Athlete Renu: किराए के लिए बर्तन तक मांजे पर नहीं हटी पीछे, 10 साल में जीते 40 पदक; मजदूर की बेटी ने ऐसे पाई सफलता
Athelete Renu Kan एक बार सपनों को पूरा करने की ठान लें तो कोई भी बाधा इंसान की कमजोरी नहीं बन सकती। ऐसी ही कहानी भिवानी के गांव मंढाणा की बेटी एथलीट रेणू की है। जिन्होंने सपनों के बीच आतीं कई रुकावटों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और कड़ा संघर्ष कर अपना व अपने परिवार समेत प्रदेश का नाम रोशन किया।
सुरेश मेहरा, भिवानी। Athelete Renu Kan: वह भिवानी के गांव मंढाणा की बेटी रेणू (कण) है। मजदूर पिता चंद्रपाल की लाडली। गरीबी की धूल में पली। लेकिन बचपन से ही एथलेटिक्स की दीवानी इसलिए सपना हमेशा ही सफलता का शीर्ष छूने का रहा। सपने को साकार करने के लिए उसने परिवार की आर्थिक तंगी को आड़े नहीं आने दिया।
वह बताती है कि करीब छह साल पहले जब पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) में पढ़ रही थी तो उसे सीनियर नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भुवनेश्वर जाने का अवसर मिला। लेकिन हवाई जहाज के टिकट का किराया 6000 रुपये नहीं थे।
हवाई जहाज के लिए ऐसे किया पैसों का बंदोबस्त
पापा से मांगे पर उनके पास भी नहीं थे। दुखी मन से यूनिवर्सिटी के मेस में बात की। किराये की राशि जुटाने के लिए यहां बर्तन मांजे। इससे महीने के चार हजार रुपये ही मिले। दो हजार रुपये फिर भी कम थे। उधार लिए। फिर सीनियर नेशनल में भाग लेने के लिए हवाई जहाज से भुवनेश्वर के लिए रवाना हो गई।यह भी पढ़ें- Haryana News: हरियाणा-पंजाब व चंडीगढ़ में 220 अधिवक्ताओं की डिग्रियां फर्जी, लाइसेंस रद; वकालत पर लगेगी रोक
गोल्ड मेडल मिला और इस प्रतियोगिता की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रही। न्यू मीट रिकार्ड अपने नाम कर लिया। वहां से लौटकर दोबारा यूनिवर्सिटी के मेस में बर्तन मांजे और उधार लिए रुपये चुकाए। कई कठिनाइयां जीवन में आई पर हार नहीं मानी। शुक्र है कि वह आज सिकंदराबाद रेलवे में सीनियर क्लर्क है।
मां के गुजर जाने का गम भी तोड़ नहीं पाया हौसला
22 मार्च 2017 की बात है। रेणू अभ्यास कर रही थी। अचानक तिहरी कूद के दौरान संतुलन बिगड़ना और दाहिना हाथ कोहनी से टूट गया। मां को इसका पता चला तो वह सदमे में आ गई।
हृदयाघात से अगले दिन ही 23 मार्च 2017 को चल बसी। अप्रैल 2017 में उसे लखनऊ में होने वाले जूनियर फेडरेशन कप में खेलने जाना था। खुद को संभाला और इस फेडरेशन कप में उसने लंबी कूद और तिहरी कूद में स्वर्ण पदक जीता।लहर के प्रतिकूल तैर गई रेणू बताती हैं कि पिता चंद्रपाल गांव में ही ईंट-भट्ठे पर मजदूरी का काम करते ओर मां घर का काम करने के साथ पापा के साथ ही मजदूरी का काम भी करती थी। घर के आर्थिक हालात प्रतिकूल थे।
खेल में ज्यादा मन होने के चलते पिता ने खेलने के लिए प्रेरित किया और मां ने भी पूरा साथ दिया। बस मां और पापा का आशीर्वाद मिला तो खेल में आगे बढ़ती गई। लंबी कूद और तिहरी कूद पसंद के खेल रहे। मेहनत रंग लाई और अब तक 10 साल के करियर में 40 पदक जीते हैं। इनमें चार कांस्य पदक और 36 गोल्ड मेडल जीते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।रेणू के नाम मुख्य उपलब्धियां l
- अप्रैल 2017 में जूनियर फेडरेशन कप लखनऊ में लंबी और तिहरी कूद में गोल्ड
- मार्च 2021 में सीनियर फेडरेशन कप पटियाला में तिहरी कूद में गोल्ड
- जून 2021 में पटियाला में सीनियर नेशनल में तिहरी कूद में गोल्ड, लंबी कूद कांस्य पदक
- सितंबर 2021 में वारंगल तेलंगाना में सीनियर नेशनल में रजत
- मार्च 2022 में पटियाला में सीनियर फेडरेशन कप में गोल्ड
- जून 2022 में चेन्नई में सीनियर नेशनल में गोल्ड
- मार्च 2023 को सीनियर ग्रांड प्रिक्स त्रिंवेंद्रम में कांस्य पदक l
- अगस्त 2023 में ऑल इंडिया इंटर रेलवे में बरेली में हुई जिसमें तिहरी कूद और लंबी कूद में गोल्ड जीता।