Saweety Boora: कभी कबड्डी का शौक था और आज बॉक्सिंग में लहरा रहीं परचम, ये है मुक्केबाज स्वीटी बूरा की कहानी
Saweeety Boora हरियाणा की महिला बॉक्सिर स्वीटी बूरा की कहानी काफी प्रेरणादायक है। हरियाणा के हिसार जिले में छोटे से गांव में जन्मीं स्वीटी बूरा के सपने काफी बड़े थे। उन्हें खेल की दुनिया में अपना नाम बनाना था। कभी कबड्डी का शौक रखने वाली स्वीटी बूरा आज अंतरराष्ट्रीय स्तर की बॉक्सर हैं। अब वह भारतीय महिला बॉक्सिंग टीम की हिस्सा हैं और एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
चंडीगढ़, जागरण डिजिटल डेस्क। 23 सितंबर से 8 अक्टूबर तक 15 दिन चीन के झेंग्झौ शहर में एशियाई खेलों (Asian Games) का आयोजन होगा। भारतीय खिलाड़ियों ने इसके लिए कमर कसर ली है। खिलाड़ी देश का नाम रोशन करने के लिए जी जान से महनत कर रहे हैं। बात खेलों की हो रही है तो इसमें हरियाणा के खिलाड़ियों का नाम भी जरूर आएगा।
भारत की महिला बॉक्सिंग टीम में हरियाणा की स्वीटी बूरा (Saweety Boora) का भी नाम है। स्वीटी बूरा ने मार्च-2023 में ही महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर इतिहास रचा था। स्वीटी बूरा ने गोल्ड मेडल जीतते ही एशियाई खेलों में अपनी जगह पक्की कर ली और अब वे फिर से भारत का नाम ऊंचा करने के लिए तैयारी में जुट गई हैं।
क्या है स्वीटी बूरा की कहानी
स्वीटी बूरा का जन्म 10 जनवरी 1993 को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्र सिंह बूरा है और माता का नाम सुरेश कुमारी है। स्वीटी बूरा के पिता किसान हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्वीटी के पिता नेशनल लेवल के बास्केटबॉल प्लेयर थे। वहीं, उनकी छोटी बहन सिवी बूरा भी मुक्केबाज हैं। खास बात यह है कि जो स्वीटी आज मुक्केबाजी में अपना परचम लहरा रही है, वह कभी कबड्डी प्लेयर हुआ करती थी।
बॉक्सर नहीं, कबड्डी खेलना चाहती थीं स्वीटी बूरा
जी हां, स्वीटी बूरा का शुरुआत से ही रुझान कबड्डी की तरफ था। वह हरियाणा से कबड्डी की स्टेट लेवल प्लेयर भी बनीं। हालांकि, साल 2009 में उनके जीवन ने करवट ले ली। अपने पिता महेंद्र सिंह बूरा के आग्रह पर स्वीटी ने कबड्डी छोड़ बॉक्सिंग शुरू की। शायद महेंद्र सिंह बूरा ये बात जानते थे कि उनकी बेटी बॉक्सिंग में बहुत अच्छा करियर बना सकती है। इसके बाद क्या था, फिर स्वीटी ने भी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हार से हताश हो गईं थी स्वीटी
ऐसा नहीं है कि स्वीटी बूरा ने अपनी जिंदगी में सिर्फ सफलताएं ही देखीं। उनको कई बार असफलताओं का भी मुंह देखना पड़ा। साल 2016 में स्वीटी ने रियो ओलंपिक (Rio Olympic) में देश का प्रतिनिधित्व करने का टारगेट रखा था, लेकिन उनका चयन नहीं हो सका। ये स्वीटी के लिए बड़ा झटका था। इसके बाद साल 2020 में भी उन्होंने ओलंपिक में देश के लिए मेडल लाने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें भी असफल रहीं।
पति के कहने पर फिर पहने ग्लव्स
इसके बाद कोरोना काल आया और स्वीटी ने फिर से कबड्डी शुरू कर दी। उनको लगा वह बॉक्सिंग में ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगी। हालांकि, स्वीटी के लिए उनके पति दीपक निवास हुड्डा ने बैकबोन का काम किया। स्वीटी ने अपने पति के कहने पर फिर से मुक्केबाजी की दुनिया में कदम रखा।
स्वीटी की दीपक हुड्डा से शादी 7 जुलाई 2022 को हुई थी और उसके एक हफ्ते बाद से ही स्वीटी ने अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। इसके बाद मार्च-2023 में दिल्ली में विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप हुई और स्वीटी ने इसमें गोल्ड मेडल हासिल कर इतिहास रच दिया। अब स्वीटी की नजरें एशियाई खेलों पर है।
स्वीटी बूरा को मिला भीम पुरस्कार
स्वीटी बूरा को 2015-16 सीजन में मिली उनकी खेल उपलब्धियों के लिए हरियाणा सरकार ने 2017 में भीम पुरस्कार से नवाजा। स्वीटी बूरा को हरियाणा पुलिस ने नौकरी भी दी। बूरा साल 2019 में एक कॉन्स्टेबल के रूप में हरियाणा पुलिस फोर्स में शामिल हुईं थीं और तभी से वह अपनी नौकरी और बॉक्सिंग को बैंलेस कर के चल रही हैं।