Faridabad Accident: गोल चक्कर की दीवार से टकराकर बाइक सवार दो युवकों की मौत, गाड़ी नंबर से हुई शव की पहचान
फरीदाबाद में नीलम चौक के गोल चक्कर की दीवार से बाइक सवार दो युवक टकरा गए। अधिक खून बह जाने और पूरी रात खुले आसमान के नीचे पड़े रहने की वजह से दोनों की जान चली गई। वैसे भी दोनों के शव अंदर पार्क में पड़े थे जिनकी ओर किसी वाहन चालक की नजर नहीं गई। मौके पर मिली बाइक के नंबर से शव की पहचान हो सकी।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। नीलम चौक के गोल चक्कर की दीवार से टकराकर बाइक सवार दो युवकों की मौत हो गई। हादसा आधी रात के बाद करीब दो बजे का है। सुबह पांच बजे किसी ने इसकी सूचना एनआइटी थाना पुलिस को दी। पुलिस ने दोनों शव बीके अस्पताल की मोर्चरी में रखवाए।
बाइक नंबर से हुई पहचान
मौके पर मिली बाइक के नंबर से शव की पहचान हो सकी। बाइक चलाने वाले युवक ने हेलमेट पहना था। मृतक संजय सिंह (44) मूल रूप से भयारी, अलमोड़ा मऊलेखाल उत्तराखंड का रहने वाला था। यहां अजरौंदा में पत्नी व दो बेटों संग रहता था। सजल दास (17) मूल रूप से इंद्रान, उत्तर दिनाजपुर, बंगाल का रहने वाला है।
यहां सेक्टर-तीन में अपनी बहन के पास रहता था। दोनों सेक्टर-तीन में चिकनेट होटल पर कुक थे। इनके साथ एसजीएम नगर का रहने वाला प्रेम सिंह भी होटल पर काम करता था। रविवार रात को संजय सिंह और सजल दास एसजीएम नगर में प्रेम सिंह के घर पर थे। देर रात संजय सिंह व सजल दास अपने घर के लिए जाने लगे। प्रेम सिंह ने उन्हें देररात का हवाला देते हुए जाने से मना किया और कहा कि यहीं सो जाओ।
दीवार से जा टकराई बाइक
इसके बाद तीनों सो गए। देर रात करीब दो बजे संजय सिंह व सजल दास ने प्रेम सिंह की बाइक लेकर अपने घर के लिए चल दिए। तब भी प्रेम सिंह की पत्नी ने उन्हें जाने से मना किया था, लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद इनकी बाइक नीलम चौक के गोल चक्कर की दीवार से टकरा गई और दोनों अंदर पार्क में जा गिरे। दोनों के सिर में चोट लगी और इनकी मौत हो गई।
सुबह पांच बजे एनआइटी थाने की पुलिस की ओर से प्रेम सिंह के पास फोन गया और बाइक के बारे में पूछा। प्रेम सिंह ने थाने आकर बाइक की पहचान की। इसके बाद दोनों शव की पहचान हो सकी। मृतकों के मोबाइल फोन मौके से गायब मिले। पुलिस ने मृतकों के उत्तराखंड और बंगाल में रहने वाले स्वजन को सूचित किया। इसके बाद स्वजन यहां आए। पुलिस ने दोनाें के शव का पोस्टमार्टम करा स्वजन को सौंप दिया।
मिल जाती मदद तो बच जाती जान
देर रात हुए हादसे में यदि दोनों को समय पर इलाज मिल जाता तो इनकी जान बच सकती थी। अधिक खून बह जाने और पूरी रात खुले आसमान के नीचे पड़े रहने की वजह से दोनों की जान चली गई। वैसे भी दोनों के शव अंदर पार्क में पड़े थे, जिनकी ओर किसी वाहन चालक की नजर नहीं गई।
बाइक सड़क पर पड़ी थी। मामले के जांच अधिकारी एएसआइ प्रेमदत्त का कहना है कि बाइक काफी तेज गति में रही होगी तभी युवक इतनी दूर उछलकर गिरे। नीलम चौक के गोल चक्कर पर रेलिंग नहीं है। इसलिए वह पार्क में अंदर फव्वारे की दीवार से टकरा गए।
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