Haryana Air Pollution: विश्व बैंक की मदद से सुधरेगी हरियाणा सहित आठ राज्यों की हवा, खर्च होंगे तीन हजार करोड़
Haryana Air Pollution दिल्ली और आसपास के राज्यों में प्रदूषण की समस्या को विश्व बैंक ने भी गंभीरता से लिया है। विश्व बैंक ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव की प्राथमिक रिपोर्ट को स्वीकृति दी है। हरियाणा में क्लीन एयर प्रोजेक्ट के लिए तीन हजार करोड़ की मदद मिलेगी।
By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Sat, 04 Nov 2023 06:45 AM (IST)
कृष्ण वशिष्ठ, बहादुरगढ़। दिल्ली और आसपास के राज्यों में प्रदूषण की समस्या को विश्व बैंक ने भी गंभीरता से लिया है। विश्व बैंक ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव की प्राथमिक रिपोर्ट को स्वीकृति दी है। इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जा रही है, जो 31 मार्च तक तैयार हो जाएगी।
इसके तहत सिंधु-गंगा मैदान के अंतर्गत आने वाले हरियाणा सहित आठ राज्यों में वर्ल्ड बैंक की मदद से प्रदूषण को कम किया जाएगा। हरियाणा में क्लीन एयर प्रोजेक्ट के लिए तीन हजार करोड़ की मदद मिलेगी। इससे प्रदूषण फैलाने वाले कारक और वायु प्रदूषण के स्तर पर अध्ययन किया जाएगा।
इन राज्यों की सुधरेगी हवा
यातायात, इंडस्टि्रयल, धूल, पराली जलने व अन्य कारणों के प्रदूषण स्तर का पूरा डाटा जुटाया जाएगा, जिसके आधार पर प्रदूषण को कम करने के उपायों पर काम होगा। जानकारी के मुताबिक,सिंधु गंगा मैदान के अंतर्गत आने वाले पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, दिल्ली, बिहार, झारखंड व बंगाल में सर्दियों के दिनों में वायु प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या है। यहां एयरशेड बनता है।इससे हिमालय पर्वत की वजह से सर्दियों के मौसम में कम तापमान होने की वजह से हवा का घनत्व ज्यादा हो जाता है। इस कारण हवा में मौजूद जलवाष्प से डस्ट पार्टिकल व अन्य पार्टिकुलेट मैटर मिलकर बड़े हो जाते हैं, जो हवा में ज्यादा ऊंचाई तक नहीं जा पाते। इस कारण इन मैदानी इलाकों में सर्दियों के मौसम में 200 से 300 मीटर की ऊंचाई से नीचे ही रहते हैं, जिससे प्रदूषण की एक परत सी बनती चली जाती है।
वर्ल्ड बैंक की ली जाएगी मदद
एचएसपीसीबी के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव ने बताया कि वर्ल्ड बैंक भारत के पहले स्टेट एयर क्वालिटी एक्शन प्लान और उसके साथ-साथ सिंधु गंगा मैदान के अंतर्गत आने वाले राज्यों के लिए एयरशेड एक्शन प्लान तैयार करने में मदद करेगा। इसमें ऐसे कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी जो न्यूनतम लागत पर वायु प्रदूषण की मात्रा में अधिकतम कटौती करे और वह वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित हो।
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