Railway Scrap Scam: स्क्रैप के ‘खेल’ में प्राइवेट कंपनियों पर भी संदेह, कॉल डिटेल से सबूत की तलाश; रडार पर बड़े अधिकारी
जगाधरी रेलवे वर्कशॉप में हुए स्क्रैप घोटाले में निजी कंपनियों के होने के भी संकेत हैं। सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में भी बड़े स्तर का यह घोटाला सामने आया है। अब तक हुई इन्वेस्टिगेशन में सामने आया है कि नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों में बंदरबांट हुई है। इस संदर्भ में कॉल डिटेल भी खंगाली जा रही हैं।
दीपक बहल, अंबाला। जगाधरी रेलवे वर्कशॉप में हुए स्क्रैप घोटाले में प्राईवेट कंपनियों के भी खेल में शामिल होने के संकेत हैं। इस मामले में रेलवे के कुछ अफसरों और प्राइवेट कंपनी के अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। कुछ की गिरफ्त्तारी कभी भी हो सकती है।
रेलवे के मुख्यालय बड़ौदा हाउस की विजिलेंस की जांच के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की प्रारंभिक जांच में भी बड़े स्तर का यह घोटाला सामने आया है।
अब तक सामने आया है कि नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों में बंदरबांट हुई है। जांच के दौरान प्राइवेट कंपनियों पर शिकंजा कसा जा सकता है, जो रेलवे का स्क्रैप कौड़ियों के भाव खरीद लेते थे।
कर्मचारियों और अधिकारियों के खंगाले जा रहे फोन कॉल
पिछले तीन सालों में जगाधरी वर्कशॉप में कितना स्क्रैप आया और कितना नीलाम किया गया, किस कंपनी को दिया गया, कितना रुपया सरकारी खजाने में जमा हुआ, ऐसे तमाम बिंदुओं पर सीबीआइ जांच कर रही है। घोटाले में लिप्त रेल अधिकारियों और कर्मचारियों की मोबाइल डिटेल भी खंगाली जा रही है।
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पहले जांच में दोनों धर्मकांटों पर चिप मिली थी। यह भी संकेत हैं कि यह चिप कहां से खरीदी गई, इसकी जानकारी सीबीआइ को मिल चुकी है। सीबीआइ चिप बनाने वाली कंपनी के अधिकारियों से संपर्क कर रही है।
यह चिप रेलवे की अन्य वर्कशॉप या फिर किसी और महकमे तो नहीं खरीदी गई, जहां पर वजन का काम होता है। इस पहलू पर भी जांच एजेंसी अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ा रही है।
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