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Haryana News: अब पौधों की जड़ों से मिलेगी ऊर्जा, भिवानी के असिस्टेंट प्रोफेसर ने निकाली तकनीक; भविष्य में होगी बेहद कारगर

हरियाणा के भिवानी स्थित चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र कुमार मिश्रा और उनके सहयोगियों ने मिलकर एक नई तकनीक को विकसित किया है। इस तकनीक के जरिए पौधों के जड़ों में होने वाली रासायनिक प्रक्रिया से ऊर्जा को उत्पादित किया जा सकेगा। साथ ही इस मशीन का पेटेंट भी करवा लिया गया है।

By Jagran News Edited By: Deepak SaxenaUpdated: Mon, 15 Jan 2024 06:27 PM (IST)
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अब पौधों की जड़ों से मिलेगी ऊर्जा, भिवानी के असिस्टेंट प्रोफेसर ने निकाली तकनीक (प्रतीकात्मक चित्र)।
शिव कुमार, भिवानी। संकट है तो समाधान भी हैं। पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में भी यह कथन सत्य साबित होता दिख रहा है। शोध-अनुसंधान के क्षेत्र में चल रहे प्रयास संकेत दे रहे हैं कि वह दिन दूर नहीं जब पौधों की जड़ों से निकलती ऊर्जा पर्यावरण संरक्षण के साथ बिजली का विकल्प बनेगी। इस संकल्पना को साकार करने की दिशा में हरियाणा के भिवानी स्थित चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग ने अहम कदम बढ़ाया है। विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र कुमार मिश्रा व उनकी सहयोगी विज्ञानियों ने पौधों की जड़ों से ऊर्जा उत्पादन की तकनीक विकसित की है। इसका पेटेंट भी करवाया जा चुका है।

यह है तकनीक

पौधे प्रकाश संश्लेषण (पत्तियों से भोजन बनाने की प्रक्रिया) के माध्यम से कार्बनिक पदार्थ का उत्पादन करते हैं। इस कार्बनिक पदार्थ का कुछ हिस्सा पौधों द्वारा अपने विकास के लिए उपयोग किया जाता है और कुछ अप्रयुक्त रह जाता है। जो जड़ों द्वारा मिट्टी में उत्सर्जित हो जाता है। पौधों की जड़ों के आसपास रहने वाले बैक्टीरिया इस कार्बनिक पदार्थ को तोड़ देते हैं। इस क्षरण प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रान उपउत्पाद के रूप में निकलते हैं। विज्ञानियों ने जो तकनीक विकसित की है उसके माध्यम से इन इलेक्ट्रानों को बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है।

इलेक्ट्रानों से मिलेगी ऊर्जा

चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के विज्ञानियों के इस नवोन्मेष में बिजली उत्पादन के लिए उपयोग के बाद पौधों को जड़ों के कार्बनिक पदार्थ से निकलने वाले इलेक्ट्रानों को एक चक्रीय प्रक्रिया से गुजारा। इस प्रकार इलेक्ट्रानों से ऊर्जा प्राप्त हुई। इस तकनीक को खेत, बगीचे या छतों या अन्य किसी भी क्षेत्र जहां पौधे हों, प्रयोग किया जा सकेगा। तकनीक विकसित करने वाले विज्ञानियों के अनुसार जब तक पौधे रहेंगे, लगातार बिजली मिलती रहेगी।

बढ़ रही बिजली की मांग

दुनियाभर में बिजली की मांग बढ़ रही है। अभी तक प्रमुख रूप से कोयला आधारित संयंत्रों में बिजली उत्पादन होता है। इस प्रक्रिया में निकलने वाली गैसों को पर्यावरण के लिए हानिकारक माना जाता है। विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिससे पारंपरिक बिजली उत्पादन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

भारत में भी बीते कुछ वर्ष में नवीकरणीय ऊर्जा जैसे-सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन बढ़ा है और इसे निरंतर बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। इस क्रम में चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय में हुआ नवोन्मेष नवीकरणीय ऊर्जा के नए स्रोत की उम्मीदें बढ़ाता है।

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पौधे से एनर्जी और उसे स्टोर करने की डिवाइस की तैयार

चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि हमने पौधों की जड़ों से एनर्जी तैयार करने और उसे स्टोर करने की डिवाइस तैयार की है। कुछ पौधों पर इसका प्रयोग किया है, हरेक पौधे में अलग-अलग एनर्जी मिली है। अब हम प्रयास कर रहे हैं कि इस एनर्जी को स्टोर किया जाए। रिसर्च कर रहे हैं कि इस एनर्जी को कितनी मात्रा में, कितने समय तक स्टोर किया जा सकता है। इसके बाद यह तय होगा कि इसका कहां-कहां और कैसे प्रयोग हो सकेगा। अगर यह रिसर्च वर्क पूरी तरह कामयाब रहा तो हमें कभी न खत्म होने वाली बिजली मिल जाएगी और बिजली के संकट से मुक्ति मिलेगी। पौधों की एनर्जी बिजली का बेहतर विकल्प बनेगी।

भविष्य में कारगर होगी रिसर्च: प्रो. मित्तल

चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. आरके मित्तल ने कहा कि डॉ. धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने बेहतर रिसर्च किया है। यह भविष्य में बेहद कारगर साबित हो सकता है। चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय में रिसर्च वर्क को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप कई रिसर्च हुए है, जो देश के विकास में अहम साबित होंगे।

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