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Railway Scrap Scam: स्क्रैप के ‘खेल’ में प्राइवेट कंपनियों पर भी संदेह, कॉल डिटेल से सबूत की तलाश; रडार पर बड़े अधिकारी

जगाधरी रेलवे वर्कशॉप में हुए स्क्रैप घोटाले में निजी कंपनियों के होने के भी संकेत हैं। सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में भी बड़े स्तर का यह घोटाला सामने आया है। अब तक हुई इन्वेस्टिगेशन में सामने आया है कि नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों में बंदरबांट हुई है। इस संदर्भ में कॉल डिटेल भी खंगाली जा रही हैं।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Sat, 22 Jun 2024 04:03 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2024 04:03 PM (IST)
जगाधरी रेलवे वर्कशॉप में स्क्रैप घोटाला, बड़े अधिकारी भी रडार पर

दीपक बहल, अंबाला। जगाधरी रेलवे वर्कशॉप में हुए स्क्रैप घोटाले में प्राईवेट कंपनियों के भी खेल में शामिल होने के संकेत हैं। इस मामले में रेलवे के कुछ अफसरों और प्राइवेट कंपनी के अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। कुछ की गिरफ्त्तारी कभी भी हो सकती है।

रेलवे के मुख्यालय बड़ौदा हाउस की विजिलेंस की जांच के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की प्रारंभिक जांच में भी बड़े स्तर का यह घोटाला सामने आया है।

अब तक सामने आया है कि नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों में बंदरबांट हुई है। जांच के दौरान प्राइवेट कंपनियों पर शिकंजा कसा जा सकता है, जो रेलवे का स्क्रैप कौड़ियों के भाव खरीद लेते थे।

कर्मचारियों और अधिकारियों के खंगाले जा रहे फोन कॉल

पिछले तीन सालों में जगाधरी वर्कशॉप में कितना स्क्रैप आया और कितना नीलाम किया गया, किस कंपनी को दिया गया, कितना रुपया सरकारी खजाने में जमा हुआ, ऐसे तमाम बिंदुओं पर सीबीआइ जांच कर रही है। घोटाले में लिप्त रेल अधिकारियों और कर्मचारियों की मोबाइल डिटेल भी खंगाली जा रही है।

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पहले जांच में दोनों धर्मकांटों पर चिप मिली थी। यह भी संकेत हैं कि यह चिप कहां से खरीदी गई, इसकी जानकारी सीबीआइ को मिल चुकी है। सीबीआइ चिप बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों से संपर्क कर रही है।

यह चिप रेलवे की अन्य वर्कशॉप या फिर किसी और महकमे तो नहीं खरीदी गई, जहां पर वजन का काम होता है। इस पहलू पर भी जांच एजेंसी अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ा रही है।

12 लोगों पर केस दर्ज

बता दें कि सीबीआइ ने नौ रेल अधिकारियों सहित 12 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है। 15 करोड़ रुपये के घोटाले में इन अधिकारियों पर प्राईवेट कंपनी से रिश्वत के बल पर रेलवे का स्क्रैप कौड़ियों के भाव जगाधरी रेलवे वर्कशाप से बाहर निकालने का आरोप है।

सीबीआइ आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए सुबूत जुटा रही है। माना जा रहा है कि इस मामले में सीबीआइ को कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिससे कुछ लोगों की गिरफ्तारी कभी भी की जा सकती है।

इस तरह विजिलेंस से सीबीआइ तक पहुंची जांच

उत्तर रेलवे की विजिलेंस ने जगाधरी वर्कशॉप के बाहर से तीन ट्रकों को पकड़ा, जिनमें लोड स्क्रैप का वजन काफी अधिक था, लेकिन रेलवे के कांटे पर कम वजन दिखाया गया था। इसका खुलासा दोनों पर्चियों का मिलान से हुआ।

इसमें एक ट्रक में 10 टन , दूसरे में सात टन और तीसरे में 40 किलो लोहा अधिक मिला था। पहले रेलवे वर्कशाप के कर्मचारियों ने इसे माना तक नहीं, लेकिन जब उत्तर रेलवे के अधिकारियों के आदेश पर कांटे की जांच हुई तो इसमें एक चिप लगी हुई मिली। इससे साफ हो गया कि घोटाला किया गया।

इस मामले को अधिकारियों ने पहले तो विभागीय जांच तक ही समेटना चाहा, जबकि बाद में सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई। सीबीआइ ने नौ अफसरों और तीन निजी कंपनी के प्रतिनिधियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

आरोपितों में चंद्रशेखर, रमेश कुमार, मनदीप, अमृतपाल सिंह, मेघराज सिंह, गुरमीत गुलाटी, अरविंद कुमार,गुरमीत सिंह, रोमेश चंद, विनोद कुमार, मोहन लाल आदि शामिल हैं।

15 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा रही है

इन लोगों से पूछताछ कर जांच बढ़ाई इस प्रकरण में 15 से अधिक लोगों से पूछताछ की जा चुकी है। इस मामले में कर्ण सिंह, राजू कुंभारे, अमित कुमार, गजेंद्र कुमार, प्रदीप कुमार, मनीष कुमार, मोहन लाल, गुरप्रीत सिंह, मेघराज सिंह, रोमेश चंद, अमृतपाल सिंह, धर्मबीर, विनोद कुमार, अरविंद कुमार, जसमिंदरपाल सिंह, गुरमीत गुलाटी और नवीन से भी पूछताछ की गई।

जिन पर संदेह हुआ, उनको एफआइआर में नामजद किया, जबकि अन्य से जवाब तलब किया गया था। जांच के दौरान बड़े पैमाने पर तकनीकी छेड़छाड़ भी पाई गई है।

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