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50 से अधिक देश रोमन भाषा में पढ़ सकेंगे हनुमान चालीसा, भिवानी के पूर्व प्राचार्य ने तीन भाषाओं में किया अनुवाद

हनुमान चालीसा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिए भिवानी के डॉ. सतीश आर्य ने रोमन और अंग्रेजी लिपि में ट्रांसलेट किया है। इसे उन्होंने एक साल की मेहनत से तैयार किया है। हनुमान चालीसा को सुंदर ढ़ंग से हिंदी रोमन और अंग्रेजी लिपि में ट्रांसलेट कर पुस्तक के रूप में उपलब्ध करवाया है। इस हनुमान चालीसा को 50 से अधिक देशों के नागरिक पढ़ और समझ सकेंगे।

By Shiv Kumar Edited By: Deepak SaxenaUpdated: Sun, 28 Jan 2024 03:49 PM (IST)
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50 से अधिक देश रोमन भाषा में पढ़ सकेंगे हनुमान चालीसा।

जागरण संवाददाता, भिवानी। पूर्व प्राचार्य और डीन रह चुके डॉ. सतीश आर्य की लिखी हनुमान चालीसा हिंदी भाषी देश के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 50 से अधिक देशों में वहां के नागरिक पढ़ व समझ सकेंगे। यह रोमन व अंग्रेजी लिपि में लिखी गई है। उन्होंने एक वर्ष की मेहनत से इसे तैयार किया है। उन्होंने हनुमान चालीसा को सुंदर ढ़ंग से हिंदी, रोमन व अंग्रेजी लिपि में ट्रांसलेट कर आमजन के लिए पुस्तक के रूप में इसे उपलब्ध करवाया है।

डॉ. सतीश आर्य बताते है कि उनका पौत्र विदेश में रहता है और वह हिंदी कम जानता है। हनुमान चालीसा उसे कैसे सिखाई जाए, बस इसी ख्याल ने इस पुस्तक को ट्रांसलेट करने के लिए का विचार जन्म दिया। विदेशों में रहने वाली या विदेशियों की नई पीढ़ी के लिए हनुमान चालीसा सीखने वाला श्लोकाच्चारण है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया हनुमान जी का परिचय

डॉ. सतीश आर्य ने बताया हनुमान चालीसा हिंदू धर्म का विलक्षण ग्रंथ है। हनुमान विश्व भर में सबसे निराले देवता है। तुलसीदासजी हनुमान के गुणाों को बड़े ही बखूबी ढ़ंग से व्याख्या करते है। पुस्तक के अंदर हिंदी का मूल दोहा, उसके बाद उसे रोमन लिपि में अनुवादित कर दोहे का अंग्रेजी अनुवाद व बाद में दोहे की पूरी व्याख्या रचित की गई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हनुमानजी का पूरा परिचय करना इस पुस्तक का मुख्य लक्ष्य है।

हिंदी नामों और सिद्धांतों की संक्षिप्त व्याख्या

पुस्तक में गोस्वामी तुलसीदास व हनुमानजी पर लेख भी प्रकाशित किया गया है और साथ में हिंदी नामों और सिद्धांतों की संक्षिप्त व्याख्या की गई है। जैसे कि अधर्म, आस्था, असुर, आत्मा, बजरंगी, भक्ति, चालीसा, चौपाई, दोहा, गुरू, पाप, ऋषि, तपस्वी जैसे कई शब्द केवल हिंदू धर्म में हिंदी लिपि में ही इस्तेमाल होते है।

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दासजी पुरुषोत्तम ने आर्ट वर्क में किया सहयोग

डॉ. सतीश आर्य बताते हैं कि पुस्तक हनुमान चालीसा में योगेश शर्मा ने पुस्तक को सैट करने के कार्य में सहयोग दिया। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर कई बार सम्मानित हो चुके दासजी पुरुषोत्तम ने पुस्तक में आर्ट वर्क के कार्य के लिए सहयोग दिया है। इनके सहयोग के बगैर पुस्तक को पूरा करना संभव नहीं था।

फेमस कवियों ने जताया आभार

पुस्तक के लिए प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास, लेखक के लिए भारद्वाज, अक्षय कुमार, प्रो. राजेश शर्मा, अनूप बेनिवाल, विनोद शाही, प्रकाश पी पटनायक, डॉ. दिनेश दधीची, प्रो. अशोक वर्मा व डॉ. कृपा के गौतम ने डॉ. सतीश आर्य व उनकी टीम को यह पुस्तक लिखने व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हनुमान चालीसा को पहुंचाने के लिए आभार व्यक्त किया है।

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