फरीदाबाद में बाढ़ से बर्बाद हुई 8500 एकड़ फसल, किसानों को नहीं मिली अब तक मदद
Faridabad News यमुना में डेढ़ महीने पहले आई बाढ़ से जिले में 8500 एकड फसल बर्बाद हो गई। किसान अभी भी अपनी फसल नुकसान के बारे में सरकार की तरफ से बनाए गए ऑनलाइन ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करा रहे हैं। इनकी मदद को अभी तक कोई भी आगे नहीं आया। सिर्फ पटवारी नुकसान की जांच करने पहुंचे हैं लेकिन अभी तक किसानों को कोई मदद नहीं मिली है।
By Subhash DagarEdited By: Nitin YadavUpdated: Tue, 22 Aug 2023 12:58 PM (IST)
फरीदाबाद/बल्लभगढ़, जागरण संवाददाता। यमुना में डेढ़ महीने पहले आई बाढ़ से जिले में 8500 एकड फसल बर्बाद हो गई। किसान अभी भी अपनी फसल नुकसान के बारे में सरकार की तरफ से बनाए गए आनलाइन ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करा रहे हैं। इनकी मदद को अभी तक कोई भी आगे नहीं आया। सिर्फ पटवारी नुकसान की जांच करने पहुंचे हैं।
जिले में यमुना में बाढ़ 11 जुलाई को आई थी। 1978 से भी इस बार यमुना में ज्यादा पानी आया और किनारे बसे 52 गांवों के खेतों में फैल गया। इस बाढ़ से किसानों की धान, बाजरा, मक्का, हराचारा ज्वार, सब्जियों में भिंडी, घीया, टिंडे, पेठा, कद्दू, परमल जैसी फसल बर्बाद हो गई।
फरीदाबाद के किसानों की फसल के नुकसान का सरकार के स्तर पर उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, अन्य विधायक, विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने दौरा करके जायजा लिया। सरकार ने किसानों से फसल, मकान, बोरवेल आदि के नुकसान की ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर रिपोर्ट दर्ज करा रहे हैं।
नहीं मिली आर्थिक मदद
किसानों को डेढ़ महीने के दौरान किसी भी तरह की कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। अब सरकार से सिर्फ मुआवजा मिलने की उम्मीद है। वो भी जिस किसान की फसल का शत-प्रतिशत नुकसान हुआ है, उसे 15 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मिलेगा, जबकि फसल यदि बाजरा का ही आंकलन किया जाए, तो एक एकड़ में कम से कम 10 क्विंटल का उत्पादन होगा। जिसकी कीमत सरकारी समर्थन मूल्य 2350 रुपये प्रति क्विंटल के अनुसार 23 हजार 500 रुपये बनती है।
इसी तरह से धान 1121 एक एकड़ में 25 क्विंटल का उत्पादन होता है। पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 1.25 लाख रुपये बनती है।
किसानों ने सुनाई आपबीती
शाहजहांपुर निवासी किसान सूरज ने बताया, मैंने अपने गांव शाहजहांपुर के खेतों में 13 एकड़ में बाजरा लगाया था। यमुना में बाढ़ आने से मेरा बाजरा पूरी तरह से नष्ट हो गया है। एक एकड़ में कम से कम 10 क्विंटल तो पैदा होता। समर्थन मूल्य के अनुसार तीन लाख, पांच हजार रुपये कीमत बनती है।
मोहना किसान, मुकेश अत्री ने बताया- मेरी नौ एकड़ जमीन है। तीन एकड़ धान, चार एकड़ कपास, एक-एक एकड़ ज्वार व बाजरा बोया था। लाखों रुपये की फसल का उत्पादन होता, जो सब कुछ बर्बाद हो गया। अभी तक सिर्फ पटवारी एक बार अवश्य आया है और कोई मदद करने नहीं आया।वहीं, जिला राजस्व अधिकारी, बिजेंद्र राणा ने बताया कि अभी किसान क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 23 अगस्त तक अपने नुकसान की रिपोर्ट अपलोड कर सकते हैं। इसके बाद पोर्टल को बंद कर दिया जाएगा और 30 अगस्त तक फसल बर्बादी की हमारे पटवारी व अन्य अधिकारी जांच करके सरकार को रिपोर्ट भेज देंगे।
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