लिव-इन रिलेशनशिप पर HC की बेंचों में मतभेद, अब 25 सितंबर को सुनवाई करेगी खंड पीठ; पंजाब-हरियाणा को नोटिस जारी
Live-In Relationship में रहकर सुरक्षा की मांग करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों में हाई कोर्ट की बेंचों का मतभेद भी साफ देखने को मिल रहा है। वहीं अब इस पर एक बड़ी पीठ के गठन की मांग उठी है। खंड पीठ इस पर 25 सितंबर को सुनवाई करेगी। इस मामले में पंजाब-हरियाणा सरकार को विस्तृत जवाब देने के लिए नोटिस भी जारी किया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Wed, 26 Jul 2023 04:44 PM (IST)
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। लिव-इन रिलेशनशिप (Live-In Relationship) में रह कर सुरक्षा की मांग करने के बढ़ते मामले पर हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) की डिवीजन बेंच ने हरियाणा व पंजाब सरकार से विस्तृत जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि सरकार इस मामले में हाई कोर्ट की एकल बेंच द्वारा जारी आदेश पर अपना जवाब दायर कर अपना पक्ष रखें। डिवीजन बेंच इस मामले पर 25 सितंबर को सुनवाई करगी।
लिव-इन रिलेशनशिप में रह कर सुरक्षा की मांग कर करने वाले प्रेमी जोड़े के मामलों में हाई कोर्ट की विभिन्न पीठ द्वारा अलग-अलग फैसले दिए जा चुके हैं। इसी पर हाई कोर्ट की एकल बेंच ने 21 मई 2021 को इस विषय पर चीफ जस्टिस को एक मामला रेफर करते हुए ऐसे मामलों पर एक बड़ी पीठ के गठन करने का आग्रह किया था। जिसके बाद इस विषय पर सुनवाई डिवीजन बेंच ने शुरू की है।
फरीदाबाद के प्रेमी जोड़े ने मांगी थी सुरक्षा
दरअसल, जस्टिस अनिल खेत्रपाल के सामने फरीदाबाद के एक प्रेमी जोड़े ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इस मामले में युवक पहले से विवाहित था और उसका पत्नी से विवाद चल रहा था लेकिन तलाक नहीं हुआ था। इस बीच युवक एक अन्य महिला के साथ भाग कर उसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगा। दोनों ने परिजनों से जान को खतरा बता कर सुरक्षा की मांग की।लिव-इन रिलेशनशिप पर बेंचों में मतभेद
जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने कहा कि हाई कोर्ट की कई पीठ नाबालिग व लिव-इन रिलेशनशिप में प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देने के आदेश दे चुकी है तो कई पीठ ऐसे ही मामलों को नैतिक व सामाजिक तौर पर गलत मान कर उनकी याचिका खारिज कर चुकी है। खुद जस्टिस खेत्रपाल ने जींद के एक जोड़े की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अगर लिव-इन रिलेशनशिप को संरक्षण दिया जाता रहेगा तो समाज का पूरा सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा।
जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने चीफ जस्टिस से ऐसे मामलों पर स्पष्ट फैसला लेने के लिए एक बड़ी पीठ के गठन करने का आग्रह किया। इसके बाद चीफ जस्टिस ने इस मामले की डिवीजन बेंच को सुनवाई के आदेश दिए हैं।
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