Bhiwani News: गणित के फार्मूलों में उलझ रहे विद्यार्थी, 80 फीसदी तक हर साल छोड़ रहे विषय; सामने आई ये बड़ी वजह
Haryana News Update गणित विषय के फार्मूलों में वर्षों बाद भी हरियाणा के बच्चे उलझ रहे हैं। औसतन हर साल 80 प्रतिशत तक बच्चे 10वीं के बाद गणित विषय की पढ़ाई छोड़ रहे हैं। वहीं 10वीं में ही 27 से 30 प्रतिशत तक बच्चे फेल हो जाते हैं। 12वीं कक्षा में गणित विषय लेने वालों का आंकड़ा बमुश्किल 60 से 65 हजार तक पहुंचता है।
शिव कुमार, भिवानी। गणित विषय के फार्मूलों में वर्षों बाद भी हरियाणा के बच्चे उलझ रहे हैं। औसतन हर साल 80 प्रतिशत तक बच्चे 10वीं के बाद गणित विषय की पढ़ाई छोड़ रहे हैं। वहीं 10वीं में ही 27 से 30 प्रतिशत तक बच्चे फेल हो जाते हैं। हालांकि वैदिक गणित ने इस विषय को कुछ आसान किया है मगर अभी भी बच्चों में इसका खौफ है।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने दसवीं कक्षा में गणित विषय में बड़े स्तर पर फेल हो रहे बच्चों की संख्या को देखते हुए इस बार विद्यार्थियों को दो श्रेणियों में आधार (बेसिक) व मानक (स्टैंडर्ड) यानी आसान और मुश्किल दो तरह की परीक्षाएं लेने की योजना बनाई है।
वर्षों से गणित विषय से हरियाणा के बच्चे परेशान
जिन विद्यार्थियों की गणित विषय में रूचि है और आगे इसकी पढ़ाई करना चाहते हैं वे स्टैंडर्ड यानी मुश्किल गणित की परीक्षा देंगे और जिन्हें 10वीं के बाद यह विषय नहीं पढ़ना वे बेसिक गणित लेकर 10वीं कक्षा को पास कर सकते हैं। वर्षों से गणित विषय से हरियाणा के बच्चे परेशान हैं।Jind Crime News: हरियाणवी गायक मासूम शर्मा के घर में बदमाशों ने की फायरिंग, हथियारबंद ने कहा- 'जान से मार देंगे'
20 से 25 फीसदी बच्चे करना चाहते हैं इस विषय की पढ़ाई
बमुश्किल 20 से 25 प्रतिशत बच्चे ही इस विषय की पढ़ाई करना पसंद करते हैं। दसवीं कक्षा तक गणित विषय अनिवार्य है। ऐसे में 10वीं तक इसे पढ़ना अधिकतर बच्चों की मजबूरी है। बोर्ड के आंकड़ों की बात करें तो दसवीं में गणित विषय की परीक्षा देने वाले बच्चों का आंकड़ा औसतन तीन से साढ़े तीन लाख तक रहता है।12वीं कक्षा में गणित विषय लेने वालों का आंकड़ा बमुश्किल 60 से 65 हजार तक
मगर 12वीं कक्षा में गणित विषय लेने वालों का आंकड़ा बमुश्किल 60 से 65 हजार तक पहुंचता है। औसतन 70 हजार से एक लाख तक बच्चे तो 10वीं कक्षा में ही फेल हो जाते हैं। जो बच्चे 12वीं कक्षा में गणित विषय लेते हैं, उनमें से 10 से 15 प्रतिशत तक फेल होकर पिछड़ जाते हैं यानी स्नातक में गणित विषय पढ़ने वालों की संख्या तो 10वीं के मुकाबले बमुश्किल 15 प्रतिशत तक ही रहती है।
दसवीं में अब दो तरह का गणित बेसिक व स्टैंडर्ड पढ़ने को मिलेगा। काफी बच्चे ऐसे होते हैं, जिनकी गणित विषय में रुचि नहीं होती या कठिन लगती है। इस कारण वे दसवीं कक्षा में पास नहीं हो पाते। उन्हीं बच्चों को ध्यान में रखते हुए नए सत्र से बेसिक और स्टैंडर्ड मैथ का फार्मूला अपनाया गया है। -डा. वीपी यादव, चेयरमैन, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड।
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