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यमुना नदी को मैली नहीं करेगा बहादुरगढ़ की फैक्ट्रियों का दूषित पानी, सीइटीपी का 90 प्रतिशत काम पूरा

फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पानी अब दिल्ली में यमुना नदी को मैली नहीं करेगा। इसके लिए एमआइई पार्ट बी में बनाए जा रहे सीइटीपी (कामन एफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा। दिसंबर माह के अंत तक यह प्लांट चालू कर दिया जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Manoj KumarUpdated: Thu, 10 Nov 2022 11:10 AM (IST)
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सीइटीपी का 90 प्रतिशत काम पूरा, दिसंबर माह के अंत तक होगा चालू
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: बहादुरगढ़ के आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र (एमआइई) पार्ट ए व बी में स्थित करीब ढाई हजार फैक्ट्रियों से निकलने वाला दूषित पानी अब दिल्ली में यमुना नदी को मैली नहीं करेगा। इसके लिए एमआइई पार्ट बी में बनाए जा रहे सीइटीपी (कामन एफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा। दिसंबर माह के अंत तक यह प्लांट चालू कर दिया जाएगा। फैक्ट्रियों के दूषित पानी को साफ करने के लिए हरियाणा राज्य औद्योगिक संरचना विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) की ओर से 10 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) क्षमता का सीइटीपी का निर्माण किया जा रहा है।

सीइटीपी का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। 34.50 करोड़ की लागत से इसका निर्माण कार्य होगा। सीइटीपी से निकलने वाला साफ पानी पास से गुजर रही मुंगेशपुर ड्रेन में डाला जाएगा। यह पानी दिल्ली के झाड़ौदा व आसपास के गांवों के खेतों में सिंचाई के काम आ सकेगा। पहले निगम की ओर से औद्योगिक क्षेत्र के दोनों भागों में रिसर्कुलेशन पाइप लाइन बिछाने का प्लान था लेकिन जगह कम होने की वजह से इसे रद कर दिया गया।

अगर रिसर्कुलेशन पाइप लाइन बिछाई जाती तो सीइटीपी से साफ पानी फैक्ट्रियों में ही रियूज किया जा सकता था। फिलहाल यहां की फैक्ट्रियों से निकलने वाला करीब पांच एमएलडी दूषित पानी सीधा मुंगेशपुर ड्रेन में ही डाला जा रहा है, जो दिल्ली में बहता है। इससे भूजल के साथ-साथ पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है।

सीइटीपी से जुड़े कुछ तथ्य

- 34.50 करोड़ की लागत से हो रहा सीइटीपी का निर्माण

- 10 एमएलडी की क्षमता

- एमआइई पार्ट ए व बी में फिलहाल 2366 फैक्ट्रियां

- इन औद्योगिक इकाइयों से इस समय पांच एमएलडी एफलुएंट व गंदा पानी निकल रहा

----एमआइई में 10 एमएलडी सीइटीपी बनाने का काम अंतिम चरण में है। 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दिसंबर माह के अंत तक इसे चालू कर दिया जाएगा। यहां से साफ हुआ पानी मुंगेशपुर ड्रेन में डाल दिया जाएगा। इसके निर्माण पर 34.50 करोड़ की राशि खर्च हुई है।

----नवीन कुमार, प्रबंधक, एचएसआइआइडीसी, बहादुरगढ़।

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