Badminton Asia Team Championship: मलेशिया में भारत का परचम लहराने वाली अनमोल बोलीं- मैं दबाव नहीं लेती, मेरा लक्ष्य था गोल्ड मेडल
मलेशिया में बैडमिंटन एशियन चैंपियनशिप (Gold Medal in Badminton Asia Team Championship) में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाली होनहार खिलाड़ी अनमोल खरब स्वयं पर कभी दबाव नहीं लेती कोर्ट में उनके सामने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी कौन है और कितनी बड़ी खिलाड़ी है यह भी उनके लिए मायने नहीं रखता। बस अपने स्वाभाविक खेल पर और कोच की बताई सीख पर उनका ध्यान रहता है।
सुशील भाटिया, फरीदाबाद। मलेशिया में बैडमिंटन एशियन चैंपियनशिप (Gold Medal in Badminton Asia Team Championship) में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाली होनहार खिलाड़ी अनमोल खरब स्वयं पर कभी दबाव नहीं लेती, कोर्ट में उनके सामने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी कौन है और कितनी बड़ी खिलाड़ी है, यह भी उनके लिए मायने नहीं रखता। बस अपने स्वाभाविक खेल पर और कोच की बताई सीख पर उनका ध्यान रहता है। कुछ इस तरह से दैनिक जागरण से खास बातचीत करते हुए भारतीय बैडमिंटन की नई सनसनी अनमोल ने जवाब दिए। अनमोल सोमवार देर शाम को सेक्टर-16 स्थित घर पहुंचीं।
जब अनमोल खरब (Anmol Kharab) से चीन, जापान और थाईलैंड के खिलाफ निर्णायक मैचों में किस तरह का प्रेशर था बाबत सवाल किया गया तो कहा कि वो कभी भी किसी मैच में प्रेशर नहीं लेती। फाइनल मैच में भी थाईलैंड के खिलाफ मैच में अपना खेल खेलने के साथ कोर्ट में उतरी, मस्तिष्क में तो बस देश को स्वर्ण पदक दिलाना था।
अनमोल की विश्व रैंकिंग 472वीं हैं और सामने तो तीनों मैचों में टॉप 50 में शामिल खिलाड़ी थीं और कहीं अधिक अनुभवी प्रतिद्वंद्वी थी तो ऐसे में दिमाग में क्या चल रहा था, इस सवाल पर अनमोल ने कहा कि वो यह कभी सोचती ही नहीं।
कभी गलतियां की तो राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद के बताए अनुसार अपना खेल बदला। कोच ने यह भी सीख दी कि मैच में बेशक थकान हावी हो जाती है, पर सामने वाले को यह कभी महसूस न होने दो कि थक गई हैं। ऐसे में प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी इसका फायदा उठा लेता है और फिर गलतियां होने लगती हैं।
अनमोल ने कहा कि मैच के दौरान उनके पिता देवेंद्र खरब कोर्ट में उपस्थित थे, जिन्होंने अकेले इंडिया-इंडिया की आवाज से मनोबल बढ़ाया। साथ ही मैच के बाद कोर्ट से बाहर निकल कर मां राजबाला से बात कर लेती थीं, मां हरियाणवी भाषा में हौसला बढ़ाती थीं। अनमोल ने यह भी कहा कि ओलंपिक पदक विजेता और टीम की सीनियर खिलाड़ी पीवी सिंधु से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला।
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