MS Dhoni से प्रेरित होकर रणजीत ने छोड़ी नौकरी, अब पेरिस में फेंकेंगे भाला
कंप्यूटर साइंस में इंजीनियर रणजीत ने एमएस धोनी ( MS Dhoni) से प्रेरित होकर अपनी नौकरी छोड़ दी और स्पोर्ट्स में जाने के लिए फरीदाबाद में ही राज्य खेल परिसर सेक्टर-12 में अभ्यास करने लगे। उन्होंने एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी फिल्म देखकर यह निर्णय लिया था।
By Abhishek TiwariEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 09 May 2023 01:09 PM (IST)
फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। कब तक बोझ संभाला जाए, द्वंद्व कहां तक पाला जाए, दोनों ओर लिखा हो भारत सिक्का वही उछाला जाए, तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए। कविता की इन पंक्तियों को सचमुच में चरितार्थ किया बल्लभगढ़ के आदर्श नगर के पैरा एथलीट रणजीत सिंह भाटी, जिन्होंने रविवार को बेंगलुरू में संपन्न पांचवीं इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियनशिप में नए राष्ट्रीय रिकार्ड के साथ 43.91 मीटर पर भाला फेंक स्वर्ण पदक जीता।
अब वह जुलाई माह में पेरिस में आयोजित होने वाले विश्व चैंपियनशिप में भाग लेंगे। रणजीत सिंह भाटी का परिवार मूलरूप में यूपी के जिला जेवर के गांव करौली का है। उनके पिता रामबीर सिंह और मां वैजयंती तीन दशक पहले बल्लभगढ़ आ गए थे और यहीं पर रणजीत सिंह का जन्म हुआ।
नया रिकार्ड बनाने में हुए सफल
सोमवार को बेंगलुरू से लौटे रणजीत सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि वो वास्तव में महाराणा प्रताप के वंशज हैं और उपरोक्त पंक्तियों के अनुरूप ही पूरा दमखम लगा कर भाला फेंका कि यह कहां तक जा सकता है। अपनी मेहनत में कामयाब रहे और बेंगलुरू में ही पूर्व में स्थापित किए गए 43.80 मीटर के अपने ही राष्ट्रीय रिकार्ड को तोड़ते हुए नया रिकार्ड बनाने में सफल रहे।सड़क दुर्घटना में हो गए थे बुरी तरह घायल
गत वर्ष मोरक्को में आयोजित अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके रणजीत भााटी वर्ष 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे पर एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए थे और उनका दायां हिप बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। स्वस्थ होने में रणजीत को तीन साल लगे, पर वो दिव्यांगता की श्रेणी में आ गए। वर्ष 2015 में उनकी मुलाकात प्रदीप नामक व्यक्ति से हुई, जिन्होंने रणजीत को पैरा खेलों के बारे में बताया।
कंप्यूटर साइंस में इंजीनियर रणजीत तब एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत थे। रणजीत ने पैरा खेलों को अपना लिया और जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में अभ्यास करने लगे, पर नौकरी के चलते खेल को समय नहीं दे पा रहे थे। इस दौरान उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी फिल्म देखी।
नौकरी छोड़कर करने लगे अभ्यास
फिल्म में धोनी से प्रभावित हुए और नौकरी छोड़कर पूरी तरह से खेल में रम गए और वर्ष 2017 से फरीदाबाद में ही राज्य खेल परिसर सेक्टर-12 में अभ्यास करने लगे।
यहां पर खेल उपनिदेशक गिर्राज सिंह ने उन्हें आवश्यक टिप्स दिए और फिर सरकारी कोच पवन कुमार के सानिध्य में रह कर अभ्यास करने लगे। रणजीत का खेल निखरता चला गया और आगे बढ़ते चले गए। रणजीत गत वर्ष टोक्यो पैरालिंपिक दल में भी शामिल थे, पर पदक जीत नहीं सके।
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- 2018 में हरियाणा राज्य पैरालिंपिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक
- 2019 में बेंगलुरू में आयोजित दूसरी इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
- 2021 में बेंगलुरू में आयोजित 19वीं राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
- 2021 में बेंगलुरू में आयोजित तीसरी इंडियन ओपन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
- 2021 में बहरीन में आयोजित यूथ एशियन पेरा गेम्स में स्वर्ण पदक
- 2022 में भुवनेश्वर में आयोजित 20वीं राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
- 2022 में टोक्यो पैरालिंपिक में भागीदारी