हवलदार की जिंदगी का असल किरदार, रात में बन जाते हैं गुरुजी; जज्बा ऐसा... आप भी करेंगे सलाम
Delhi Police दिल्ली पुलिस के हवलदार अजय के असल किरदार के बारे में जो भी जानता है उन्हें सलाम करता है। अजय दिन में तो देश सेवा करते हैं जबकि रात में गुरुजी बन जाते हैं। अजय अपने 200 गज के प्लाट में करीब 250 बच्चों को कोचिंग कराते हैं। खास बात यह है कि अजय से कोचिंग पाकर करीब 3 हजार बच्चे सरकारी नौकरी पा चुके हैं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। दिल्ली पुलिस के एक हवलदार का असल जिंदगी में किरदार किसी अभिनेता सरीखा है। वे दिन में पुलिस की नौकरी करते हैं और रात में हजारों गरीब व जरूरतमंद युवाओं के लिए गुरुजी बन जाते हैं। गुरु जी भी ऐसे जो सीधे रोजगार की मंजिल का पता बताते हैं। अपने ही घर में हर रोज 250 बच्चों को मुफ्त ऑफलाइन कोचिंग देते हैं और हजारों को ऑनलाइन पढ़ाते हैं। उनके पढ़ाए तीन हजार से ज्यादा बच्चों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। आठ वर्ष पहले शुरू की गई पहल अब कारवां बन गई है।
मिलिए इनसे.. इनका नाम है अजय ग्रेवाल। बहादुरगढ़ के आदर्श नगर में रहते हैं। खुद सिविल सर्विस की तैयारी करते रहे। दो बार यूपीएससी की परीक्षा में साक्षात्कार तक पहुंचे, लेकिन बात न बनी तो अपने ज्ञान को खुद तक सीमित नहीं रखा। दूसरों को बांटने निकल पड़े। एक बच्चे को पढ़ाना शुरू किया। आज अपने 200 गज के प्लाट में 250 बच्चों की कोचिंग क्लास लेते हैं। अजय उन्हीं बच्चों को पढ़ाते हैं जो जरूरतमंद हैं और जिनके माता-पिता नहीं हैं या पढ़ाई का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं। बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे आते हैं, जो यहां निशुल्क पढ़ते हैं।
1200 को मिली दिल्ली पुलिस में नौकरी
अजय ने 15 अगस्त, 2023 को विद्यादानम महादानम नाम से यूट्यूब चैनल बनाया है। इस पर अब तक साढ़े पांच हजार बच्चे जुड़ चुके हैं। बहादुरगढ़ की एक-दो कालोनी से शुरू हुआ सिलसिला कई प्रदेशों तक जा पहुंचा है। अजय से कोचिंग पाकर करीब तीन हजार बच्चे विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी पा चुके हैं। अकेले दिल्ली पुलिस में 1200 को नियुक्ति मिली हैं, इसमें 78 सब इंस्पेक्टर हैं। अजय दिल्ली पुलिस के झाड़ौदा कलां में आइटी इंस्ट्रक्टर हैं। आईपीएस समेत अन्य अधिकारियों को साइबर क्राइम का प्रशिक्षण देते हैं।यह भी पढ़ें- शिक्षक दिवस विशेष: शिक्षादान का महाअभियान... सुबह बेचते हैं मछली, दोपहर को बन जाते हैं प्रधानाध्यापक; पढ़ें प्रेरक कहानीइतिहास और अंग्रेजी में एमए तक पढ़े अजय बताते हैं कि 2016 में अपने एक दोस्त के भतीजे को कोचिंग दी। इसके बाद आसपास के और बच्चे भी आ आए। शाम सात से रात 10 बजे तक पहला बैच लेते हैं। फिर रात साढ़े 10 से चार बजे तक आनलाइन पढ़ाते हैं। इसके बाद सोते हैं। फिर 10 बजे ड्यूटी पर निकलते हैं।
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