Surajkund Mela 2024 : जीवन में निखार ला रहा सूरजकुंड मेला, सुधर रही लोगों की आर्थिक स्थिति; पांच गुना बढ़ा कारोबार
बंचारी निवासी रेखा कहती हैं कि वह 16 वर्ष पहले अभिव्यक्ति फाउंडेशन से जुड़ी थीं। उनके साथ उनके पति नंद राम भी जुड़ गए। कई वर्ष पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। दोनों के काम करने से उनके घर में खुशहाली आई है। ऐसे ही पलवल निवासी सोनिया 10 वर्ष पहले जुड़ी थीं। वह स्वयं सहायता समूह की टीम लीडर के रूप में अभिव्यक्ति फाउंडेशन से जुड़ी हैं।
अनिल बेताब, फरीदाबाद। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला गरीबी उन्मूलन के लिहाज से उपयोगी सिद्ध हो रहा है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की ओर से खरीदारी किए जाने से यहां स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के उत्पादों को बड़ा बाजार मिलता है। उनकी आर्थिक स्थिति सुधर रही है।
पलवल की अभिव्यक्ति फाउंडेशन से जुड़े समूह की महिलाओं के जीवन स्तर में आए निखार से सिद्ध होता है कि मेला बड़ी संख्या में लोगों को आत्मनिर्भर बना रहा है। फाउंडेशन से जुड़कर कई परिवारों की गरीबी दूर हुई है।
37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला में राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड)के सौजन्य से अभिव्यक्ति फाउंडेशन को छतीसगढ़ गेट के नजदीक ही स्टाल उपलब्ध कराया गया है। स्टाल पर जयपुरी रजाई, सुजनी तथा जूट के बैग हैं।
ये सारे उत्पाद पलवल के गांवों की महिलाओं ने तैयार किए हैं। मार्केटिंग के काम में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ पुरुष भी हैं।
मेले से पांच गुना बढ़ा कारोबार
अभिव्यक्ति फाउंडेशन को 17 वर्ष पहले मेले में आने का मौका मिला था। शुरुआत के दो-तीन साल तक मेले के दौरान चार से पांच लाख रुपये की बिक्री हुई थी। धीरे-धीरे काम बढ़ता गया।
पिछले वर्ष लगभग 20 लाख की बिक्री हुई। फाउंडेशन से वर्ष 2017 में 1300 महिलाएं जुड़ी थीं और इन दिनों दो हजार से अधिक-महिला पुरुष जुड़े हैं। फाउंडेशन के संस्थापक शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि सूरजकुंड के अलावा अन्य प्रदेशों में लगने वाले मेलों से भी कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है। इससे महिलाओं की गरीबी दूर हो रही है।
सुधर गई आर्थिक स्थिति, परिवार में आई खुशहाली
बंचारी निवासी रेखा कहती हैं कि वह 16 वर्ष पहले अभिव्यक्ति फाउंडेशन से जुड़ी थीं। उनके साथ उनके पति नंद राम भी जुड़ गए। कई वर्ष पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। दोनों के काम करने से उनके घर में खुशहाली आई है। ऐसे ही पलवल निवासी सोनिया 10 वर्ष पहले जुड़ी थीं। वह स्वयं सहायता समूह की टीम लीडर के रूप में अभिव्यक्ति फाउंडेशन से जुड़ी हैं। वह पलवल के गांवों में जयपुरी रजाई, जूट बैग तथा सुजनी बनवाने के काम में सक्रिय रहती हैं।
इन शहरों में लगने वाले उत्सव में भी मिलता है बाजार
अभिव्यक्ति फाउंडेशन को नाबार्ड की ओर से चंडीगढ़ फेयर, सरस मेला, मुुबई, लखनऊ महोत्सव, भाेपाल हाट तथा रांची मेला में भी स्टाल उपलब्ध कराया जाता है। इससे फाउंडेशन के उत्पादोें को अन्य शहरों में बड़ा बाजार मिलता है।
आत्मनिर्भर बनाने को नाबार्ड करता है प्रशिक्षित
नाबार्ड के प्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी कहते हैं कि गरीबी उन्मूलन सरोकार के तहत केंद्र की ओर से स्वयं सहायता समूह को निश्शुल्क प्रशिक्षित किया जाता है। प्रशिक्षण पाने के बाद समूह को ऋण उपलब्ध कराने में भी मदद की जाती है।
ऐसे पहुंचे स्टाल तक
सूरजकुंड मेले में अगर आप दिल्ली गेट से आ रहे हैं तो छोटी चौपाल के नजदीक आकर इस स्टाल तक पहुंच सकते हैं। फरीदाबाद गेट से आने पर मुख्य चौपाल के पिछले हिस्से से होते हुए छतीसगढ़ गेट के पास आ जाएं। इस गेट से थोड़ा पहले दाएं मुड़ने पर आप स्टाल तक पहुंच सकते हैं। यहां नाबार्ड जोन है।