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Faridabad News: हाई कोर्ट पहुंचा फरीदाबाद नगर निगम का 200 करोड़ का घोटाला, बिना काम के 6 साल में ठेकेदार को भेजे करोड़ों रुपये

Faridabad Nagar Nigam Scam फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Municipal Corporation) में घोटाले का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। त्रिपुरा काडर की आइएएस सोनल गोयल ने याचिका दायर कर स्टेट विजिलेंस की जांच पर सवाल उठाए हैं।

By Harender NagarEdited By: GeetarjunUpdated: Fri, 23 Sep 2022 05:02 PM (IST)
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हाई कोर्ट पहुंचा फरीदाबाद नगर निगम का 200 करोड़ का घोटाला।
फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Municipal Corporation) में घोटाले का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। त्रिपुरा काडर की आइएएस सोनल गोयल ने याचिका दायर कर स्टेट विजिलेंस की जांच पर सवाल उठाए हैं। सोनल गोयल ने घोटाले की जांच में सिर्फ उन्हें केंद्रित करने को लेकर मुख्य सचिव हरियाणा से शिकायत की थी।

मामला हाई कोर्ट पहुंचते ही स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने आनन-फानन हरियाणा काडर के दो और आइएएस मोहम्मद साइन सहित अनीता यादव को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। नगर निगम पर बिना काम हुआ घोटाले का आरोप लगा है।

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एक ही ठेकेदार को भेजे 183 करोड़

इससे पहले सोनल गोयल को पूछताछ के लिए बुलाने को स्टेट विजिलेंस ब्यूरो तीन नोटिस दे चुकी है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने 2015 से 2021 तक एक ही ठेकेदार के बैंक खातों में 183 करोड़ रुपये का बिना काम किए भुगतान करने पर एफआईआर नंबर-21 दर्ज की है।

ठेकेदार और अभियंता हो चुके हैं गिरफ्तार

इससे पहले स्टेट विजिलेंस एफआइआर नंबर-11 और 13 में भुगतान पाने वाले ठेकेदार सतबीर सिंह सहित नगर निगम में मुख्य अभियंता रहे डीआर भास्कर सहित लेखा और अंकेक्षण विभाग के अधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। एक अन्य आरोपी मुख्य अभियंता रमन शर्मा इस मामले में जमानत पर हैं।

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सोनल गोयल को सिर्फ पूछताछ के लिए बुलाया

राज्य सरकार ने 2015 से 2021 तक फरीदाबाद नगर निगम में रहे सभी आईएएस अधिकारियों को जांच में पूछताछ के लिए बुलाने अनुमति की दी थी। स्टेट विजिलेंस ने पहले त्रिपुरा काडर की सोनल गोयल को ही पूछताछ के लिए बुलाया था, इस पर सोनल को ऐतराज था।

कानूनविद् मानते हैं कि किसी भी जांच एजेंसी को जब अन्य आरोपियों को राहत देनी होती है तो सबसे पहले वह उस आरोपित को बुलाती है, जिसके कोर्ट ट्रायल और मीडिया ट्रायल में कुछ समय व्यतीत हो जाए। इस समयावधि में अन्य आरोपितों को कोर्ट ट्रायल से बाहर के बाहर राहत मिलने की संभावना रहती है

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