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Diwali 2022: मेक इन इंडिया का ठप्पा मार बिक रहा चाइना का माल, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी पड़ोसी देश से आए

Diwali 2022 दीपावली भारत के मुख्य त्योहारों में एक है लेकिन बाजार में रंग बिरंगी लाइटें झालर आर्टिफिशयल फूल प्लास्टिक के दीये समेत सभी सामान पड़ोसी देश चीन से बनकर आए हैं। यहां तक कि भगवान गणेश और लक्ष्मी माता की मूर्तियां व पोस्टर भी चीन उत्पाद हैं।

By Susheel BhatiaEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Mon, 24 Oct 2022 12:54 PM (IST)
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मेक इन इंडिया का ठप्पा मार बिक रहा चाइना का माल, हिंदू देवी-देवताओं के पोस्टर भी पड़ोसी देश से आए
फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। Diwali 2022: दीपावली भारत के मुख्य त्योहारों में एक है, लेकिन बाजार में रंग बिरंगी लाइटें, झालर, आर्टिफिशयल फूल, प्लास्टिक के दीये समेत सभी सामान पड़ोसी देश चीन के हैं। यहां तक कि भगवान गणेश और लक्ष्मी माता की मूर्तियां व पोस्टर भी चीन से बन कर आए हैं, जो दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में खूब बिक रहे हैं। ग्राहकों को धोखे में डालने के लिए इन पर मेक इन इंडिया का ठप्पा लगा दिया गया है।

दैनिक जागरण की पड़ताल में औद्योगिक नगरी एनआइटी के प्रमुख बाजार एक नंबर, पांच नंबर, सेक्टर-15 मार्केट, सेक्टर सात-दस मार्केट में, राजधानी दिल्ली के भागीरथ पैलेस, हापुड़ की गोल मार्केट, रेलवे रोड, कोठी गेट, पक्का बाग, चंडी मंदिर रोड, फ्रीगंज रोड, पुराना बाजार, गुरुग्राम के बाजार और नोएडा की इंदिरा मार्केट, कंचनजंगा, हरौला व बरौला में दुकानों पर चीनी उत्पादों की खूब खरीद-फरोख्त होती दिखी।

सस्ता और सुंदर चाइनीज सामान खरीद रहे लोग

एनआइटी के बाजार में दुकानदार आत्मप्रकाश ने कहा कि स्वदेशी पर चीन निर्मित माल इसलिए भारी है, क्योंकि यह सस्ता भी है और इसके साथ इन उत्पादों में इतनी वैराइटी हैं कि ग्राहकों को यह आकर्षित करते हैं। यही कारण है कि हाथों-हाथ इसकी बिक्री होती है।

दुकानदार ने बताया कि भारत में तैयार 18 मीटर की बिजली की लड़ी 250 रुपये की है, जबकि इतनी ही बड़ी चीन से आई लड़ी 120 रुपये की है। इस तरह से 13 मीटर की स्वदेशी लड़ी 160 रुपये की और चीन से आया माल 80 रुपये में बिक रहा है। अब जब दाम में फर्क दोगुना होगा, तो कोई भी विदेशी सामान खरीदेगा। इस साल चीन में तैयार पानी से जलने वाले दीये भी लोगों को खूब भा रहे हैं। यह दीये 35 रुपये प्रति नग बिक रहे थे। 

भागीरथ पैलेस, नोएडा, हापुड़ में भी यही हाल

राजधानी दिल्ली में चांदनी चौक स्थित भागीरथ पैलेस बिजली की लड़ी का थोक बिक्री केंद्र है। यहां जो उत्पाद थोक में बिकने लिए आए हैं, वो झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र व आसपास के अन्य क्षेत्रों से आए हैं। दिल्ली इलेक्ट्रिकल ट्रैडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक शर्मा के मुताबिक चीन से निर्मित एलईडी सहित अन्य सामान लेकर यहां असेंबल किया जा रहा है और उस पर मेक इन इंडिया का ठप्पा लगा कर बेचा जा रहा है।

नोएडा की हरौला मार्केट में विक्रेता श्याम सिंह ने कहा कि धनतेरस, दीपावली, भैया दूज व गोवर्धन पूजा के अवसर पर करोड़ों रुपये का कारोबार होता है और इसमें 75 प्रतिशत से अधिक माल चीन से आया हुआ है। सस्ता व आकर्षक होने के कारण ग्राहक इसे पसंद करते हैं। दुकानदार तो वही बेचेगा, जिसमें उसे मुनाफा होगा।गुरुग्राम के बाजारों में स्वदेशी के प्रति ग्राहकों का उत्साह तो दिखा, पर चाइनीज उत्पादों की भी कोई कमी नहीं है।

ग्राहक भी चीनी सामान खरीदने को मजबूर

एनआइटी निवासी नीलम ने बताया मैं दीपोत्सव की खरीद करने आई हूं। लक्ष्मी माता का पोस्टर व मूर्ति, पद चिन्ह और स्वास्तिक की बाबत जब दुकानदार से पूछा तो उसने बताया कि चीन से ही बन कर आया है, तो मैंने नहीं खरीदा। मैं स्वदेशी को ही अपनाती आई हूं। सरकार इस बाबत गंभीरता से ध्यान दे और कुछ उपाय करे, तो लोग स्वदेशी ही अपनाएंगे।

फरीदाबाद के संजय नायक कहते हैं कि रोली, मोली, सिंदूर, सजावटी सब माल तो चीन से आया है। तीज-त्योहार हमारा और माल चीन का। अब कर भी क्या सकते हैं। सबको पता है कि कौन सा स्वदेशी है और कौन चाइनीज का।

अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सीए प्रदीप बंसल ने बताया कि चीन से आया माल बेशक सस्ता है, पर इसकी गुणवत्ता नहीं होती। दूसरा यह कि इससे अपनी विदेशी मुद्रा बाहर जा रही है। स्वदेशी का इस्तेमाल करेंगे, तो लोगों को रोजगार भी मिलेगा और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी नहीं आएगी।

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