Haryana News: प्रदेश सरकार को SC का झटका, HSSC में सामाजिक आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंक की नीति रद करने पर लगाई मुहर
हरियाणा में सामाजिक आर्थिक आधार पर अतिरिक्त अंकों का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा सरकार और हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की वो याचिका खारिज कर दी जिसमें मूल निवासियों को भर्ती परीक्षाओं में पांच अतिरिक्त अंक देने की अधिसूचना रद करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।
जागरण ब्यूरो, अंबाला। हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। हरियाणा में मूल निवासियों को सामाजिक आर्थिक आधार पर भर्ती परीक्षाओं में अतिरिक्त पांच अंक देने की नीति लागू करने की हरियाणा सरकार की अंतिम उम्मीद भी खत्म हो गयी है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की रद
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा सरकार और हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की वो याचिका खारिज कर दी जिसमें मूल निवासियों को भर्ती परीक्षाओं में पांच अतिरिक्त अंक देने की अधिसूचना रद करने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। शीर्ष अदालत ने हरियाणा सरकार की नीति को लोक लुभावन करार देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी कर दी थी रद
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने गत 31 मई 2024 को हरियाणा के मूल निवासियों को सामाजिक आर्थिक आधार पर पांच अतिरिक्त अंक देने की नीति को असंवैधानिक ठहराते हुए अधिसूचना रद कर दी थी। जिसके खिलाफ हरियाणा सरकार और हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका व न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने सोमवार को मामले में बहस सुनने के बाद याचिका खारिज करते हुए कहा कि उन्हें हाई कोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नजर नहीं आती जिसके लिए उसमें हस्तक्षेप किया जाए। मामले पर सुनवाई की शुरुआत में ही पीठ याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं दिख रही थी।
जैसे ही सुनवाई शुरू हुई पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक मेधावी छात्र को 60 अंक मिलते हैं तथा किसी और को भी 60 अंक मिलते हैं लेकिन सिर्फ पांच अनुग्रह अंकों के कारण वह ऊपर नहीं जाता। ये सभी लोक लुभावन उपाय हैं। पीठ ने हरियाणा सरकार की ओर से बहस कर रहे अटार्नी जनरल और अन्य वरिष्ठ वकीलों से कहा कि आप ऐसी कार्रवाई का बचाव कैसे कर सकते हैं जिसमें किसी को पांच अंक अतिरिक्त मिल रहे हों।
ये भी पढ़ें: हरियाणा के युवाओं की बल्ले-बल्ले, 100 दिनों में नायब सरकार देगी 50 हजार लोगों को नौकरी
हालांकि अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने राज्य सरकार की नीति का बचाव करते हुए दलील दी कि हरियाणा सरकार ने सार्वजनिक रोजगार की सुरक्षा से वंचित लोगों को अवसर देने के लिए अनुग्रह अंक नीति पेश की थी। वेंकटरमणी ने हाई कोर्ट के दोबारा लिखित परीक्षाएं आयोजित कराने के आदेश का भी विरोध किया और कहा कि हाई कोर्ट का आदेश ठीक नहीं है।
जबकि पहले से कैविएट दाखिल करने वाले और कोर्ट में मौजूद टीजीटी अभ्यर्थियों के वकील जसबीर सिंह मलिक ने हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि सामाजिक और आर्थिक आधार पर पांच अतिरिक्त अंक देने की नीति सुप्रीम कोर्ट के इंद्रा साहनी फैसले में तय किये गए आरक्षण की अधिकतम 50 फीसद सीमा के मानक का उल्लंघन है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।