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Haryana Election 2024: 21 की उम्र में बने सरपंच, छह दशक से राजनीति में सक्रिय; कौन हैं महेंद्र प्रताप सिंह

Who is Mahendra Pratap Singh हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। 1 अक्टूबर को मतदान होगा और 4 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आएगा। फरीदाबाद से कांग्रेस के दिग्गज नेता महेंद्र प्रताज सिंह राजनीति के अंगद माने जाते हैं। जिन्हें पॉलिटिक्स में छह सालों का अनुभव है। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे महेंद्र प्रताप के राजनीतिक इतिहास और शुरूआत के बारे में।

By Subhash Dagar Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Wed, 21 Aug 2024 02:04 PM (IST)
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कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह को छह विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव।

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। (Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र प्रताप सिंह 79 वर्ष की आयु में भी प्रदेश की राजनीति में अंगद के पैर की तरह से जमे हुए हैं। उनका राजनीति का लंबा अनुभव है। उन्होंने छह विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव लड़ा है।

पहला चुनाव 1966 में गांव के सरपंच पद का लड़ा

महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 28 फरवरी 1945 को गांव नवादा कोह में चौधरी नेतराम के घर हुआ। उनके पिता संयुक्त पंजाब में पहली बार बनी गुरुग्राम जिला परिषद के चेयरमैन चुने गए। यहीं से महेंद्र प्रताप सिंह (Mahendra Pratap Singh) ने राजनीति के गुर सीखे। उन्होंने पहला चुनाव 1966 में गांव के सरपंच पद का लड़ा और जीता।

मात्र 21 वर्ष की आयु में गांव के सरपंच बने। फिर उन्होंने 1972 में पंचायत समिति के सदस्य का चुनाव जीता। उन्होंने पहली बार 1977 में विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन जनता पार्टी के प्रत्याशी गजराज बहादुर नागर से हार गए।

फिर उन्होंने 1982 में मेवला महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी गजराज बहादुर नागर को हराकर कर विधायक बने। फिर उन्होंने 1987 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा।

1987 में पूरे प्रदेश चौधरी देवीलाल की लहर थी। तब लोकदल और भाजपा गठबंधन ने देवीलाल के नेतृत्व में प्रदेश की 90 में से 85 सीट जीती। कांग्रेस ने मात्र पांच सीट पर जीत दर्ज की। इन पांच विधायकों में महेंद्र प्रताप सिंह भी शामिल थे, जिन्होंने मेवला महाराजपुर सीट से चुनाव जीता था। वे विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता भी बने।

2009 में परिसीमन होने से बड़खल विधानसभा क्षेत्र बना अलग 

1991 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा विकास पार्टी और जनता दल गठबंधन के प्रत्याशी गजराज बहादुर नागर को हराकर विधायक बने। प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार (Haryana Congress) में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बने। 2005 में मेवला महाराजपुर से फिर 63 हजार मतों से चुनाव जीते।

2009 में परिसीमन होने से बड़खल विधानसभा क्षेत्र अलग से अस्तित्व में आ गया। इस बार चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े। चुनाव जीतने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में बिजली मंत्री बने। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा लड़ा, लेकिन भाजपा (Haryana BJP) प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर (Krishnapal Gurjar) से चुनाव हार गए।

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