‘Sarabjot Singh का कोई भी मैच लाइव नहीं देखा’, बेटे की जीत पर भावुक हुए पिता; मां बोलीं- घर आएगा तो गर्म रोटी खिलाऊंगी
पेरिस ओलिंपिक (Paris Olympics 2024) में सरबजोत सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है। उनकी इस जीत से उनके माता-पिता काफी खुश हैं। सरबजोत के पिता ने बातचीत में बताया कि कैसे उनके बेटे ने YouTube पर वीडियो देख अभ्यास किया और कैसे आठ साल की मेहनत के बाद ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत लिया। आइए पढ़ते हैं सरबजोत के भावुक माता-पिता ने किस तरह अपनी खुशी बयां की।
दीपक बहल, अंबाला। पेरिस ओलिंपिक में मनु भाकर और सरबजोत की भारतीय जोड़ी ने 10 मीटर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। उन्होंने कोरिया को 16-10 के अंतर से हराया।
कांस्य पदक जीतने पर सरबजोत सिंह के गांव धीन के ग्रामीण गर्व महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरबजोत ने गांव का नाम रोशन कर दिया।उनके पिता जितेंद्र सिंह ने ये भी बताया कि सरबजोत का यदि कोई मैच लाइव दिखाया जाता है, तो वे नहीं देखते। हालांकि, उन्हें यकीन है कि सरबजोत खेलने गया है तो पदक लेकर ही लौटेगा। वह जहां भी खेलने गया खाली हाथ नहीं लौटा।
ओलिंपिक में भी सरबजोत ने निराश नहीं किया। अब इंतजार है कि सरबजोत घर आए। सरबजोत सिंह की मां हरदीप कौर ने कहा कि बेटे को गर्म खाना पसंद है। उसे आते ही गर्म खाना खिलाऊंगी।ये भी पढ़ें: Sarabjot Singh बनना चाहते थे फुटबॉलर, बन गए निशानेबाज, 13 साल की उम्र में अचानक बदला मन, जानिए पूरी कहानी
आठ साल की कड़ी मेहनत रंग लाई
सरबजोत सिंह ने वर्ष 2016 में कोच अभिषेक राणा का हाथ थाम लिया। आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद आज ओलिंपिक में सरबजोत ने मिश्रित स्पर्धा में मनु भाकर के साथ कांस्य पदक जीत लिया।गांव धीन स्थित उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। मां हरदीप कौर का भी कहना है कि शुरू से ही सरबजोत सिंह काे गेम के प्रति दीवानगी थी और स्कूल से घर लौटते ही प्रेक्टिस के लिए चला जाता और फिर रात को आता, खाना खाकर सो जाता।
बेटे के साथ खाने के दौरान कुछ बातचीत हो जाती थी, जबकि सारा फोकस गेम पर ही था। पिता किसान हैं, जबकि मां गृहिणी हैं। सरबजोत का छोटा भाई किरणजीत सिंह विदेश में स्टडी वीजा पर गया है।
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