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हरियाली के लिए जोड़ रहे पाई-पाई, ताकि पूरी हो पेड़ों की भरपाई

जिले में पर्यावरण प्रहरी के रूप में काम कर रहे हैं सेव अरावली संस्था से जुड़े दर्जनों पदाधिकारी। इनमें पौधारोपण की लगन इतनी बढ़ती जा रही है कि अब आपस में 100-100 रुपये एकत्र कर इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 05 Jul 2020 06:44 PM (IST)
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हरियाली के लिए जोड़ रहे पाई-पाई, ताकि पूरी हो पेड़ों की भरपाई

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद

सच्ची लगन और मेहनत से काम किया जाए, तो सफलता जरूर मिलती है। लक्ष्य कितना भी कठिन क्यों न हो, एक ना एक दिन इसे पा ही लिया जाता है। कुछ इसी सोच के साथ जिले में पर्यावरण प्रहरी के रूप में काम कर रहे हैं सेव अरावली संस्था से जुड़े दर्जनों पदाधिकारी। इनमें पौधारोपण की लगन इतनी बढ़ती जा रही है कि अब आपस में 100-100 रुपये एकत्र कर इस मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। इन पैसों को एकत्र कर बीज व पौधे खरीदे जाते हैं। पौधों को पानी दिया जाता है। खाद मंगाई जाती है। बस इसी तरह पैसे जुटाकर सेव अरावली ने इस सीजन में अलग-अलग जगह वन विकसित करने के लिए विभिन्न पौधों की प्रजातियों के ढाई लाख बीज खरीदे हैं। इनमे शीशम, सिरस, नीम, पीपल, बांस, पिलखन, बरगद, रेहटा, आंबला, इमली, देसी कीकर, खैरी, रौंज, पहाड़ी पापड़ी, अमलतलाश सहित अन्य पौधों के बीज शामिल हैं। ये बीज राजस्थान के भीलवाड़ा से मंगाए गए हैं। अब इन बीज को रोपना भी शुरू कर दिया है। अपने दम पर तैयार किए चार फॉरेस्ट :

अरावली के संरक्षण में लगी सेव अरावली की टीम ने अपने दम पर जिले में चार फॉरेस्ट तैयार कर दिए हैं। इन्हें पाली, सिटी, फरीदाबाद, अनंगपुर का नाम दिया है। चारों फॉरेस्ट में तीन हजार से अधिक पौधे रोपे जा चुके हैं। यहां लगे पौधों का पालन-पोषण का जिम्मा भी उठाया हुआ है। यानि पौधों की नियमित सिंचाई भी नहीं भूला जाता। इसमें सेव अरावली की टीम के संस्थापक जितेंद्र भडाना, सुनील बिधुड़ी, कैलाश बिधुड़ी, योगेश शर्मा, कैलाश राव, विकास थरेजा, संजय राव बागुल, मीनाक्षी शर्मा, शुचिता खन्ना सहित अन्य अहम सहयोग दे रहे हैं। ये सभी पदाधिकारी अपने निजी खर्चें से टैंकर मंगवाते हैं। इसके बाद पाइप के माध्यम से सभी पौधों में पानी दिया जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग का मिल रहा साथ :

सेव अरावली के संस्थापक जितेंद्र भडाना ने बताया कि पौधारोपण अभियान को गति देने के लिए उन्हें छोटे बच्चों से लेकर स्कूल-कॉलेज के छात्रों, महिलाओं, बुजुर्गों तक का साथ खूब मिल रहा है। सभी एक मैसेज पर अपना-अपना सहयोग देने के लिए आ जाते हैं। इससे श्रमदान होता है।

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