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Train Journey Rule: वेटिंग टिकट लेकर कर रहे हैं ट्रेन की यात्रा तो जान लीजिए ये नियम, रेलवे ने जारी की हैं नई गाइडलाइन

वेटिंग टिकट लेकर यात्री अब स्लीपर और एसी कोच में नहीं जा सकेंगे। यदि वे इस टिकट पर सफर कर लेते हैं तो चेकिंग स्टाफ उनसे जुर्माना वसूल कर अगले स्टेशन पर ही उतार देगा। यात्रियों के सुहाने सफर में खलल न पड़े इसलिए रेलवे ने गाइडलाइन जारी की हैं। यात्री वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन में जाते थे जिससे कन्फर्म टिकट वाले यात्री को परेशानी होती है।

By Deepak Behal Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 16 Jun 2024 07:57 PM (IST)
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वेटिंग टिकट पर रेलवे ने जारी की है नई गाइडलाइन
दीपक बहल, अंबाला। अब यात्रियों के सुहाने सफर में खलल डालना भारी पड़ सकता है। वेटिंग टिकट के यात्रियों की स्लीपर और एसी कोच में नो एंट्री होगी। यदि वे इस टिकट पर सफर कर लेते हैं, तो चेकिंग स्टाफ उनसे जुर्माना वसूल कर अगले स्टेशन पर ही उतार देगा।

ऐसा होने से उन यात्रियों को राहत मिलेगी जो कनफर्म टिकट पर यात्रा कर रहे हैं। यात्रियों को होने वाली असुविधा को देखते हुए रेलवे ने गाइडलाइन जारी कर रखी हैं कि वेटिंग टिकट नाट अलाउ। इन आदेशों को यदि सख्ती से लागू कर दिया गया, तो रेलवे की आमदनी पर भी इसका असर पड़ेगा।

क्योंकि सामान्य टिकट पर प्लेटफार्म पर गाड़ी की इंतजार करने वाले यात्रियों की भी उनके गंतव्य तक की टिकट बना दी जाती है, जिससे रेलवे को काफी राजस्व मिलता है।

इस तरह से कन्फर्म टिकट यात्री को होती है परेशानी

ट्रेनों में यात्रियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। अंबाला से बिहार, मुंबई, उत्तर प्रदेश, जम्मू आदि राज्यों को जाने वाली सभी ट्रेनों में वेटिंग लिस्ट डल रही है। जो यात्री आनलाइन टिकट बुक करवाते हैं, उनकी टिकट कनफर्म न होने पर स्वत: ही रद हो जाती है।

जो यात्री स्टेशन से टिकट बुक करवाते हैं, उनकी टिकट स्वत: रद होने का कोई प्राविधान नहीं है। ऐसे में यह वेटिंग लिस्ट वाले यात्री ट्रेन में सवार हो जाते हैं और कनफर्म टिकट पर यात्रा करने वाले यात्रियों की सीट पर अनाधिकृत तरीके से बैठ जाते हैं।

ऐसे में जहां यात्रियों को असुविधा होती है, वहीं रेलवे में भी शिकायतों का आंकड़ा बढ़ जाता है। कनफर्म टिकट पर यात्रा करने वाले यात्री ट्वीट या फिर अन्य माध्यमों से रेलवे में शिकायत करते हैं।

चलती गाड़ी में ही कार्रवाई करनी होती है। वेटिंग लिस्ट वाले यात्री एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में घूमते हैं और जहां सीट मिलती है बैठ जाते हैं। इससे कनफर्म टिकट यात्री की यात्रा में खलल पड़ता है।

स्टेशन पर बन जाती है लंबी दूरी की टिकट

एक तरफ रेलवे ने वेटिंग टिकट को स्लीपर और एसी कोच में नो एंट्री नियम बना रखा है, वहीं दूसरी ओर अमृतसर, लुधियाना, सरहिंद, राजपुरा, अंबाला, जगाधरी, पानीपत, दिल्ली आदि स्टेशनों से चेकिंग स्टाफ जनरल टिकट पर यात्रियों की टिकट बना देता है।

इस टिकट के बनने से यात्री स्लीपर और एसी कोच में जाने के लिए अधिकृत हो जाता है, जिससे रेलवे के नियम भी टूटते हैं। यह यात्री जुर्माना देकर डिब्बे में एंट्री तो कर जाते हैं, लेकिन सीट नहीं मिलती।

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चार सौ तक बन जाती है वेटिंग टिकट

रेलवे में अब स्लीपर क्लास के डिब्बों की संख्या घट रही है और एसी क्लास के डिब्बों की संख्या बढ़ रही है। इसका असर सामान्य वर्ग के लोगों पर सीधा पड़ रहा है, जो स्लीपर क्लास में यात्रा करते हैं। इन यात्रियों की वेटिंग लिस्ट 400 तक पहुंच जाती है।

ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि जब वेटिंग टिकट पर यात्रा की अनुमति नहीं है, तो वेटिंग का मापदंड इतना बड़ा क्यों रखा हुआ है।

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