स्वच्छ सर्वेक्षण में पिछड़ा फरीदाबाद, 446 शहरों में मिली 381वीं रैंकिंग; अब बनाए जा रहे हैं सेल्फी प्वाइंट
फरीदाबाद में सफाई व्यवस्था पर हर वर्ष 140 करोड़ रुपये खर्च करने वाला फरीदाबाद नगर निगम शहर को साफ सुथरा नहीं रख पा रहा है। यही कारण है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में अपना शहर फिर पिछड़ गया है। औद्योगिक नगरी को 446 शहरों की स्पर्धा में 381वीं रैंकिंग मिली है जबकि प्रदेश के 20 शहरों में उसका नंबर 19वां है। हमारे शहर से पीछे सिर्फ नगर परिषद थानेसर है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। सफाई व्यवस्था पर हर वर्ष 140 करोड़ रुपये खर्च करने वाला फरीदाबाद नगर निगम शहर को साफ सुथरा नहीं रख पा रहा है। यही कारण है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में अपना शहर फिर पिछड़ गया है। औद्योगिक नगरी को 446 शहरों की स्पर्धा में 381वीं रैंकिंग मिली है, जबकि प्रदेश के 20 शहरों में उसका नंबर 19वां है। हमारे शहर से पीछे सिर्फ नगर परिषद थानेसर है।
इस बार की स्पर्धा में हिस्सा लेने को आबादी की संख्या की कोई सीमा नहीं थी। पिछली बार 10 लाख की आबादी वाले 45 शहरों में जिले को 36वीं रैंकिंग मिली थी। पिछड़ने के प्रमुख कारणों में नगर निगम और ईकोग्रीन की कार्यप्रणाली जिम्मेदार है। समय पर वेतन न मिलने से ईकोग्रीन के कर्मचारियों कई बार हड़ताल की। काम ठप होने से खत्तों पर कचरा फैला रहा। प्रत्येक वार्ड में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग होने से भी स्थिति बिगड़ी रही।
इन कारणों से पिछड़े
- नगर निगम के प्रत्येक वार्ड से नियमित रूप से कचरा एकत्र न होना।
- चौक-चौराहों पर बने खत्तों से प्रतिदिन कचरा न उठाया जाना।
- शहर की आरडब्ल्यू से समय-समय पर संपर्क न करना।
- उनके सुझावों पर अमल न करना।
- सार्वजनिक शौचालयाें की सफाई व्यवस्था पर ध्यान न देना।
- आम नागरिकों को स्वच्छता के मामले में संतुष्ट न करना।
- घर-घर से कचरा एकत्र करने तथा सफाई न होने पर समय रहते शिकायत को दूर न करना।
- कचरा एकत्र करने के काम में लगे वाहनों की कम संख्या होना।
सीएम जता चुके हैं नाराजगी
मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी शहर की सफाई व्यवस्था पर नाराजगी जता चुके हैं। भाजपा नेता कविंद्र चौधरी ने वार्ड नंबर नौ व 10 की सफाई व्यवस्था को लेकर शिकायत की थी। शिकायत की जांच की गई तो सही पाई गई। इसके बाद कनिष्ठ अभियंता की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं।देरी से जागा नगर निगम, बना रहे सेल्फी प्वाइंट
सीएम के सख्त तेवरों के बाद नगर निगम ने स्वच्छता के मामले में कुछ कदम उठाए। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जेटली और निगमायुक्त ए. मोना श्रीनिवास की निगरानी में सफाई अभियान शुरू हुआ। अधीक्षण अभियंता ओमबीर सिंह, स्वच्छ भारत मिशन के कार्यकारी अभियंता पदमभूषण तथा ओमदत्त के प्रयासों से नगर निगम के सभी वार्डों में उन चाैक-चौराहों पर सेल्फी प्वाइंट बनाने की शुरुआत, जहां खत्ता हुआ करता था। पहला सेल्फी प्वाइंट पांच नंबर में बनाया गया है। लोगों का कहना है कि अगर ऐसे सराहनीय प्रयार पिछले वर्षों में किए जाते तो आज स्वच्छ सर्वेक्षण में शहर की स्थिति बेहतर होगी। अब इसका परिणाम आने वाले दिनों में मिलेगा।
पिछले वर्ष जिम्मेदार नहीं रहे गंभीर, अब कर रहे प्रयास
स्वच्छता की स्थिति को बेहतर करने की जिम्मेदारी स्वच्छ भारत मिशन के कार्यकारी अभियंता पदमभूषण और स्वास्थ्य अधिकारी डा. नितिश परवाल की है। पिछले वर्षों से बेहतर प्रयास नहीं हुए। कार्यकारी अभियंता पदमभूषण कहते हैं कि ईकाेग्रीन का कार्य संतोषजनक नहीं रहा। इसलिए अब नगर निगम ने वैकल्पिक व्यवस्था की है और अपने वाहनों से खत्तों से कचरा उठवाया जा रहा है, ताकि चौक-चौराहों पर कचरा न दिखाई दे।पाली, मुजैड़ी और प्रतापगढ़ में कचरा निस्तारण प्लांट बनाया जा रहा है। अलग-अलग करके कचरे का निस्तारण किया जाएगा। इससे स्थिति में सुधार होगा। हम आरडब्ल्यूए के साथ जुड़ कर शहर को बेहतर बनाएंगे। स्वास्थ्य शाखा के साथ ही इंजीनियरिंग शाखा को इस बाबत आदेश दिए गए हैं। - ए. मोना. श्रीनिवास, निगमायुक्तनगर निगम ने आरडब्ल्यूए के सुझावों को कभी गंभीरता से नहीं लिया। स्वच्छता के मामले में हर वार्ड का एक नोडल अधिकारी होना चाहिए। इनका मोबाइल नंबर सार्वजनिक किया जाना चाहिए। मगर नगर निगम इस मामले में ध्यान नहीं देता। - एनके गर्ग, चेयरमैन, कन्फेडरेशन आफ आरडब्ल्यूए
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