टूबर के पंद्रह दिनों पर नजर मारें, तो न्यूनतम तापमान में करीब चार डिग्री सेल्सियस का अंतर आ चुका है, जो सामान्य से दो डिग्री कम है। हालांकि दिन के तापमान में कोई खास अंतर नहीं आया है, जबकि यह महज एक डिग्री नीचे आया है। सुबह और रात के तापमान में अच्छा खासा अंतर आ चुका है।
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अंबाला का न्यूनतम तापमान 8.3 डिग्री तक पहुंच चुका है
मौसम विभाग की मानें, तो 30 अक्टूबर 1898 को अंबाला का न्यूनतम तापमान 8.3 डिग्री तक पहुंच चुका है। इसके बाद यह आंकड़ा अंबाला ने नहीं छुआ है। इसी तरह यदि अधिकतम तापमान की बात करें, तो 6 अक्टूबर 1941 को अब 39.4 डिग्री सेल्सियस रहा, जो अब तक का अक्टूबर माह का सबसे गर्म दिन रहा है। इसी तरह यदि बरसात की बात करें, तो 5 अक्टूबर 1973 को अंबाला मं 141.6 एमएम बरसात रिकार्ड हुई थी, जो अब तक का अक्टूबर माह का रिकार्ड है, जबकि 1955 में अक्टूबर माह में 306.5 एमएम बरसात रिकार्ड हुई थी।
बीते कुछ सालों में रही है राहत
मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बीते बारह सालों में सात साल ऐसे रहे हैं, जिनमें अक्टूबर माह में बरसात न के बराबर हुई है। यह समय धान कटाई का होता है और ऐसे में यदि बरसात होती है ताे धान का नुकसान होता है। हालांकि साल 2021 व 2022 में बरसात ठीक हुई है।
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