Punjab Haryana HC पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में 29 फरवरी को हुई सुनवाई के समय हरियाणा (Haryana Latest News) के अलग-अलग जिलों में मृत व्यक्तियों को करोड़ों रुपये पेंशन (Pension) के रूप में देने के मामले ने नया मोड़ लिया। रापड़िया ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में इस मामले की कैग रिपोर्ट के अलावा तीन विभागीय जांच हुई।
संवाद सहयोगी, शाहाबाद। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 29 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान हरियाणा के अलग-अलग जिलों में मृत व्यक्तियों को करोड़ों रुपये पेंशन के रूप में देने के मामले में याचिका ने नया मोड़ ले लिया है।
आरटीआइ एक्टिविस्ट राकेश बैंस व सुखविंद्र सिंह के वकील प्रदीप रापड़िया ने वीरवार को अंतरिम राहत के लिए याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि सिर्फ शाहाबाद में मनगढंत एफआइआर दर्ज करके व 13,43,725 रुपये की राशि सरकारी खजाने में जमा करवाने के बाद एक बड़े घोटाले को दबाने के इरादे से पुलिस ने पूरे घोटाले को अंजाम देने के जुर्म में एक सेवानिवृत्त सेवादार व क्लर्क के खिलाफ निचली अदालत में चालान पेश कर दिया था।
न्यायाधीश विनोद भारद्वाज ने CBI जांच के दिए आदेश
रापड़िया ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश में इस मामले की कैग रिपोर्ट के अलावा तीन विभागीय जांच हुई और तीनों जांचों में शाहाबाद के पार्षदों और जिला समाज कल्याण अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों को दोषी पाया गया। जिन पार्षदों ने ऐसे पेंशन धारकों की पहचान की जो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके हैं और सरकारी खजाने से पेंशन राशि निकालने में मदद की, उनकी सूची स्वयं समाज कल्याण विभाग ने पुलिस को भेजी थी।
ऐसे में हाई कोर्ट के न्यायाधीश विनोद भारद्वाज ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
12 साल बाद भी सरकार मामले में गंभीर नहीं
29 फरवरी को अदालत ने सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने अदालत के समक्ष स्टेट्स रिपोर्ट दायर कर बताया कि हरियाणा भर के दोषी जिला समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। सीबीआइ रिपोर्ट में कोर्ट को ये भी बताया गया कि 2012 में भी एक पेंशन वितरण की अनियमितताओं के मामले में भी सरकार के उचित कार्यवाही के आश्वासन के बाद हाई कोर्ट ने मामले में कार्यवाही करने के आदेश दिए थे, लेकिन 12 साल बाद भी सरकार मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है।
महानिदेशक को कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस जारी
ऐसे में कोर्ट ने कहा कि ये कोर्ट की अवमानना का मामला बनता है। ऐसे में हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए कि सीबीआइ रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए सभी अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही हो और साथ ही कोर्ट ने कहा कि 2012 से लेकर अब तक जितने भी समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और महानिदेशक थे, वो प्रथम दृष्टया कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं, लेकिन अभी कोर्ट सिर्फ मौजूदा प्रमुख सचिव और महानिदेशक को कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस जारी कर रही है।
महानिदेशक के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी
उन्होंने कहा कि 15 मार्च तक कोर्ट को बताना होगा कि क्यों न सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के लिए कार्यवाही की जाए। अब मामले में संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने जिला समाज अधिकारी सहित पेंशन धारकों का वेरिफिकेशन करने करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
इसके साथ-साथ विभाग के जिन अधिकारियों ने दोषियों को बचाने की मदद की उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के भी आदेश दिए हैं तथा सामाजिक न्याय विभाग के महानिदेशक के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है।
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आरटीआइ कार्यकर्ता को एक दशक पहले मिली थी घोटाले की सूचना
लगभग एक दशक पहले आरटीआइ कार्यकर्ता राकेश बैंस को सूचना मिली थी कि पेंशन वितरण में घोटाला हो रहा है। उन्होंने पेंशन सूची की जांच की तो कुछ व्यक्ति ऐसे सामने आए जो मरने के बाद भी पेंशन पा रहे थे। विभाग तथा संबंधित पार्षद व कर्मचारी इस केस को लीपापोती करने में लग गए और कुछ पैसे सरकारी खजाने में रिकवरी करवाई गई। उन्होंने यह मामला अपने वकील प्रदीप रापड़िया के माध्यम से उच्च न्यायालय में दायर किया।
तरलोचन हांडा के खिलाफ कार्रवाई के दिए आदेश
जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से थाना प्रभारी को पत्र लिखकर दो कर्मचारियों और 11 पार्षदों जिनमें पार्षद सुदर्शन कक्कड़, कर्म सिंह बैंस, नीलम साहनी, बलिहार सिंह, संगीता रानी, विष्णु कपूर, रामशरण, बलदेव राज चावला, निशा भार्गव, सीमा सिंगला, तरलोचन हांडा के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। उस समय में सत्तासीन राजनेताओं के दबाव में एक दूसरा पत्र जारी कर दिया था जिसमें केवल विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।
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