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राजनीतिक पिच पर नहीं चल पाई चेतन शर्मा की गेंदबाजी, साल 2009 में फरीदाबाद लोकसभा सीट से लड़ा था चुनाव

राजनीति के इन दोनों धुरंधरों से चेतन शर्मा ने चुनावी रण में मुकाबला तो खूब किया पर पार न पा सके। उस चुनाव में चर्चित राजपूत नेता सूरजपाल अम्मू भी चेतन शर्मा के साथ कंधे से कंधा मिला कर चले थे। क्रिकेटर से नेता बने चेतन को 2009 के लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था।

By Susheel Bhatia Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 08 Apr 2024 10:06 AM (IST)
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राजनीतिक पिच पर नहीं चल पाई थी चेतन शर्मा की गेंदबाजी
सुशील भाटिया, फरीदाबाद। तेज गेंदबाज के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में बल्ले से भी कमाल दिखा चुके चेतन शर्मा बाद में कमेंटेटर भी बने और बीसीसीआई की चयन समिति के अध्यक्ष भी बने।

इस हरफनमौला क्रिकेटर ने राजनीति के मैदान में भी भाग्य आजमाया था, पर राजनीतिक पिच पर चेतन शर्मा प्रतिद्वंद्वियों को चित नहीं कर सके। चेतन शर्मा 2009 के लोकसभा चुनाव में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से अपनी राजनीतिक पारी का आगाज करने उतरे थे। क्रिकेटर से नेता बने चेतन को तब बहुजन समाज पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था।

वर्ष 1986 के इंग्लैंड टूर पर किया था शानदार प्रदर्शन

औद्योगिक जिला फरीदाबाद से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने की वजह यह भी थी कि चेतन शर्मा हरियाणा से थे और यहां राजा नाहर सिंह क्रिकेट स्टेडियम पर उन्होंने वर्षों तक क्रिकेट खेली। वर्ष 1986 के इंग्लैंड टूर पर शानदार प्रदर्शन कर लौटने के बाद चेतन शर्मा सीधे फरीदाबाद आए और यहां के स्टेडियम में क्रिकेट खेलते हुए एस्कार्ट्स कारखाने की टीम में शामिल हुए।

कपिल देव उस टीम के कप्तान थे। बाद में चेतन शर्मा हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन की पटौदी ट्राफी में फरीदाबाद से खेले और इस कारण से चेतन शर्मा का घनिष्ठ संबंध फरीदाबाद से हो गया।

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वर्ष 1987 के विश्व कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ नागपुर के मैदान पर एक दिवसीय मैच में हैट्रिक लेकर विश्व के पहले गेंदबाज बने चेतन शर्मा ने 1989 में नेहरू कप के एक मैच में चेतन शर्मा ने चौथे नंबर बल्लेबाजी करते हुए 96 गेंदों पर 101 रनों की शानदार पारी भी खेली थी।

क्रिकेट करियर खत्म होने के बाद 2007 से 2012 तक बसपा सरकार में पावरफुल नौकरशाह नवनीत सहगल के माध्यम से 2009 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का टिकट पाया और मैदान में उतर गए।

बहुजन समाज पार्टी को थी मजबूत चेहरे की तलाश

बहुजन समाज पार्टी को भी चुनाव में एक मजबूत चेहरे की तलाश थी। ब्राह्मण समुदाय, बसपा का काडर वोटर और साथ में क्रिकेटर होने के चलते बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के तहत चेतन शर्मा को टिकट देकर मैदान में उतारा था। चेतन शर्मा के मुकाबले तब भाजपा के टिकट पर हैट्रिक चौधरी का खिताब पाए रामचंद्र बैंदा और कांग्रेस की ओर से पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना मैदान में उतरे थे।

राजनीति के इन दोनों धुरंधरों से चेतन शर्मा ने चुनावी रण में मुकाबला तो खूब किया, पर पार न पा सके। उस चुनाव में चर्चित राजपूत नेता सूरजपाल अम्मू भी चेतन शर्मा के साथ कंधे से कंधा मिला कर चले थे।

चुनाव में चेतन शर्मा के कवरिंग कैंडिडेट के रूप में नामांकन दाखिल करने वाले हरियाणा के वेटरन क्रिकेटर आनंदकांत के अनुसार राजनीतिक बिसात पर वही नेता सफल रहता है और अपनी जगह बनाने में सफल रहा है, जो अपनी बातों से, लच्छेदार बातों से जनता को प्रभावित कर सके।

चेतन शर्मा को कितने वोट मिले थे?

अब चेतन शर्मा ठहरे सीधे-साधे क्रिकेटर, भला कैसे आगे बढ़ पाते। खैर चेतन शर्मा के लिए संतोष की बात यह थी कि कुल पड़े 624937 वैध मतों में से चेतन शर्मा 113453 वोट लेने में सफल रहे थे, जो कुल मतों का 10.29 प्रतिशत था। इस चुनाव में जीते थे कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना, जिन्हें 257864 वोट मिले थे और भाजपा के रामचंद्र बैंदा दूसरे नंबर पर रहे थे, जिन्हें 189663 वोट मिले थे।

आनंदकांत के अनुसार तब संतोष की बात यह भी थी कि तीसरे नंबर पर आने के बावजूद चेतन शर्मा जमानत बचाने में सफल रहे थे। खैर चेतन शर्मा ने इसके बाद अपने राजनीतिक करियर को जारी रखा था और भाजपा में शामिल हो गए थे, पर फिर कभी चुनाव नहीं लड़े।

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