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Surajkund Mela 2024: धातु और काष्ठ कला को मिल रहा वैश्विक बाजार, अमेरिका और इंग्लैंड से मिले ऑर्डर

फरीदाबाद में देश के शिल्पकारों और उनकी कला को सूरजकुंड मेला में वैश्विक मंच मिल रहा है। मेला में पहुंचने वाले भारतीय पर्यटकों के साथ में विदेशियों को धातु और काष्ठ कला प्रभावित कर रही है। फ्रांस की रहने वाली सैन ने बताया कि दिल्ली में वह पिछले छह महीने से है। सूरजकुंड मेला में बेहद शानदार ढंग से नक्काशी किए गए सामान उन्हें अच्छा लगा है।

By vaibhav tiwari Edited By: Sonu SumanUpdated: Sat, 10 Feb 2024 04:44 PM (IST)
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Surajkund Mela में धातु और काष्ठ कला को मिल रहा वैश्विक बाजार।

वैभव तिवारी, फरीदाबाद। देश के शिल्पकारों और उनकी कला को सूरजकुंड मेला में वैश्विक मंच मिल रहा है। मेला में पहुंचने वाले भारतीय पर्यटकों के साथ में विदेशियों को धातु और काष्ठ कला प्रभावित कर रही है। इससे स्टॉल लगाने वाले शिल्पकारों को एक बेहतर मंच मिल रहा है।

दक्षिण भारत के परंपरागत काष्ठकला में देवी-देवताओं के साथ में पशु पक्षियों की आकर्षक आकृतियां उकेरी गई हैं। इसमें छोटे उत्पाद से लेकर 12 फीट तक के उत्पाद मौजूद हैं, जिनकी कीमत करीब 100 रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक है। सागौन और नीम की लकड़ी पर छेनी, हथौड़े, ड्रिल और गाज की सहायता से नक्काशी की गई है। वहीं, पीतल, ब्रास सहित अन्य धातु में भी महीन काम किया गया है। इसमें फूलदान व प्लेट पर हुई नक्काशी सबसे अधिक पसंद की जा रही।

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फ्रांस की सैन बोलीं- भारत में होती है अद्भुत नक्काशी

फ्रांस की रहने वाली सैन ने बताया कि दिल्ली में वह पिछले छह महीने से है। सूरजकुंड मेला में बेहद शानदार ढंग से नक्काशी किए गए सामान उन्हें अच्छा लगा है। इसके लिए लक्ष्मी माता की वाल डिस्पले, घर के गेट पर लगने वाले आर्च जिसमें घोड़े बने हुए हैं और गणेश भगवान की मूर्ति को खरीदा है। उनका कहना है कि फ्रांस में ऐसे उत्पाद बेहद महंगे हैं। ऐसे में जब यहां से फ्रांस जाना होगा तब अपने साथ लेकर जाएंगी। उन्होंने बताया कि इस कला को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

ब्रास और पीतल से बने सामान का मिला आर्डर

ब्रास सहित अन्य धातु के काम में महारत रखने वाले बाबू राम यादव मुरादाबाद के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि मेले में लोग सामान की खरीदारी कर रहे है। इसके साथ ही न्यूयार्क और लंदन से लोगों ने जानकारी मांगी है। सैंपल और रेट लिस्ट भेज दिया है। आर्डर की बात चल रही है।

इनके पास में 300 रुपये से लेकर चार लाख रुपये तक के सामान मौजूद हैं। अभी उन्होंने पांच महीने तक एक चांदी की प्लेट पर की गई नक्काशी प्लेट को चार लाख रुपये में बेचा है। इनके स्टाल पर इंग्लैंड से आए दंपत्ती ने जग व ग्लास का उत्पाद खरीदा है। साथ ही ऐसे उत्पादों के बारे में जानकारी ली। बाबू राम 1962 से नक्काशी कर रहे। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इन्हें शिल्प गुरु पुरस्कार से भी सम्मानित किया है।

पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा, बनाते हैं मास्टर पीस

कर्नाटक के बेंगलुरु में रहने वाले कृष्ण राम कहते हैं कि दिल्ली-एनसीआर के दुकानदारों से नियमित आर्डर मिलते हैं। अभी अमेरिका के वॉशिंगटन शहर से आए लोगों को उत्पाद पसंद आए हैं। उन्होंने इसके थोक में खरीदने और वहां पर बेचने की इच्छा जताई है। शिल्पकार विनोद कुमार का कहना है कि परंपरागत रूप से यह कार्य कई पीढ़ी से करते आ रहे हैं। हम लकड़ी के ऊपर बारीक नक्काशी करते हैं। हमारा मास्टर पीस पांच लाख रुपये है। इसमें गणेश भगवान सहित कई देवी देवताओं व शुभ चिन्ह बने हुए हैं।

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