Move to Jagran APP

‘Sarabjot Singh का कोई भी मैच लाइव नहीं देखा’, बेटे की जीत पर भावुक हुए पिता; मां बोलीं- घर आएगा तो गर्म रोटी खिलाऊंगी

पेरिस ओलिंपिक (Paris Olympics 2024) में सरबजोत सिंह ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया है। उनकी इस जीत से उनके माता-पिता काफी खुश हैं। सरबजोत के पिता ने बातचीत में बताया कि कैसे उनके बेटे ने YouTube पर वीडियो देख अभ्यास किया और कैसे आठ साल की मेहनत के बाद ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत लिया। आइए पढ़ते हैं सरबजोत के भावुक माता-पिता ने किस तरह अपनी खुशी बयां की।

By Gurpreet Cheema Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Tue, 30 Jul 2024 09:06 PM (IST)
Hero Image
सरबजोत सिंह ने आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद Paris Olympics 2024 में जीता कांस्य पदक
दीपक बहल, अंबाला। पेरिस ओलिंपिक में मनु भाकर और सरबजोत की भारतीय जोड़ी ने 10 मीटर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया। उन्होंने कोरिया को 16-10 के अंतर से हराया।

कांस्य पदक जीतने पर सरबजोत सिंह के गांव धीन के ग्रामीण गर्व महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरबजोत ने गांव का नाम रोशन कर दिया।

उनके पिता जितेंद्र सिंह ने ये भी बताया कि सरबजोत का यदि कोई मैच लाइव दिखाया जाता है, तो वे नहीं देखते। हालांकि, उन्हें यकीन है कि सरबजोत खेलने गया है तो पदक लेकर ही लौटेगा। वह जहां भी खेलने गया खाली हाथ नहीं लौटा। 

ओलिंपिक में भी सरबजोत ने निराश नहीं किया। अब इंतजार है कि सरबजोत घर आए। सरबजोत सिंह की मां हरदीप कौर ने कहा कि बेटे को गर्म खाना पसंद है। उसे आते ही गर्म खाना खिलाऊंगी।

ये भी पढ़ें: Sarabjot Singh बनना चाहते थे फुटबॉलर, बन गए निशानेबाज, 13 साल की उम्र में अचानक बदला मन, जानिए पूरी कहानी

आठ साल की कड़ी मेहनत रंग लाई

सरबजोत सिंह ने वर्ष 2016 में कोच अभिषेक राणा का हाथ थाम लिया। आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद आज ओलिंपिक में सरबजोत ने मिश्रित स्पर्धा में मनु भाकर के साथ कांस्य पदक जीत लिया।

गांव धीन स्थित उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है। मां हरदीप कौर का भी कहना है कि शुरू से ही सरबजोत सिंह काे गेम के प्रति दीवानगी थी और स्कूल से घर लौटते ही प्रेक्टिस के लिए चला जाता और फिर रात को आता, खाना खाकर सो जाता।

बेटे के साथ खाने के दौरान कुछ बातचीत हो जाती थी, जबकि सारा फोकस गेम पर ही था। पिता किसान हैं, जबकि मां गृहिणी हैं। सरबजोत का छोटा भाई किरणजीत सिंह विदेश में स्टडी वीजा पर गया है।

स्कूल की वॉलीबॉल टीम में हुआ था शामिल- पिता

पिता जितेंद्र सिंह बताते हैं कि वर्ष 2012 में पहली बार स्कूल की वालीबाल टीम में खेलने के लिए भेजा था। स्कूल में चल रही निशानेबाजी प्रतियोगिता में किसी ने भाग नहीं लिया। मुख्य अध्यापक ने सरबजोत सिंह को निशानेबाजी में भाग दिला दिया। वहीं सरबजोत गोल्डन ब्वॉय बन गया।

उन्होंने बताया कि 2012 से 2016 तक स्कूल स्तर पर ही कोचिंग ली। साथ ही यू-ट्यूब पर शूटिंग की वीडियो क्लिप देखी। साल वर्ष 2016 में मामा ने उसकी मुलाकात शूटिंग कोच अभिषेक राणा से कराई और अंबाला कैंट में अभिषेक राणा की शूटिंग अकादमी ज्वाइन की।

सात साल में स्थापित किए कई कीर्तिमान

सरबजोत सिंह ने वर्श 2017 से शूटिंग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया। वह अलग-अलग प्रतियोगिताओं में नौ गोल्ड समेत 27 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मेडल जीत चुका है।

अब तक तीन जूनियर विश्वकप, तीन सीनियर विश्वकप, तीन राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल हासिल किए। चीन में बीते वर्ष एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक व कांस्य पदक जीता।

सरबजोत ने 24 अक्टूबर 2023 को कोरिया में एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक जीत कर पिस्टल स्पर्धा में शूटिंग में देश के लिए पहला ओलंपिक कोटा हासिल किया था।

चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से की पढ़ाई

सरबजोत सिंह ने चंडीगढ़ के सेक्टर 10 स्थित डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की है। इस कालेज को एनएएसी द्वारा ए ग्रेड से सम्मानित किया गया था।

हरियाणा सरकार की 2014 की खेल नीति का परिणाम- सीएम

प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि पैरिस ओलम्पिक में देश के लिए पदक की शुरूआत हरियाणा की खिलाड़ी मनू भाकर ने की है, उसके बाद निरन्तर खिलाड़ी उमदा प्रदर्शन कर रहे हैं।

यह सब हरियाणा सरकार की 2014 की खेल नीति का परिणाम है। मुख्यमंत्री नारायणगढ़ अनाज मंडी में जनसंवाद कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन खिलाडिय़ों का गेम्स अभी बाकी है, उन्हें आशा है कि वे भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे और हरियाणा और देश का नाम रोशन करेंगे।

ये भी पढ़ें: Olympics 2024, Shooting: 'मेडल की चाबी से खुलता है मनु के घर का दरवाजा', बेटी की जीत पर मां ने खोले राज

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।