Faridabad News: कुदरत की करनी को पीछे छोड़ कंचन लखानी ने लिख दी सफलता की इबारत
कंचन की मजबूत इच्छा शक्ति ने उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का पैरा एथलीट बना दिया। दिव्यांग कंचन लखानी ने सशक्त नारी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में ढेरों कांस्य रजत व स्वर्ण पदक जीते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Prateek KumarUpdated: Sun, 13 Nov 2022 04:39 PM (IST)
फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। कंचन लखानी, यह उस नारी का नाम है, जिनका रेल हादसे में एक हाथ कट गया था और स्पाइनल चोट के चलते कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि वह अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में सोच रही थी, लेकिन एक दिन गहन आत्मचिंतन किया और इस अवसाद से निकलने की ठानी। कंचन की मजबूत इच्छा शक्ति ने उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का पैरा एथलीट बना दिया। दिव्यांग कंचन लखानी ने सशक्त नारी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में ढेरों कांस्य, रजत व स्वर्ण पदक जीते हैं।
वर्ष 2008 में रेल हादसे में बदला जीवन
एनआइटी फरीदाबाद की मूल निवासी और ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर-85 में रहने वाली कंचन वर्ष 2008 से पहले तक सामान्य व्यक्तियों की घूम-फिर सकती थी और रावल इंटरनेशनल स्कूल में प्राथमिक कक्षा की अध्यापिका थी। एक दिन रेल हादसे ने उसे व्हील चेयर पर ला दिया। आत्मनिर्भर व स्वावलंबी कंचन दूसरों के सहारे को मोहताज हो गई। कंचन के अनुसार पहली बार जब व्हील चेयर देखी, तो अंदर से पूरी तरह टूट गई थी और हादसे के बाद से छह साल तक स्वयं को एक कमरे में बंद कर लिया था। कुछ दिनों के आश्वासन के बाद नाते-रिश्तेदार भी दूर-दूर रहने लगे थे। इस पर यहां तक अवसासग्रस्त हो गई कि जीवन लीला समाप्त करने की ठान ली, पर फिर गहन आत्म चिंतन के बाद भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए श्रीलाल जी महाराज की सेवक कंचन ने स्वयं को तैयार किया। उसने पैरा खेलों के बारे में सुन रखा था। बस पहुंच गई राजा नाहर सिंह स्टेडियम और वहां एथलेटिक कोच नरसी राम से मुलाकात की। कोच ने आवश्यक टिप्स दिए, इसके बाद भाला फेंक, चक्का फेंक और गोला फेंक का प्रशिक्षण लेने लगी।परिवार का मिला सहयोग
कंचन ने बताया कि रेल हादसे के बाद रिश्तेदार मुझसे सहानुभूति तो रखते थे, पर उसे अच्छा नहीं लगता था। पैरा एथलेटिक खेलों में जाने के फैसले में परिवार ने साथ दिया। पिता मनोहर लाल, मां पुष्पा, भाई सुनील व कमल ने हौसला बढ़ाया। दोनों भाइयों में एक अभ्यास के लिए स्टेडियम छोड़ने और ले जाने आते हैं। इसके अलावा जिम लेकर जाते हैं। यदि उस समय में परिवार में हौंसला नहीं बढ़ाया होता, तो आज भी एक कमरे की चारदीवारी में कैद होती। कोच नरसी राम व गिर्राज सिंह के मार्गदर्शन में उचित प्रशिक्षण को सफलता का श्रेय देती हैं।मदर टेरेसा अवार्ड भी मिला
कंचन को समाज सेवा का भी बहुत शौक है। खेलों से पहले गरीब बच्चों को टाइम पास के लिए पढ़ाती थी। इसके अलावा अन्य सामाजिक गतिविधियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी। कंचन में समाज सेवा की भावना को देखते हुए वर्ष 2015 में उन्हें मदर टेरेसा अवार्ड भी दिया गया है। दैनिक जागरण ने भी उन्हें महिला दिवस के अवसर पर नारी सशक्तिकरण अवार्ड प्रदान किया।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।कोच का मिला पूरा साथ
मेरे जीवन को नया मोड़ देने में कोच नरसी राम और प्लेटफार्म देने में हरियाणा पैरालंपिक कमेटी के महासचिव गिर्राज सिंह बहुत बड़ा सहयोग है। शायद सामान्य व्यक्ति होकर यह सब उपलब्धियां नहीं मिलती। कंचन लखानीकंचन लखानी की उपलब्धियां
- वर्ष 2017 में जयपुर में हुई राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप में भाग लिया और वहां चक्का फेंक, भाला फेंक और गोला फेंक की स्पर्धाओं में पहले स्थान पर रह कर तीन स्वर्ण पदक जीते।
- वर्ष 2021 में बेंगलुरू में आयोजित स्पाेर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया द्वारा आयोजित तीसरी इंडिनय ओपन नेशनल पैरा एथलीट चैंपियनशिप में कंचन लखानी ने भाला फेंक और चक्का फेंक में स्वर्ण पदक और गोला फेंक में रजत पदक जीत कर अपनी प्रतिभा की धूम मचाई थी।
- वर्ष 2022 में बेंगलुरू के श्रीकांटेरावा इंडोर स्टेडियम में 17 से 19 अगस्त तक आयोजित हुई चतुर्थ इंडियन ओपन नेशनल पैरा एथलेक्टिस चैंपियनशिप में कंचन लखानी ने शानदार प्रदर्शन कर दो पदक जीते। कंचन ने चक्का फेंक में रजत और भाला फेंक में कांस्य पदक जीता है।
- वर्ष 2018 में पेरिस में विश्व पैरा ग्रां प्रिक्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया।
- वर्ष 2019 में बीजिंग में विश्व पैरा ग्रां प्रिक्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया।
- वर्ष 2022 में ट्यूनिशिया में विश्व पैरा ग्रां प्रिक्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया।