ये तो हद हो गई! हार्ट सेंटर में BAMS डॉक्टर का खुला ऐसा राज, दंग रह गए अफसर; ये है पूरा मामला
अंबाला के हार्ट सेंटर में बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां हृदय रोग विशेषज्ञ की जगह बीएएमएस डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहा था। इस मामले की जांच में यह बात सामने आई है। सीएम विंडो पर की गई शिकायत के बाद यह सच्चाई सामने आई है। अंबाला के जिला मेडिकल नेगलिजेंसी बोर्ड ने रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट रूप से लिखी है।
अनिल बेताब, फरीदाबाद। औद्योगिक नगरी के जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल में पीपीपी नीति के तहत चल रहे हार्ट सेंटर में हुई घोर लापरवाही की परतें अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। अब यह सामने आया है कि अंबाला छावनी के जिला नागरिक अस्पताल में चल रहे हार्ट सेंटर में हृदय रोग विशेषज्ञ के स्थान पर बीएएमएस डॉक्टर मरीजों का उपचार कर रहा था।
सीएम विंडो पर अंबाला शहर निवासी विनय वालिया की ओर से की गई शिकायत के बाद यह सच्चाई सामने आई है। अंबाला के जिला मेडिकल नेगलिजेंसी बोर्ड ने रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट रूप से लिखी है। विनय वालिया के भाई निगम वालिया की इलाज के दौरान हार्ट सेंटर में मौत हो गई थी।
सामने आई यह लापरवाही
रिपोर्ट के अनुसार, निगम वालिया की मौत के मामले में सेंटर प्रबंधन की लापरवाही है। बोर्ड की यह रिपोर्ट दैनिक जागरण के पास भी है। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. कुलदीप सिंह ने सेंटर की लापरवाही मानते हुए मामले को गंभीर माना है। विनय वालिया गत वर्ष 31 जनवरी को भाई निगम वालिया को तबीयत खराब होने पर शहर के नागरिक अस्पताल ले कर गए थे। वहां के डॉक्टरों ने मरीज को अंबाला छावनी के हार्ट सेंटर में जाने को कह दिया।जांच में सामने आई यह अहम बात
विनय वालिया ने बताया कि वह अपने भाई को हार्ट सेंटर ले आए। यहां सेंटर में उनका इलाज शुरू किया गया। सेंटर में मौजूद डॉक्टर को देख कर उन्हें कुछ संदेह हुआ, तो उन्होंने हृदय रोग विशेषज्ञ के बारे में पूछताछ कि वह कब आएंगे। वहां मौजूद डाक्टर ने स्वयं को ही हृदय रोग विशेषज्ञ बताया था। उस समय सेंटर में भाई की एंजियोग्रफी का शुल्क जमा करवा लिया गया था, मगर एंजियोग्राफी नहीं की गई। विनय ने शिकायत की कि सही इलाज न मिलने पर चलते उनके भाई की मौत हो गई।
वहीं, उनकी शिकायत के बाद अंबाला के मेडिकल नेगलिजेंसी मेडिकल बोर्ड की ओर से जांच की गई। जांच रिपोर्ट से साबित हो गया है कि सेंटर में हृदय रोग विशेषज्ञ के स्थान पर बीएएमएस इलाज कर रहा था।
2007 हुई लोगों की मौत की जांच की मांग की
प्रदेश के चार जिले अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम तथा पंचकूला के नागरिक अस्पतालों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप नीति के तहत चल रहे हार्ट सेंटर में कितने मामलों में लापरवाही बरती गई और कितने मरीजों के इलाज में री यूज वायर, बैलून और नीडल के प्रयोग किए गए। यह तो अभी जांच का विषय है, मगर आरटीआई कार्यकर्ता मान सिंह ने मुख्य सचिव और स्वास्थ्य महानिदेशक को पत्र लिख कर इन सेंटरों में उपचार के बाद हुईं 2007 लोगों की मौत की जांच की मांग की है।
विजिलेंस ने फरीदाबाद में तो जांच शुरू कर दी है, जांच का दायरा बढ़ाया तो आने वाले दिनों में अंबाला और पंचकूला के हार्ट सेंटर का भी रिकार्ड खंगाला जाएगा। विजिलेंस ने 29 अक्टूबर को मेडिट्रीना कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक डा. प्रताप, चीफ आपरेटिंग आफिसर प्रवीण कुमार और वित्त अधिकारी पीयूष श्रीवास्तव क खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। यही कंपनी अंबाला, पंचकूला व गुरुग्राम में भी पीपीपी मोड पर हार्ट सेंटर संचालित कर रही है।
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इन्हें आरटीआई में नहीं मिली जानकारी तो आयोग में की अपील अंबाला छावनी निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता ओंकार सिंह ने गत वर्ष फरवरी में हार्ट सेंटर में इलाज करने वाले डॉक्टरों की सूची व चिकित्सीय योग्यता प्रमाण पत्र बाबत जानकारी मांगी थी। किस डाक्टर ने कितने मरीजों को स्टंट डाले। मरीजों की संख्या बताई जाए, जिन्हें स्टंट डाले गए हैं। स्टंट डलवाने के बाद कितने लोगों की मौत हुई है। कितने केसों में सफलता मिली है। इसकी जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने स्वास्थ्य निदेशक के यहां अपील की। जानकारी नहीं दी गई तो जन सूचना अधिकार आयोग में इसकी अपील की गई। अब आयोग में 28 नवंबर को सुनवाई होनी है।हार्ट सेंटर में लापरवाही संबंधी आ रहीं शिकायतों के मामलों की जांच करवाई जा रही है। हार्ट सेंटर में हृदय रोग विशेषज्ञ का न होना एमओयू का उल्लंघन है। सरकार को स्थिति से अवगत कराया जाएगा। -डा. कुलदीप सिंह, स्वास्थ्य महानिदेशक