अंग्रेजों के जमाने बना कैंट सदर थाने में आजादी की आवाज उठाने वालों पर भी हुई थी कार्रवाई
सन 1939 में अंग्रेजों ने अंबाला छावनी में सदर थाना बनाया था जो आज भी मौजूद है। इसी थाने में आजादी के लिए आवाज उठाने वालों पर कार्रवाई भी हुई। देश को आजादी मिली लेकिन आज
कुलदीप चहल, अंबाला: सन 1939 में अंग्रेजों ने अंबाला छावनी में सदर थाना बनाया था, जो आज भी मौजूद है। इसी थाने में आजादी के लिए आवाज उठाने वालों पर कार्रवाई भी हुई। देश को आजादी मिली, लेकिन आज 80 साल बीतने के बाद भी यह थाना अपनी उसी मजबूती के साथ खड़ा है, जो पहले था। ड्यूटी पर बाजारों में तैनात कर्मचारियों को थाने में आने का संदेश देने के लिए भी कर्मचारियों को भेजा जाता था। इसमें काफी समय भी लग जाता था। इसी का हल अंग्रेजों ने यह निकाला कि थाने में सबसे ऊपर हूटर लगा दिया। आपात स्थिति में कर्मचारियों को थाने में पहुंचने का मैसेज देने के लिए इस हूटर को बजाया जाता था। हूटर की आवाज सुनते ही सभी कर्मचारी थाने में एकत्रित हो जाते थे। पुरानी व्यवस्थाएं आज भी मौजूद
इस थाने में आज भी अंग्रेजों के जमाने की लकड़ी के दरवाजे सहित अन्य सामान मौजूद है। थाने का गेट आज भी उसी तरह से कायम है, तो कमरों में फाइल रखने के लिए बनाई व्यवस्था भी आज उसी रूप में मौजूद है। इन सभी को थाने के अधिकारियों व कर्मचारियों ने पूरी तरह से संभालकर रखा है। एक तरह से यह अंबाला छावनी का हैरिटेज थाना भी कहा जा सकता है।