बहादुरगढ़ में 25 करोड़ की लागत से बनेगा इस्कान का भव्य मंदिर
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: शहर के नाहरा-नाहरी रोड करीब साढ़े तीन एकड़ के परि
By JagranEdited By: Updated: Mon, 11 Sep 2017 03:01 AM (IST)
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
शहर के नाहरा-नाहरी रोड करीब साढ़े तीन एकड़ के परिसर में इस्कान (अंतरराष्ट्रीय श्री कृष्ण भावनामृत संघ) का देश में पहला भव्य मंदिर जा रहा है। करीब 25 करोड़ रुपये की लागत से इस्कान मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। वृंदावन स्थित इस्कान मंदिर की तर्ज पर यह मंदिर बनाया जा रहा है। मंदिर प्रबंधकों की मानें तो भव्यता के मामले में यह मंदिर लंदन समेत देश-विदेश में बने इस्कान के अन्य मंदिरों से भी बढ़कर होगा। यह मंदिर श्री श्री राधा मदन गोपाल मंदिर के नाम से जाना जाएगा। हरियाणा में इस्कान का यह दूसरा मंदिर होगा। इससे पहले कुरुक्षेत्र में भी इस्कान की ओर से मंदिर बनाया गया है। मंदिर के लिए आस्ट्रेलिया में रहने वाले बहादुरगढ़ निवासी एक दंपती ने अपनी साढ़े तीन एकड़ जमीन दान में दी है। राजस्थानी कलाकारों ने की नक्काशी, बंगालियों ने बनाए डायरामा
नाहरा-नाहरी रोड पर साढ़े तीन एकड़ परिसर में से मंदिर का भवन करीब 1200 वर्ग गज में बनाया जा रहा है। वृंदावन स्थित इस्कान मंदिर की तर्ज पर बहादुरगढ़ में बनाया जा रहा यह मंदिर काफी भव्य होगा। मंदिर के चारों ओर अंदर 26 पिलर बनाए जाएंगे। हर दो पिलरों के बीच एक आर्क बनाई जाएगी, जिसमें भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं की चित्रकारी होगी। एक लाख रुपये एक चित्र बन रहा है। मंदिर में राजस्थानी कलाकारों ने आरसीसी से नक्काशी की है तो बंगाल के कलाकार डायरामा बना रहे है। मंदिर में भगवान राधे कृष्ण, जगन्नाथ, बलदेव, सुभद्रा और बलराम पधारेगे। अप्रैल 2018 तक बनकर तैयार हो जाएगा मंदिर
मंदिर प्रबंधक नित्यानंद आश्रय दास ने बताया कि वृंदावन स्थित इस्कान मंदिर की तर्ज पर यह मंदिर बनाया जा रहा है लेकिन वहा की अपेक्षा यहा जमीन अधिक होने के कारण मंदिर की भव्यता काफी अधिक होगी। मंदिर अप्रैल 2018 की रामनवमी तक बनकर तैयार हो जाएगा। मंदिर में राजस्थान जयपुर से करीब 100 कारीगरों नक्काशी की है। आध्यात्मिक चिकित्सालय के रूप में विकसित होगा मंदिर: सुमुखादास निर्माणाधीन इस्कान मंदिर के प्रधान सुमुखा दास ने बताया कि मंदिर में हर रोज पूजा-पाठ तो किया ही जाएगा, बल्कि इस्कान के संस्थापक अभईचरण भक्ति वेदाता स्वामी प्रभुपाद के आदेशों पर मंदिर को आध्यात्मिक चिकित्सालय के रूप में भी विकसित किया जाएगा। श्रद्धालुओं को आध्यात्म का पाठ पढ़ाया जाएगा। यहा पर लोग अपने मन का इलाज कराने आएंगे। उन्होंने बताया कि मन को प्रशिक्षण देना अत्यंत आवश्यक है और यह तभी नियंत्रण में रह सकता है जब इसके पास सही मार्गदर्शन हो।
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