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बीमा कंपनियों को अब किसानों को 60 की बजाय 30 दिन में देना होगा क्लेम, 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से मिलेगा ब्याज

हरियाणा में अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा करने वाली कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी। फसल खराब होने पर बीमा कंपनियों को नुकसान की रिपोर्ट मिलने के एक महीने के अंदर क्लेम (दावा राशि) का भुगतान करना होगा। इससे अधिक देरी पर बीमा कंपनियों को किसानों को 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देना पड़ेगा।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Fri, 11 Aug 2023 10:05 PM (IST)
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बीमा कंपनियों को अब किसानों को 60 की बजाय 30 दिन में देना होगा क्लेम

चंडीगढ़, सुधीर तंवर। हरियाणा में अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhanmantri Fasal Bima Yojna) के तहत फसलों का बीमा करने वाली कंपनियों की मनमानी नहीं चलेगी। फसल खराब होने पर बीमा कंपनियों (Insurance Companies) को नुकसान की रिपोर्ट मिलने के एक महीने के अंदर क्लेम (दावा राशि) का भुगतान करना होगा। इससे अधिक देरी पर बीमा कंपनियों को किसानों को 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देना पड़ेगा।

10 हजार 756 केस अभी भी लंबित

अभी तक बीमा कंपनियों को दावे का भुगतान करने के लिए दो महीने का समय दिया जा रहा था जिसमें कटौती की गई है। बीमा कंपनियों द्वारा किसानों का भुगतान लटकाने की लगातार बढ़ती शिकायतों के चलते प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया है। वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसलों का बीमा कराने वाले किसानों के 10 हजार 756 केस अभी भी लंबित हैं।

योजना में 10 फसलें बीमित होंगी

विभिन्न तरह के विवादों के कारण अटके किसानों के क्लेम को जारी करने के लिए प्रदेश सरकार बीमा कंपनियों को कई बार चेतावनी दे चुकी है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में प्रभावित किसानों को खराब फसल का क्लेम नहीं मिल सका है। वहीं, कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने तीन सालों के लिए फसलों के बीमा को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। योजना में 10 फसलें बीमित होंगी।

प्रीमियम में 0.30 प्रतिशत से 9.6 तक प्रतिशत तक बढ़ोतरी

मौजूदा वर्ष में रबी और खरीफ फसलों के प्रीमियम में 0.30 प्रतिशत से लेकर 9.6 तक प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। खरीफ में धान, बाजरा, मक्का, कपास, मूंग और रबी में गेहूं, चना, जौ, सरसों, सूरजमुखी का बीमा होगा। किसान पहली बार मूंग की फसल का भी बीमा करा सकेंगे। रबी फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत और खरीफ के लिए दो प्रतिशत प्रीमियम राशि किसानों को देनी होगी।

बाकी राशि का भुगतान केंद्र और राज्य सरकार 50-50% के अनुपात में करेंगी। बीमा के लिए तीन कलस्टर बनाए गए हैं। पहले कलस्टर में फरीदाबाद, कैथल, सिरसा, पंचकूला, कुरुक्षेत्र, रोहतक, रेवाड़ी और दूसरे कलस्टर में अंबाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, जींद, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम तथा तीसरे कलस्टर में यमाननगर, पानीपत, पलवल, भिवानी, फतेहाबाद, झज्जर, नूंह, चरखी दादरी को रखा गया है। फसलों का बीमा तीन कंपनियां करेंगी।

मोटा मुनाफा कमा रहीं बीमा कंपनियां

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियां मोटा मुनाफा कमा रही हैं। वर्ष 2016 में शुरू हुई योजना के तहत अब तक हरियाणा के 89 लाख 93 हजार 271 किसानों ने फसलों का बीमा कराया। इनमें से 26 लाख 49 हजार 991 किसानों ने फसल खराबे का क्लेम लिया है। प्रदेश में वर्ष 2018-19 में किसानों से 841.18 करोड़ रुपये का प्रीमियम लिया गया था, जबकि क्लेम में 948.31 करोड़ रुपये दिए गए।

2019-20 में 1,275.56 करोड़ रुपये के प्रीमियम के मुकाबले 937.86 करोड़, 2020-21 में 1,309.45 करोड़ रुपये के प्रीमियम के मुकाबले 1,249.94 करोड़ रुपये और 2021-22 में 1,208.76 करोड़ रुपये के प्रीमियम के मुकाबले किसानों को 1,681.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 2022-23 में 1276.99 करोड़ रुपये प्रीमियम था, जबकि क्लेम में 629.31 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।