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न ज्यादा पूछताछ, न ही कोई सुरक्षा जांच; सभी के लिए खुले हैं नायब सैनी के पैतृक घर के दरवाजे

हरियाणा के विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो हफ्ते का समय शेष है। भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता पाने के लिए पूरे दमखम से चुनाव लड़ रही है। भाजपा इस बार नायब सिंह सैनी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। इस रिपोर्ट में पढ़िए सीएम नायब सैनी का मिर्जापुर माजरा गांव से निकलकर चंडीगढ़ के सीएम हाऊस तक का सफर...

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 23 Sep 2024 02:35 PM (IST)
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मिर्जापुर माजरा गांव में स्थित मुख्यमंत्री नायब सैनी का पैतृक घर

सुधीर तंवर, मिर्जापुर माजरा (अंबाला)। हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटा है नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र। इस हलके में स्थित है मिर्जापुर माजरा, जो कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का पैतृक गांव हैं। छोटे से गांव में प्रवेश करते ही थोड़ी दूरी पर बना है एक बड़ा सा दोमंजिला भवन, जिसमें मुख्यमंत्री का घर है। राजधानी के सीएम हाऊस से बिल्कुल अलग।

चंडीगढ़ स्थित सरकारी निवास संत कबीर कुटी में जहां अभेद सुरक्षा सहित पूरा ताम-झाम है, वहीं पैतृक घर के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। न कोई सुरक्षा जांच, न भीड़-भाड़ और न कोई ज्यादा पूछताछ। बस रजिस्टर में एंट्री की थाेड़ी औपचारिकता जरूर निभानी पड़ती है।

नायब सिंह के गांव में 1 हजार वोटर

करीब एक हजार मतदाताओं वाला यह गांव नायब के मुख्यमंत्री बनने के बाद से सुर्खियों में है। गांव से नायब के लगाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद वे नगर खेड़ा का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। ग्रामीणों के अनुसार मनोहर सरकार की पहली पारी में कैबिनेट मंत्री और फिर पांच साल कुरुक्षेत्र से सांसद रहे सैनी में सीएम बनने के बाद भी न कोई बदलाव आया है और न गांव से उनका संपर्क कम हुआ।

संतोषजनक नहीं है गांव का विकास

गांव के ही राजेश व राजेंद्र ने बताया कि नायब के मुख्यमंत्री बनने से पूरा हलका गौरवान्वित हुआ है। हालांकि गांव का विकास अभी उस हिसाब से नहीं हो पाया है, जैसा कि मुख्यमंत्री के गांव के नाते होना चाहिए। गांव के प्रवेश द्वार पर बना बस शेल्टर खस्ताहाल है। शेल्टर में सफाई नहीं रहती। ऐसे में तेज धूप हो या बारिश, मजबूरन लोगों को सड़क किनारे खड़े होकर वाहन का इंतजार करना पड़ता है। गांव के अंदर की गलियों की हालत और सफाई व्यवस्था संतोषजनक नहीं है।

गांव में ही पति-पत्नी का वोट

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (अब केंद्र सरकार में उर्जा एवं शहरी विकास मामले मंत्री) के कंप्यूटर ऑपरेटर से सीएम की कुर्सी पर पहुंचे नायब सैनी विधानसभा चुनाव भले ही कुरुक्षेत्र के लाडवा विधानसभा क्षेत्र से लड़ रहे हैं, लेकिन पूरे परिवार का वोट मिर्जापुर माजरा गांव में ही है।

लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने पत्नी के साथ गांव के स्कूल में बने मतदान केंद्र पर वोट डाला था। उनसे प्रेरणा लेकर गांव के 846 मतदाताओं (84 प्रतिशत) ने वोट डाले जो मतदान प्रतिशत के हिसाब से पूरे लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक था।

नायब सैनी 2014 में नारायण गढ़ विधानसभा क्षेत्र से ही विधायक बनकर 2016 में मनोहर सरकार में राज्य मंत्री बने थे। उनके पिता तेलुराम सैनी सेना से सेवानिवृत्ति के बाद गांव में खेती करते हैं, जबकि माता कुलवंत कौर गृहिणी हैं। बेटा अनिकेत चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में लॉ का छात्र है, जबकि बेटी अंशिका भी अभी पढ़ाई कर रही है।

सतीश बोले-नायब नहीं बदले

स्कूल और कालेज में नायब के साथ पढ़ने वाले सतीश कुमार उपलाना बताते हैं कि उनके दोस्त नायब सिंह सैनी में कोई परिवर्तन नहीं आया है। वह पहले भी मिलनसार थे और अब भी सभी से गर्मजोशी के साथ मिलते हैं। हालांकि व्यस्तताओं के चलते उनका क्षेत्र में आवागमन कम हुआ है, लेकिन अन्य माध्यमों से वे निरंतर संपर्क में रहते हैं।

समस्याओं से कराया जाता है अवगत

नायब सैनी के चचेरे भाई ओमप्रकाश सैनी बताते हैं कि प्रतिदिन सुबह से ही सीएम निवास पर लोगों का आना-जाना शुरू हो जाता है, जिनकी आवाभगत उनके दूसरे भाई और भतीजे करते हैं। समस्याओं को सुनने की जिम्मेदारी नंबरदार की है, जिन्हें सीएम के संज्ञान में लाकर निवारण कराया जाता है।

इसी तरह भाभी कुलदीप कौर बताती हैं कि नायब की पत्नी सुमन सैनी बेहद मिलनसार महिला हैं। निरंतर संवाद होता रहता है। हालांकि, इस दौरान उनका दर्द भी छलका। कुलदीप कौर ने बताया कि उनका बेटा पानीपत में अनुबंध की नौकरी पर लगा हुआ है। वह चाहते हैं कि उसकी बदली अंबाला हो जाए, ताकि घर आ-जा सके। इस संबंध में नायब से दो-तीन बार बात हुई है। उन्होंने आश्वासन भी दिया, लेकिन अभी तक बेटे का स्थानांतरण नहीं हो पाया है।

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नायब सैनी के पास दो एकड़ कृषि भूमि

नायब सैनी के पास मिर्जापुर माजरा में कुल दो एकड़ एक कनाल जमीन है, जबकि पत्नी के पास कोई जमीन नहीं है। न ही दोनों के पास कोई कामर्शियल बिल्डिंग है। पैतृक गांव में 5420 वर्ग फीट के मकान के अलावा पंचकूला के सेक्टर चार में भी 300 वर्ग मीटर का मकान है, जहां ग्रामीणों का अकसर आना-जाना लगा रहता है।

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