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विदेश में अटक गए रेलवे के थर्मल प्रिंटर, यहां जारी है ब्लैंक टिकट का खेल; ऐसे सामने आया पूरा मामला

विदेश में रेलवे के थर्मल प्रिंटर अटक गए हैं। रेलवे को पहले चरण में 1100 थर्मल प्रिंटर मंगवाने हैं जिसे पांच मंडलों में लगाया जाएगा। अंबाला रेल मंडल के उकलाना के अलावा संगरूर रेलवे स्टेशन पर घोटाला सामने आ चुका है।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 02 Jan 2023 05:39 AM (IST)
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विदेश में अटक गए रेलवे के थर्मल प्रिंटर,

अंबाला, दीपक बहल। रेलवे में अनरिजर्व टिक्टिंग सिस्टम (यूटीएस) से ब्लैंक टिकट निकालकर लंबी दूरी के टिकट बनाने का खेल बंद नहीं हुआ। रेल मंत्रालय ने डाट मेट्रिक्स प्रिंटर की जगह थर्मल प्रिंटर लगाने की तैयारी की थी, लेकिन विदेश से थर्मल प्रिंटर नहीं आए। रेलवे ने पहले चरण में 1100 थर्मल प्रिंटर मंगवाने की तैयारी की है। यह प्रिंटर अंबाला, दिल्ली, मुरादाबाद, लखनऊ और फिरोजपुर मंडल में लगाए जाएंगे। इन थर्मल प्रिंटर से जहां कर्मचारी ब्लैंक टिकट निकालकर खेल नहीं कर पाएंगे, वहीं सेकेंडों में यात्रियों को टिकट मिल जाएगा, जिससे समय भी बचेगा। अब प्रिंटरों पर खेल करके कर्मी लंबी दूरी के टिकटों का खेल कर राजस्व में सेंध लगा रहे हैं।

संगरूर रेलवे स्टेशन पर सामने आया पहला मामला

सबसे पहले संगरूर रेलवे स्टेशन पर ब्लैंक टिकट निकालकर खेल किया गया, जबकि इसके बाद अंबाला मंडल के उकलाना स्टेशन पर भी इसी तरह का मामला सामने आया है। बता दें कि दैनिक जागरण ने 'रेलवे में टिकट घोटाला, ब्लैंक टिकट को लंबी दूरी की बनाकर कर्मचारी कर रहे थे फर्जीवाड़ा' शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। यह घोटाला कैसे किया जा रहा है, इसको जांचने के लिए उत्तर रेलवे के अधिकारी नई दिल्ली स्टेशन पर खुद गए और यह सारा खेल देखा।

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थर्मल प्रिंटर लगाने की तैयारी

विजिलेंस और क्रिस के अधिकारियों ने देखा कि यूटीएस से कैसे फर्जी टिकट लंबी दूरी की बना दी जाती है। इसे रोकने के लिए रेलवे ने थर्मल प्रिंटर लगाने की तैयारी की है। देश भर के सभी यूटीएस काउंटरों पर जो डाट मेट्रिक्स प्रिंटर लगे हैं, उनको हटाया जाएगा और थर्मल प्रिंटर लगाए जाएंगे। उत्तर रेलवे ने पहले चरण में 1100 थर्मल प्रिंटर मंगवाने की तैयारी की है। यह प्रिंटर अंबाला, दिल्ली, मुरादाबाद, लखनऊ और फिरोजपुर मंडल में लगाए जाएंगे।

यात्रियों का बचेगा समय

इन थर्मल प्रिंटर से जहां कर्मचारी ब्लैंक टिकट निकालकर खेल नहीं कर पाएंगे, वहीं सेकेंड में यात्रियों को टिकट मिल जाएगा, जिससे समय भी बचेगा। उत्तर रेलवे की तरह अन्य जोन भी अपने-अपने जोन में थर्मल प्रिंटर ही लगाएंगे। हाल ही में उत्तर रेलवे की विजिलेंस को प्रिंटरों पर खेल करके चल रही लंबी दूरी के टिकटों की जांच का जिम्मा दिया गया है।

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यह होता है थर्मल प्रिंटर

थर्मल प्रिंटर में एक विशेष प्रकार के कागज का प्रयोग होता है। इसमें स्याही, टोनर या रिबन नहीं होता। थर्मल प्रिंटर में प्रिंटहेड एक रिबन पर गर्म होकर प्रिंटिंग करता है। मल्टीप्लेक्स में मिलने वाली सिनेमा आदि की टिकट की प्रिंटिंग थर्मल प्रिंटर से ही होती है। थर्मल प्रिंटर को बीच में रोकना या इसमें किसी प्रकार की छेड़छाड़ संभव नहीं है। कई थर्मल प्रिंटर ऐसे होते हैं, जिन में बैकअप बैटरी लगती है, जो पावर कट में भी काम करते हैं। इस थर्मल प्रिंटर के माध्यम ये जो भी प्रिंट लिया जाता है, उसमें फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकता।

इस तरह से करते थे खेल

उदाहरण के लिए यूटीएस से कम दूरी के 30 रुपये वाले टिकट रेलकर्मी निकाल लेते थे। कंप्यूटर पर इस तरह से कमांड देते थे कि टिकट पर सिर्फ आठ डिजिट का रेल नंबर छपे और कहां से कहां तक कितने रुपये की हैं ये न छपे। फिर इस खाली टिकट पर हाथ से लिखकर मोहर लगा दी जाती थी। इस तरह से रेलकर्मी कम दूरी की कई ब्लैंक टिकटें निकाल लेते थे, जिसकी प्रत्येक टिकट की कीमत 30 रुपये है। जब उकलाना से लंबी दूरी के लिये कोई यात्री टिकट मांगता था तो उसे ब्लैंक टिकट भरकर दे दी जाती थी। एक टिकट चार यात्रियों को जारी की जा सकती है।

उदाहरण के लिए उकलाना से धुरी की 30 रुपये की ब्लैंक टिकट एक निकाली जाती थी, लेकिन ये टिकट उकलाना से मथुरा की चार यात्रियों की बन जाती थी। एक यात्री का किराया 150 रुपये है, जो 4 यात्रियों का 600 रुपये हो जाता है। ऐसे कर्मी 570 रुपये अपनी जेब में डालकर सरकार को चूना लगाते हैं। उपलाना से पहले संगरूर धुरी और बरवाला में भी ऐसा ही हुआ।

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