Haryana panchayat Poll: ये है बड़े अफसरों का गांव, आज भी है बुनियादी सुविधाओं का अभाव
जिस गांव से कई बड़े अफसर निकले हैं और वह आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहा हो तो फिर बाकी कोई भी कार्य बेमानी हो जाता है। बहादुरगढ़ का जाखौदा गांव ऐसा ही है जो दिल्ली रोहतक रोड पर बसा हैलेकिन अब गंदगी से घिरा हुआ है।
By Jagran NewsEdited By: Manoj KumarUpdated: Sat, 29 Oct 2022 02:56 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: यूं तो जिस गांव से कोई बड़ा नेता या अफसर निकले हो तो वहां पर विशेष सुविधाओं की अपेक्षा की जाती है लेकिन जिस गांव से कई बड़े अफसर निकले हैं और वह आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहा हो तो फिर बाकी कोई भी कार्य बेमानी हो जाता है। बहादुरगढ़ का जाखौदा गांव ऐसा ही है जो दिल्ली रोहतक रोड पर बसा है,लेकिन अब गंदगी से घिरा हुआ है। इस गांव के पास फुटवियर पार्क स्थापित हो रखा है। ऐसे में वहां काम करने वाले 50 हजार से अधिक श्रमिक इसी गांव के आसपास और अंदर किराये पर रहते हैं।
इससे गांव में आबादी बढ़ने के बाद समस्या भी बढ़ रही है, लेकिन समाधान नहीं निकल रहा है। अब पंचायत चुनाव हो रहे हैं तो सभी की उम्मीदें हैं कि काश ऐसा कोई प्रतिनिधि बने जो गांव को इन समस्याओं से मुक्ति दिला सके। दिलचस्प बात यह है कि यह क्षेत्र का ऐसा गांव है जहां से कई अफसर निकले हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे आइएएस आर आर जोवल इसी गांव से हैं। वही एडीजीपी रह चुके आइपीएस आर सी जोवल भी इसी गांव से है। इसी तरह ब्रिगेडियर, मेजर जनरल और दूसरे अन्य बड़े पदों पर भी अफसर रह चुके हैं और अब भी हैं, लेकिन गांव के अंदर घुसते ही ऐसा लगता है कि पता नहीं कहां गंदगी भरे माहौल में आ गए।
लोगों का कहना है कि पंचायतें तो हर बार चुनी जाती हैं, लेकिन पीने का पानी, गंदे पानी की निकासी और दूसरे कई बिंदुओं पर कोई काम नहीं होता। तालाब गंदे हो रहे हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। गांव में तीन तालाब हैं और दो पूरी तरह दूषित हो चुके हैं। मुश्किल से एक तालाब बचा हुआ है जो आबादी से कुछ दूरी पर है। अगर वह भी नहीं हो तो गांव के पशुओं के लिए ही संकट खड़ा हो जाए, लेकिन जिस तरह के हालात बन रहे हैं उससे ग्रामीणों को यही आशंका हो रही है कि आने वाले दिनों में यह तालाब भी गंदगी से बच पाना मुश्किल होगा। गांव का गंदा पानी दिल्ली-रोहतक रोड पर आकर ठहर जाता है और जहां तक नजर पड़े वहां तक गंदगी ही नजर आती हैं। यह संकट दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।
सभी विभाग इन समस्याओं के समाधान से पीछे हट रहे हैं। एक समय था जब यह गांव सबसे साफ था, लेकिन अब हालात ऐसे हो रहे हैं कि गांव की कई परिवार तो गंदगी को देख मूल निवास को छोड़कर इधर -उधर जा बसे हैं। समय के साथ समस्याओं के समाधान के लिए कोई प्लानिंग नहीं हुई। लोगों में अब यह उम्मीद है कि नई पंचायत बनेगी तो इस पर कोई काम हो सकेगा। इस गांव में 3300 से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें 1700 से ज्यादा पुरुष और 1500 से ज्यादा महिलाएं हैं। गांव में सरपंच पद के चार उम्मीदवार हैं। लोगों का कहना है कि कोई भी चुनकर आए लेकिन वह गांव की समस्याओं से निजात दिलाए।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।