Surajkund Mela 2024: खिली धूप तो बढ़ी रंगत, लोगों ने जमकर की मस्ती; चार दिन में डेढ़ लाख लोगों ने देखा मेला
37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में सोमवार को खिली-खिली धूप में रंगत बढ़ गई। मेले में आए लोगों ने खूब मस्ती की। बीन पार्टी के कलाकारों के साथ युवक-युवतियां खूब झूमे। चौपाल पर हरियाणा पंजाब राजस्थान गुजरात तथा मध्य प्रदेश के कलाकारों ने रंग जमाया। महाराष्ट्र की महिला कलाकारों ने लावणी नृत्य से धूम मचाई। बीते चार दिन में करीब डेढ़ लाख लोग मेला देखने पहुंचे।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में सोमवार को खिली-खिली धूप में रंगत बढ़ गई। मेले में आए लोगों ने खूब मस्ती की। बीन पार्टी के कलाकारों के साथ युवक-युवतियां खूब झूमे। चौपाल पर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य प्रदेश के कलाकारों ने रंग जमाया। महाराष्ट्र की महिला कलाकारों ने लावणी नृत्य से धूम मचाई। वीआइपी गेट, हरियाणा व गुजरात के अपना घर के आसपास युवा झूमते दिखे।
हरियाणा पर्यटन निगम के रिकार्ड के अनुसार दिन लगभग 50 हजार पर्यटकों ने मेले का दीदार किया। इस तरह चार दिन में डेढ़ लाख लोग मेला देखने आए। रविवार को वर्षा होने के कारण मेले की सुबह फीकी रही। दिन भर खरीदारी भी कम रही।
मगर सोमवार को रौनक बढ़ने से शिल्पियों के चेहरे खिले थे। हरियाणा पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक डा. नीरज कुमार ने बताया कि धीरे-धीरे मेले में आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है।
कलाकारों का शाम को निकलता है बड़ा महारैला
मेला परिसर में प्रतिदिन शाम को कलाकारों का बड़ा महारैला निकलता है। रंग-बिरंगी, लाल-गुलाबी, नीली व पीली रोशनी से जगमग करते परिसर में कलाकारों की परेड पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। परेड का नेतृत्व पार्टनर देश तंजानिया और थीम स्टेट गुजरात की टीम कर रही है।
परेड में हरियाणा, पश्चिम बंगाल, असम, पंजाब, मिजोरम, अरुणाचल, सिक्किम, उज्बेकिस्तान, किर्गीस्तान, कजाकिस्तान, मालदीव, नेपाल और विभिन्न राज्यों के कलाकार मंडली के साथ अपने पारंपरिक परिधान व ढोल, ताशे-बाजे, चिमटे आदि लेकर साथ निकलते हैं तथा दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करते हुए चलते हैं। वीआइपी गेट से लेकर छतीसढ़ गेट तक खूब रौनक रहती है।
टीपणी लोक नृत्य से मन मोहा
छोटी चौपाल पर थीम स्टेट गुजरात के चोरवाड़ से आए श्रीशक्ति टीपणी लोक नृत्य मंडल के कलाकारों ने गीत-संगीत के साथ नृत्य की सुंदर प्रस्तुतियां देकर अपने प्रांत की संस्कृति का शानदार प्रदर्शन किया। टीपणी रास में 12 लड़कियां चूडासमा प्राची, जिग्ना पंडित, परवीन पंडित, पूनम परमार, कुसुम परमार, रामी चूडासमा, पायल मेर, कुसुम चूडासमा, शांति मेर, दूधी परमार, मंजू डाभी, ज्योति चूडासमा, संगीतकार शहनाई वादक इकबाल परमार, ढोल वादक हामिद परमार व साजिद सोलंकी इत्यादि कलाकारों ने अपनी सुंदर प्रस्तुति से चौपाल पर बैठे सभी पर्यटकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
टीपणी रास ही गरबा रास हैः प्रवीण भाई
श्रीशक्ति टीपणी लोक नृत्य मंडल के ग्रुप इंचार्ज प्रवीण भाई ने बताया कि टीपणी रास ही गरबा रास है और डांडिया रास नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां दुर्गा और कुलदेवी शक्ति को याद करके किया जाता है। टीपणी रास गुजरात प्रांत के रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, संस्कृति व सुंदरता का प्रतीक है। टीपणी रास व गरबा रास को उस समय से नगर वासी करते आ रहे हैं, जब अपने मकान पर मिट्टी और चूने से छत बनाई जाती थी। उस समय जो टीपणी होती थी वह मजबूत लकड़ी से बनाई जाती थी, जोकि मकानों की छतों को कूट-कूट कर मजबूत करने का कार्य करती है। उसी समय से टीपणी रास की शुरुआत हुई है।