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Farmer Protest: क्या है किसानों की मांग? 5 महीनों में Shambhu Border पर अब तक क्या-क्या हुआ, पढ़ें पूरी टाइमलाइन

एमएसपी सहित कई अन्य मांगों को लेकर किसान शंभू बॉर्डर पर डरे हुए हैं। किसानों के दिल्ली कूच रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग लगा रखी है। वहीं पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दे दिए हैं। इसके बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। तो 13 फरवरी से अब तक क्या कुछ हुआ पढ़िए इस टाइमलाइन में...

By Deepak Saxena Edited By: Deepak Saxena Updated: Mon, 12 Aug 2024 06:48 PM (IST)
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शंभू बॉर्डर पर बीते पांच महीनों का टाइमलाइन।
दीपक सक्सेना, अंबाला। किसान अपनी मांगों और एमएसपी को लेकर बीते कई सालों से आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और मंत्रियों से कई दौर की वार्ता के बाद भी आंदोलन पर कोई समाधान नहीं निकल पाया है। वहीं, इस साल किसानों ने 13 फरवरी को एक बार फिर दिल्ली कूच करने की घोषणा कर दी। हालांकि, हरियाणा सरकार की तैयारी के चलते शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) पर कड़ी बैरिकेडिंग कर दी गई। इसके बाद से किसान वहीं पर बैठे हुए हैं। तो आइए टाइम लाइन के जरिए जानते हैं कि शंभू बॉर्डर पर अब तक क्या कुछ हुआ...

13 फरवरी 2024- पंजाब के किसानों में फसलों की एमएसपी (MSP in Punjab) को लेकर संघर्ष शुरू हुआ। इस दौरान पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच करने का एलान किया और पूरी तैयारी के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए। लेकिन, हरियाणा सरकार ने खनौरी और शंभू बॉर्डर पर बेरिकेड्स लगा दिए और किसानों को दिल्ली की ओर जाने से रोका।

21 फरवरी 2024- किसानों ने दिल्ली जाने के लिए संघर्ष शुरू किया और इस दौरान किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच जमकर झड़प हुई। इसी टकराव में बठिंडा के युवा किसान शुभकरण की गोली लगने से मौत हो गई। इसके बाद आंदोलन ने और तीव्र रूप धारण कर लिया किसानों ने शुभकरण के अंतिम संस्कार को रोक दिया। सरकार को इलाके में इंटरनेट सेवा को बंद करना पड़ा। वहीं, तत्कालीन गृहमंत्री अनिल विज पर फायरिंग करवाने के आरोप लगाए गए और उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग उठाई गई।

10 मार्च 2024- पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) शुभकरण मामले में जांच कमेटी को गठित किया। इसके साथ ही कोर्ट ने छह सप्ताह में शुभकरण मामले में जवाब तलब करने के निर्देश दिए।

16 मार्च 2024- इसके बाद लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लगाई गई। इसी दौरान किसानों ने पक्का मोर्चा लगा दिया और लोकसभा चुनाव बीजेपी उम्मीदवारों का विरोध करने का फैसला लिया।

01 अप्रैल 2024- किसान शुभकरण की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद मामले की जांच के आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया गया।

06 मई 2024- इसके बाद इस मामले में SIT गठित हुई जिसने चंडीगढ़ पहुंचकर दर्ज बयान किए और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी अपने बयान दर्ज करवाए। इस बीच किसान रेलवे लाइन पर डटे थे। उन्होंने ट्रेन की आवाजाही रोक दी थी।

20 मई 2024- लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसानों को रेलवे लाइन से हटाया गया। वहीं, 25 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव हुए।

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07 जुलाई 2024- किसान शंभू बॉर्डर पर ही डटे रहे इसके साथ ही किसानों ने बीजेपी को छोड़कर सभी पार्टियों के नेताओं को ज्ञापन सौंपे। मानसून सत्र में फसलों पर प्राइवेट बिल लाने की मांग भी उठाई।

09 जुलाई 2024- किसानों ने अपना धरना जारी रखा। वहीं, सरकार ने किसान शुभकरण की बहन को सरकार ने पुलिस में नौकरी और परिवार को एक करोड़ का चेक दिया।

10 जुलाई 2024- पांच महीने से ज्यादा समय हो जाने के बाद भी शंभू बॉर्डर को नहीं खोला जा सका। शंभू बॉर्डर बंद होने से व्यापारियों को काफी नुकसान पहुंच रहा था। इस कारण व्यापारियों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका दायर की। इस दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को एक सप्ताह में शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश जारी कर दिए। इस पर हरियाणा सरकार ने आपत्ति दर्ज कराते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया।

12 अगस्त 2024- पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने को कहा है। साथ ही एंबुलेंस, सीनियर सिटीजन्स, महिलाओं, छात्रों आदि के लिए हाइवे खोलने के आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों साइड से एक-एक लेन खुलेगी। ⁠साथ ही पंजाब और हरियाणा के पुलिस अफसरों को एक हफ्ते में इस संबंध में मीटिंग कर मॉडलिटी तय करने को कहा है। अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त को करेगा।

आखिर क्यों कर रहे किसान विरोध प्रदर्शन?

बता दें एमएसपी की गारंटी सहित कई मांगों को लेकर किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ धरना दिया है। उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करेगी, तब तक उनका ये प्रदर्शन जारी रहेगा।

  • सभी 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी।
  • सभी फसलों का भाव स्वामीनाथन आयोग के अनुसार लागत से 50 प्रतिशत अधिक दिया जाए।
  • किसानों के ऊपर कर्जों को माफ किया जाए।
  • किसानों के लिए दस हजार रुपये प्रति महीने की पेंशन लागू की जाए।
  • बिजली संशोधन बिल-2022 को रद किया जाए।
  • लखीमपुर खीरी में घायल हुए किसानों को उचित मुआवजा और आरोपितों को सजा मिले।
  • कृषि सुधार कानूनों को लेकर चले आंदोलन के कारण जिन किसानों पर केस दर्ज हुए हैं, उन्हें रद किया जाए।
  • कृषि आंदोलन के दौरान मारे गए स्वजन को उचित मुआवजा दिया जाए। परिवार में से किसी एक को नौकरी दी जाए।
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